
गंभीर बीमारियां हो सकती हैं कार्बाइड से पके फलों का सेवन करने से Publish Date : 20/07/2025
गंभीर बीमारियां हो सकती हैं कार्बाइड से पके फलों का सेवन करने से
डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद कैल्शियम कार्बाइड से पकाए गए आम जैसे फलों की बिक्री जारी है और विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे फलों का सेवन करना गंभीर बीमारियों का कारण भी बन सकता है।
दिल्ली के बाजारों में इन दिनों फलों के राजा आम की बहार है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि दिखने में रसीले इन आमों एवं अन्य फलों का लंबे समय तक उपभोग करने से उपभोक्ताओं को मुँह में सूखापन, जलन, छाले, गले में खराश और उल्टी जैसे तात्कालिक लक्षणों के साथ ही न्यूरोलॉजिकल प्रभाव, ‘मेमोरी लॉस’, थायरॉयड, डायबिटीज और कैसर तक की बीमारी घेर सकती है।
एशिया की सबसे बड़ी मंडी कहलाने वाली आजादपुर मंडी के अध्यक्ष एम. आर. कृपलानी ने कहा, ‘हमारे मंडी के व्यापारी कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल नहीं करते लेकिन जो व्यापारी आम को बाहर के इलाकों में ले जाते है, वहां जल्दी पकाने के लिए थोड़ी मात्रा में कैल्शियम कार्बाइड का उपयोग करते है। खासकर तब, जब फल कच्चा होता है और मांग अधिक रहती है’। उन्होंने बताया कि सामान्य तौर पर केले को गर्मी देकर पकाया जाता है लेकिन आम जैसे फलों में ऊपर से पीलापन लाने के लिए कई बार कैल्शियम कार्बाइड का सहारा भी लिया जाता है।
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण के अनुसार, कैल्शियम कार्बाइड से पकाए गए फलों में आर्सेनिक और फॉस्फोरस हाइड्रॉक्साइड जैसी अशुद्धियां होती है, जो कैंसर और त्वचा रोग जैसी बीमारियों का कारण बन सकती है। भारत में कैल्शियम कार्बाइड का उपयोग खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 के तहत प्रतिबंधित है। एफएसएसएआई की वेबसाइट पर उपलब्ध एक रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि केवल एथिलीन गैस (100 पीपीएम) का प्रयोग नियंत्रित माहौल में फल पकाने के लिए किया जा सकता है क्योंकि यह फलों के प्राकृतिक रूप से पकने की प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न होने वाली गैस है और यह सुरक्षित है। मंडी में मौजूद कुछ व्यापारियों का कहना था कि एथिलीन गैस से फलों को पकाना खर्चीला होता है इसलिए वे सस्ते विकल्प के रूप में कैल्शियम कार्बाइड को प्राथमिकता देते हैं।
उपभोक्ताओं का कहना है कि ऐसे फल दिखने में तो पके हुए लगते है लेकिन स्वाद और स्वास्थ्य पर विपरीत असर डाल रहे है। पूर्वी दिल्ली में रहने वाली गृहिणी अंजू गुप्ता कहती है, ‘फल खाकर अक्सर एसिडिटी और जी मिचलाने जैसी समस्या होती है। गांव में पेड़ से ताजे फल तोड़कर खाने में जो मजा था अब वह स्वाद नहीं मिलता’।
लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।