मानसून आते ही बढ़ जाता है डेंगू-चिकनगुनिया का खतरा      Publish Date : 17/07/2025

   मानसून आते ही बढ़ जाता है डेंगू-चिकनगुनिया का खतरा

                                                                                                                                                   डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

  • दुनियाभर में 560 करोड़ से अधिक लोगों को अर्बाेवायरल संक्रमण का खतरा रहता है।

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने पहली बार इसके इलाज को लेकर ‘ग्लोबल क्लिनिकल गाइडलाइन’ जारी की है।

अर्बावायरल रोग, उन वायरल बीमारियों को कहा जाता है जो संक्रमित कीटों मुख्यतः मच्छरों और टिक्स के काटने से मनुष्यों में फैलता है। मानसून का समय आते ही दुनियाभर में अर्बावायरल रोगों का खतरा तेजी से बढ़ जाता है। हर साल इन बीमारियों के कारण हजारों लोगों की मौत हो जाती है। यह रोग हल्के बुखार और चकत्ते से लेकर इंसेफेलाइटिस और रक्तस्रावी बुखार जैसी गंभीर तंत्रिका संबंधी जटिलताओं तक का कारण बनते हैं।

डेंगू, पीत ज्वर (येलो फीवर) जीका और चिकनगुनिया जैसे रोग हमारे देश में सबसे आम प्रकार के अर्बावायरल रोग हैं।

                                                    

इस बीमारियों के शिकार लोगों के उपचार के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने पहली बार ‘ग्लोबल क्लिनिकल गाइडलाइन’ जारी की है। डब्ल्यूएचओ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अर्बावायरल रोग मुख्य रूप से एडीज मच्छरों के द्वारा फैलते हैं। वैश्विक स्वास्थ्य के लिए यह एक बढ़ता हुआ खतरा हैं, विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन, शहरीकरण और बढ़ती मानव गतिशीलता के संदर्भ में।

दुनिया भर में 5.6 बिलियन (560 करोड़) से अधिक लोगों को अर्बावायरल संक्रमण का खतरा है, इसलिए स्वास्थ्य विशेषज्ञों के पास इन बीमारियों का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करने और सही इलाज प्रदान करने को लेकर गाइडलाइंस होनी जरूरी हैं।

मच्छर जनित रोगों का खतरा

                                                          

इससे पहले कि हम डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी किए गए प्रोटोकॉल पर गौर करें, इससे पहले यह जान लेना जरूरी है कि डेंगू, चिकनगुनिया जैसी बीमारियां स्वास्थ्य सेवाओं के लिए किस प्रकार से चुनौतियां बढ़ाती जा रही हैं?

  • डेंगू बुखार एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य चिंता का विषय है, जिसके हर साल लाखों मामले सामने आते हैं। वर्ष 2024 में, वैश्विक स्तर पर 1.41 करोड़ डेंगू के मामले सामने आए।
  • वहीं, 6.20 लाख से अधिक मामले चिकनगुनिया के भीर रिपोर्ट किए गए। मानसून के दिनों में इन बीमारियों के कारण स्वास्थ्य सेवाओं पर हर साल अतिरिक्त दवाब भी बढ़ जाता है।

इन समस्याओं पर गौर करते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अब ट्रीटमेंट गाइडलाइंस जारी की है-

संदिग्ध रोगियों और हल्के स्तर की बीमारी वालों के लिए प्रोटोकॉल

डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी किए गए प्रोटोकॉल के अनुसार संदिग्ध रोगियों और हल्के स्तर की बीमारी के लक्षण वालों को कुछ बातों पर ध्यान देना चाहिए।

  • रोगियों को निर्जलीकरण से बचाने के लिए मौखिक द्रव उपचार (ओआरएस और अन्य उपचार) का प्रयोग करें।
  • दर्द या बुखार के इलाज के लिए पैरासिटामोल का प्रयोग करें।
  • नॉन-स्टेरायडल एंटी-इफ्लेमेटरी दवाओं (एनएसएआईडी) से बचें।
  • हल्के स्तर के रोगियों में कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स का प्रयोग करने से बचें।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि ये सिफारिशें नवीनतम उपलब्ध साक्ष्यों पर आधारित हैं और नए आंकड़े सामने आने पर इन्हें अपडेट किया जाएगा। जिन क्षेत्रों में अर्बावायरल रोग बहुत कॉमन हैं वहां इलाज में मदद करने और बेहतर स्वास्थ्य परिणामों की दिशा में यह सुझाव महत्वपूर्ण हो सकते हैं।

अब गंभीर (अस्पताल में भर्ती) या पुष्ट अर्बावायरल रोगियों के लिए जारी प्रोटोकॉल 

  • गंभीर स्तर के रोगियों के इलाज के लिए इंटरवेनस हाइड्रेशन (ड्रिप्स) का इस्तेमाल करें।
  • गंभीर मामलों में भी कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स और इम्युनोग्लोबुलिन थेरेपी से बचें।
  • लो प्लेटलेट काउंट वाले रोगियों में तब तक प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन से बचें, जब तक कि रक्तस्राव की स्थिति न हो।
  • पीत ज्वर (येलो फीवर) के कारण होने वाले लिवर फेलियर के मामलों में इंटरवेनस एन-एसिटाइलसिस्टीन का उपयोग करें।
  • येलो फीवर के लिए मोनोक्लोनल इम्युनोग्लोबुलिन TY-14 और सोफोसबुविर जैसी प्रायोगिक चिकित्सा का उपयोग केवल अनुसंधान स्थितियों में ही करें।

लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।