अपकी दृष्टि आपका अधिकार      Publish Date : 15/07/2025

                     आपकी दृष्टि : आपका अधिकार

                                                                                                                                                     डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

जैसे-जैसे हमारी उम्र चालीस के पार होती है, हमारे शरीर में विभिन्न प्रकार के परिवर्तन आने लगते हैं और धीरे-धीरे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों की कार्यक्षमता भी कम होने लगती है। उदाहरण के लिए जैसे किसी व्यक्ति को कभी चश्मे की आवश्यकता न पड़ी हो, तो उसे पढ़ने के लिए ठीक 40 वर्ष के बाद से प्रेसवाओपिया या पढ़ने के लिए चश्मे की आवश्यकता होनी शुरू हो जाती है। इनमें से कुछ रोग उम्र के साथ शरीर में उत्पन्न होते हैं और कुछ रोग आनुवांशिक भी होते हैं।

जी हाँ, इसमें आपकी जीवन शैली, जैनेटिक मेकअप भी आपकी आँखों को प्रभावित करते है। गठिया बाय, ब्लड प्रेशर या उच्च रक्तचाप, डायबीटिज, ग्लुकोमा, मायोपिया, ऐज रिलेटिड मैक्यूलर डीजेनरेशन ऐसी ही कुछ बीमारियाँ हैं। हालांकि अब अधिकतर बीमारियों की समय रहते रोकथाम एवं निदान सम्भव है। बढ़ती उम्र के साथ आँखों की देखभाल एवं 40 वर्ष के बाद हर साल आँखों की सम्पूर्ण जाँच या कॉम्प्रिहेंसिव आई एग्जामिनेशन अनिवार्य रूप से करवाना चाहिए। समय रहते समस्या की पहचानकर इसका उपचार आपको और आपके अपनों को दृष्टिहीनता से काफी हद तक बचा सकता है।

                                                              

स्वस्थ आहार (हरी और पीली सब्जियां, मछली) धूम्रपान से परहेज, टीवी/मोबाइल का सीमित उपयोग, मधुमेह व रक्तचाप का नियंत्रण, सूरज की तेज रोशनी से आँखों का बचाव और योग इत्यादि सभी जीवनशैली से जुड़े नेत्र रोगों की रोकथाम के लिए जरुरी हैं। आँखों में होने वाली कुछ समस्याएं निम्न प्रकार से हैं-

(1) सफेद मोतियाबिंद (Cataract): प्राकृतिक लेंस के धुंधले हो जाने से चौंध लगना, चश्मा बार-बार बदलना, धुंधला दिखना आदि उम्र के साथ होने वाली एक सामान्य गतिविधि है। इस समस्या का निदान सर्जरी द्वारा लैंस निकालकर उसकी जगह एक कृत्रिम लैंस (आई ओ एल) लगाने से आपकी आँखों की रोशनी वापस आ जाती है और यह अब एक सटीक और सुरक्षित प्रक्रिया होती है।

(2) ग्लूकोमा (Kala Motia): यह एक मूक दृष्टि चोर कहा जाता है और यह किसी भी समय उत्पन्न हो सकता है। अतः आप अपनी आँखों के प्रति पूरी सजगता बरतें, जिससे कि आँखों में होने वाली किसी भी समस्या की समय रहते ही पहचान हो सके और उसका उचित उपचार किया जा सके। ऐसा करने से आपकी आँखों की रोशनी बनी रहेगी और आप अपने जीवन का भरपूर आनंद ले सकेंगे।

लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।