फैटी लीवर की समस्या और इसका समाधान      Publish Date : 14/07/2025

           फैटी लीवर की समस्या और इसका समाधान

                                                                                                                                                डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

फैटी लिवर (हेपेटिक स्टीटोसिस) की समस्या के होने पर लिवर की कोशिकाओं में अतिरिक्त फैट जमा हो जाता है और उचित उपचार के न मिलने पर यह बीमारी नॉन अल्कोहलिक स्टीटोहेपेटाइटिस, फाइब्रोसिस, सिरोसिस और यहां तक कि लिवर कैंसर का रूप भी ले लेती है। इसके गंभीर मामलों में लिवर अपने सामान्य काम करना बंद कर देता है, जिसके बाद लिवर ट्रांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प बचता है। इसके अलावा उन लोगों को भी फैटी लिवर की समस्या हो सकती है, जो अल्कोहल का सेवन नहीं करते हैं।

इसे नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (एनएएफएलडी) कहते हैं। इस बीमारी का कोई अभी तक सटीक उपचार उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन जीवनशैली और खानपान में कुछ बदलाव करके इसके नुकसान को रोकने या ठीक करने में आपको मदद मिल सकती है। शरीर में लिवर का काम भोजन और पेय पदार्थों से पोषक तत्वों को संसाधित करना और रक्त से विषैले पदार्थों को फिल्टर कर शरीर से बाहर निकालना है।

                                               

लिवर के फैटी होने के कारणः अल्कोहल के अत्यधिक सेवन, मोटापा, हाई कोलेस्ट्रॉल की स्थिति और टाइप 2 डायबिटीज आदि के कारण फैटी लिवर का खतरा काफी अधिक बढ़ जाता है। इसके अलावा अधिक मात्रा में तेल और वसा युक्त भोजन करने, शरीर का वजन अधिक होने, इन्सुलिन प्रतिरोध होने पर, रक्त में कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स का उच्च स्तर, तेजी से वजन कम होने से भी फैटी लिवर की समस्या हो सकती है। फैटी लिवर के विकास में आनुवंशिक प्रवृत्ति की भी भूमिका अहम होती है। अल्कोहल का अत्यधिक सेवन, फिजिकल एक्टिविटी की कमी, मोटापा और खराब जीवनशैली के चलते फैटी लिवर की समस्या हो सकती है।

लक्षणों की अनदेखी न करें: फैटी लिवर होने पर पेट के ऊपरी दाहिने भाग में हल्का दर्द या बेचैनी महसूस हो सकती है। इसके अलावा पेट में भारीपन और जल्दी थकान एवं कमजोरी महसूस करना, भूख न लगना, त्वचा और आंखों का पीला पड़ना, वजन कम होना, पीलिया, पेट, पैरों और पंजों में सूजन दिखाई दे सकती है। यदि आप इन लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं तो चिकित्सक से सलाह जरूर लें।

कैसा लें आहारः फैटी लिवर से बचने के लिए आप फल, सब्जियां, साबुत अनाज, प्रोटीन और स्वस्थ वसा से भरपूर संतुलित आहार का सेवन करें। मीठे पेय पदार्थों, मिठाइयों और उच्च ट्रांस वसा वाले प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें। फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों, जैसे- फलियां, और साबुत अनाज लिवर की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। इसके अलावा एवोकाडो, नट्स, बीज को आहार में शामिल करें। पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं। अधिक से अधिक ताजा जूस, जैसे- नारियल पानी या नींबू पानी पीएं।

धीरे-धीरे वजन कम करें: तेजी से वजन घटाने से फैटी लिवर की समस्या बढ़ सकती है। इसलिए आहार और व्यायाम से प्रति सप्ताह 1-2 पाउंड वर्जन धीरे-धीरे और स्थायी रूप से कम करने का लक्ष्य रखें। शरीर के वजन में 5-10 प्रतिशत की कमी भी लिवर के स्वास्थ्य में काफी सुधार कर सकती है। इसलिए धीरे-धीरे वजन घटाने के तरीकों को अपनाएं। नियमित व्यायाम, जैसे- तेज चलना, साइकिल चलाना या तैराकी जरूर करें।

आदतों में जरूरी बदलावः अल्कोहल को सेवन न करें। दवाओं का इस्तेमाल डॉक्टर के निर्देशानुसार ही करें और उन दवाओं से बचें, जो लिवर को नुकसान पहुंचा सकती हैं। यदि आपको मधुमेह है तो रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित रखें। स्वस्थ कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बनाए रखने के लिए आहार, व्यायाम और यदि आवश्यक हो तो दवाओं का इस्तेमाल चिकित्सक की सलाह के बाद करें। जीवनशैली में बदलाव लाकर या आवश्यक हो तो दवाइयों के माध्यम से रक्तचाप को सामान्य सीमा में बनाए रखें। समय-समय पर रक्त परीक्षण से लिवर एंजाइम के स्तर और उसके स्वास्थ्य पर नजर रखने में मदद मिल सकती है।

लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।