आयुर्वेद और नेचुरोपैथी टिप्स      Publish Date : 28/05/2025

                                     आयुर्वेद और नेचुरोपैथी टिप्स

                                                                                                                                                  डॉ0 सुशील शर्मा एवं मुकेश शर्मा

आयुर्वेदः हर्बल चाय से आराम

आयुर्वेद के विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि खान-पान में नमक का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए। नमक से दानों में खुजली की शिकायत होती है। अगर रोगी नमक खाना एकदम बंद कर दे तो खुजली नहीं होगी। आयुर्वेद के डॉक्टर भी इस बात से सहमति जताते हैं। वह यह सलाह भी देते हैं कि नहाने के लिए ठंडे पानी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। जब भी प्यास लगे तो पानी में दोहरी इलायची उबालें और वहीं पानी पिएं। इसके अलावा दूध में मुनक्का डालकर पीने से भी आराम मिलता है। अगर रोगी वयस्क है तो एक गिलास दूध में 8 से 10 और अगर रोगी बच्चा है तो एक गिलास दूध में 4 या 5 मुनक्के डालकर पीना चाहिए। खोरे और गाजर का सलाद दिन में एक बार जरूर खाना चाहिए। चाय में शहद, नींबू, दालचीनी मिलाकर पीने से भी आराम मिलता है। कम से कम तीन दिनों तक लेमन जूस जरूर पीना चाहिए। लेमन जूस शरीर की अंदर से सफाई करके सारी गर्मी खत्म कर देता है। जिस कमरे में चिकन पॉक्स का रोगी हो, वहां रोशनी हल्की होनी चाहिए, क्योंकि ज्यादा रोशनी रोगी की आंखों में चुभती है। आयुर्वेद में दागों की सफाई पर भी ध्यान दिया जाता है। कहा जाता है कि शहद या विटामिन-ई युक्त तेल दागों पर लगाया जाए तो दाग जल्दी खत्म हो जाते हैं।

नेचुरोपैथीः चीनी कम, संक्रमण बेदम

नेचुरोपैथी चिकन पॉक्स के दौरान खान- पान का खास खयाल रखने की सलाह देती है, ताकि इम्यून सिस्टम ठीक रहे और संक्रमण कम से कम हो। इसीलिए मरीज को रोज ताजे फल, सब्जियों के सेवन की सलाह दी जाती है। इंटरनेशनल नेचुरोपैथी आर्गेनाइजेशन के दिल्ली स्थित हेड-क्वॉर्टर के कोषाध्यक्ष और मोक्ष नेचरक्योर के सर्वेसर्वा डॉक्टर विनोद कश्यप बताते हैं कि मरीज को लिक्विड डायट खूब लेना चाहिए। पानी खूब पीना चाहिए। अगर खाने की इच्छा न हो तो जूस और सूप पीना चाहिए। चीनी से परहेज बताया जाता है। कारण चीनी से संक्रमण बढ़ सकता है। डॉक्टर विनोद सलाह देते हैं कि मीठा खाने काम न हो तो मिठास के प्राकृतिक स्रोतों का सेवन करना चाहिए। जैसे शहद, खजूर या सेब वगैरह खा सकते हैं। मरीज को ऐसी चीजें खिलाई जाती हैं, जिससे शरीर को विटामिन सी मिले।

होम्योपैथीः सही लक्षण बताएं

होम्योपैथी में लक्षणों के आधार पर दवा दी जाती है। रोगी जितनी स्पष्टता से लक्षण बताता है, इलाज उतना ही आसान हो जाता है। जो मरीज लक्षण सही से नहीं बता पाते, उनके इलाज में देरी होती है। डॉक्टर आपसे आप की मानसिक अवस्था के बारे में भी पूछ सकते हैं। किस तरह के विचार आते हैं, यह भी पूछ सकते हैं। इसके अलावा नाक से सबंधित भी कई सवाल पूछे जा सकते हैं, जैसे नाक बंद है या बह रही है।

लेखकः डॉ0 सुशील शर्मा, जिला मेरठ के कंकर खेड़ा क्षेत्र में पिछले तीस वर्षों से अधिक समय से एक सफल आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में प्रक्टिस कर रहे हैं।