
गर्मियों में आंखों में जलन होना Publish Date : 23/05/2025
गर्मियों में आंखों में जलन होना
डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा
आप तेज धूप में निकले और आपकी आंखें लाल हो गई और उनमें खुजली भी होने लगी। आपने उन्हें हाथों से रगड़ दिया और फिर आंखों से पानी बहने लगा। जानकार कहते हैं कि यह सही तरीका नहीं है, तो फिर आपकों ऐसे में क्या करना चाहिए?
धूप, पसीना और लू के थपेड़े आदि गर्मियों का मौसम अपने साथ लेकर आता है, जिससे शरीर के साथ-साथ आखों पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। आंखों की समस्या होने पर बार-बार आंसू आना, बाहर से आने के बाद आंखें लाल होना, धूप में ठीक से देख न पाना, धूल-मिट्टी के कारण आंखों में जलन और खुजली, आंखों में सूखापन तथा आंखों से कीचड़ आना जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं। इसके अलावा सूरज की पराबैंगनी किरणें भी आंखों की कोशिकाओं को नुकसान भी पहुंचा सकती हैं, जिससे फोटो केराटाइटिस और टेरिजियम जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं।
ड्राई आई सिंड्रोम: यह समस्या तब होती है, जब आंखें नम रहने के लिए पर्याप्त आंसू का उत्पादन नहीं कर पाती है। इसे आंखों में चुभन, जलन या खुजली होने लगती है। इसके अलावा कुछ लोगों में प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता का भी खतरा हो सकता है। अगर समय रहते इसका उचित इलाज न किया जाए तो धुंधला दिखाई देने और आंखों की रोशनी कम होने का खतरा भी हो सकता है।
संक्रमणः तापमान में बदलाव होने, धूल, पराग कणों और प्रदूषण के कारण कुछ एलर्जी प्रतिक्रियाएं आंखों को प्रभावित करती हैं। संक्रमण होने से आंखों में लालिमा, खुजली, जलन होती है। यूवी किरणों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से मोतियाबिंद और पलक के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
कंजंक्टिवाइटिसः कंजंक्टिवाइटिस होने पर वायरस या बैक्टीरिया के कारण आंख के सफेद हिस्से में सूजन हो जाती है। वायरल कंजंक्टिवाइटिस एडेनो वायरस के कारण होता है। इसके लक्षणों में आंख में किरकिरापन महसूस होना, आंखों का लाल होना और आंखों से पानी निकलना आदि शामिल हैं। धूल, पोलन और पालतू जानवरों की फर या बाल से होने वाली एलर्जी के कारण एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस हो सकता है। आंखों में लालिमा, सूजन, खुजली, पानी निकलना, छींक आना और नाक बहना इसके आम लक्षण हैं।
स्वीमिंग पूल में धुएं, हवा या. क्लोरीन जैसे पदार्थों के कारण जलन पैदा करने वाले कंजंक्टिवाइटिस को इरिटेंट कंजंक्टिवाइटिस कहा जाता है। आंखों में लालिमा, दर्द और आंसू आना इसके कुछ प्रमुख लक्षण हैं। स्टैफिलोकोकस ऑरियस बैक्टीरिया के कारण बैक्टीरियल आंख को छूने से पहले अपने हाथों को अच्छी तरह से धो लें। ऐसा नहीं करने से कंजंक्टिवाइटिस होता है। इसके लक्षणों में आंखों में लालिमा, पीले या हरे रंग का पदार्थ निकलना, पलकें चिपक जाना (खासकर सोने के बाद) आदि शामिल होते है।
स्टाई आईः स्टाई आई, जिसे होर्डियोलम भी कहा जाता है। पलक पर एक लाल, गांठ होती है, जो आमतौर पर पलक के किनारे पर बनती है। यह एक जीवाणु संक्रमण होता है, जो पलक की तेल ग्रंथियों के अवरुद्ध और संक्रमण से होता है।
टेरिजियमः प्रभावित आंखों के साथ अल्ट्रावॉयलेट किरणो तेज धूप में घर से बाहर न निकले। अगर जरूरी काम से जाना ही पड़े तो यूवी-ए और यूवी की अवरोधक चश्मे का उपयोग करें। आंखों को छूने से पहले हाथ को साबुन और पानी के साथ अच्छी तरह धोएं। कॉन्टैक्ट लेंस का प्रयोग न करें। नेत्र रोग विशेषज्ञ की सलाह लेकर आई ड्रॉप डालते रहे। आंखों को रोजाना ठंडे पानी से धोए खासकर जब भी बाहर से आए। इससे एलजी को दूर करने में मदद मिलेगी।
स्वीमिंग पूल में मौजूद कलोरीन आखों में जलन पैदा कर सकता है। स्वीमिंग गॉगल्स पहनने से जलन कम हो सकती है। आखों को रगड़ने से बचें, इससे आंखों को नुकसान पहुंचता है। आंखों से जुड़ी किसी भी प्रकार की समस्या होने पर अविलम्ब चिकित्सक को दिखाएं।
विटामिन, जिंक और ओमेगा-3 फैटी एसिड
गर्मी में अक्सर लाखी में सूखापन या जलन की समस्या होती है. जिसमें विटामिन ए लाभकारी रहता है। गाजर पपीता, आम, पालक, शकरकंद, दूध और अंडे इसके अच्छे स्रोत है। विटामिन सी आंखों को संक्रमण से बचाता है। नींबू आवला, संतरा, अमरूद टमाटर और हरी मिर्च में यह विटामिन पाया जाता है। विटामिन ई उम्र से जुड़ी आखों की समस्याओं से बचाव करता है। बादाम और सूरजमुखी के बीज, मूंगफली, एवोकाडो और हरी पत्तेदार सब्जियों को डाइट में शामिल करें। ओमेगा 3 फैटी एसिड और जिंक के लिए अखरोट, अलसी के बीज, चिया सीड, बादाम, दालें, कद्दू के बीज और तिल का सेवन करें।
धूप के सीधे संपर्क में आने से टेरिजियम की समस्या बढ़ जाती है। यह परेशानी उन लोगों को अधिक होती है, जो अपना ज्यादा समय धूप में बिताते हैं। इसमें आंखों के भीतर की कोशिका में वद्धि होने लगती है. जिससे देखने में परेशानी होती है।
निर्जलीकरण न होने दें: गर्मी के कारण निर्जलीकरण का खतरा बना रहता है, जिससे आंखों में आंसू का उत्पादन भी कम हो जाता है। इस समस्या से बचने के लिए पानी पीते रहे। इसके अलावा एसी के सीधे संपर्क से भी बचें। ओमेगा-3 फैटी एसिड और विटामिन्स के सेवन से आंखों को स्वस्थ रखने तथा गर्मी के दुष्प्रभावों से बचने में मदद मिल सकती है।
लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।