
खूबसूरती पाने में मेडिकल साइंस का योगदान Publish Date : 12/05/2025
खूबसूरती पाने में मेडिकल साइंस का योगदान
डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा
आप अपने शहर के किसी भी नामचीन ब्यूटी कलीनिक में चले जाइए! वहां आपको मिस्टर ‘ए’ अपने माथे की तीन लकीरों को हटाने के लिए इंजेक्शन लगवाते मिलेंगे। मिस्टर ‘बी’ अपने पेट का फैट गलाने के लिए सर्जरी करवाते मिलेंगे और मिस्टर ‘सी’ अपनी आंखों के इर्द-गिर्द जमी झुर्रियों में फिलर की परत चढ़वाते हुए मिल जाएंगे। हालांकि वहां ए, बी या सी की जगह दूसरे लोग भी हो सकते हैं। समस्याएं और समाधान सबके लगभग एक जैसे ही होते हैं। समस्याएं कुल मिलाकर ऐसी होती है जैसे, चेहरे या शरीर के दूसरे हिस्सो पर अतिरिक्त चर्बी चढ़ गई है, जो देखने में नहीं लगती है, आंखों के नीचे की त्वचा झूलने लगी है या झाइयां हो गई हैं, जिरासे उम्र कई साल ज्यादा बड़े लगते है, माथे पर तीन ऐसी लकीरें पसर गई हैं, जो देखने वाले को हमेशा आपके गुस्से में होने का अहसास कराती हैं। समाधान कुछ इस तरह के है. बोटोलस के ईनेक्शन लेकर माथे की लकीरों को सदा के लिए मिटाया जा सकता है।
फिलर आजमाने से त्वचा में कसाव आ जाता है। लाइपी सेक्शन कराने से अतिरिक्त चीं कुछ घंटों में गल जाती है। मैक्स हेल्थ केयर के इंस्टीटयूट ऑफ एस्थेटिक एण्ड सेकंस्ट्रक्टिव सर्जरी के डायरेक्टर डॉक्टर सुनील चौधरी कहते हैं, खूबसूरती की ये मेडिकल तकनीक पहले भी थीं, लेकिन तब इनका इस्तेमाल एक्टर, मॉडल व हाई प्रोफाइल लोग करते थे। या फिर महिलाएं इन्हें आजमाती थीं। आज स्थिति यह है कि चालीस पार के गंध्यगवयीय पुरुष इन तकनीकों का इस्तेमाल करके खूबसूरत बन रहे है। इसके लिए वे अस्पतालों या ब्यूटी सेंटरों में जाकर कॉस्मेटिक सर्जन की मदद ले रहे हैं। ऐसा केवल दिल्ली जैसे महानगर में नहीं हो रहा। भारत के बी-टाउनवासी मसलन लखनऊ, कानपुर, आगरा और मेरठ जैसे नगरों के लोग भी इनका इस्तेमाल कर रहे हैं। मेरठ स्थित लॉरिट ब्यूटी पार्लर की सर्वेसर्वा नविता जैन कहती हैं, ‘पार्लर आने वाला हर तीसरा ग्राहक चालीस के ऊपर का कोई पुरुष होता है, जीयोटीक्स जैसे इंजेक्शनों की मदद से अपना माथा सपाट करना चाहता है।
फिलर के इंजेक्शन लगवाकर मुस्कराहट संवारता है, मशीनों की सहायता से चेहरे का अतिरिक्त फैट गल जाता है या लेजर थेरेपी से चेहर के अतिरिक्त बाल हमेशा के लिए हटवा देता है। नौकरी पेशा से लेकर बिजनेस मैन तक के लोग तकनीक की मदद से खूबसूरत बन रहे हैं। ऐसा करने के लिए उनके पास कई वजहें भी होती हैं।
आगरा स्थित ब्यूटी सेंटर नस्ट मोनिया 201 की संचालिका सोनिया कहती है, ‘कोई इसलिए’ इन थेरेपीज का इस्तेमाल करता है, क्योंकि उसे कॉरपोरेट मीटिंग में युवा दिखना है। कोई इसलिए इनका इस्तेमाल करता है, क्योंकि उसे बेटे की शादी की तस्वीरों में सुंदर दिखना है।
सुंदर दिखने को मध्यमवगीय पुरुषों की ये कवायद काफी अच्छा ही है, मगर चिंता की बात यह है कि खूबसूरती की ललक में वे कई बार कुछ गलतियां भी कर देते हैं। ऐसी गलतियां जो उनकी उनकी सेहत के लिए भारी हो सकती हैं। डॉक्टर सुनील कहते हैं, ‘कई लोग विज्ञापन वगैरह पढ़कर ऐसे व्यूटी सेंटर चले जाते हैं, जहां कोई कॉस्मेटिक सर्जन या डर्मेटोलॉजिस्ट नहीं होता, बल्कि ब्यूटी एक्सपर्ट खुद ही इन तकनीक की मदद से लोगों की समस्याएं दूर करते हैं। ऐसे लोग अक्सर कठिन रागस्याओं का शिकार हो जाते हैं। डॉक्टर सुनील को मानें तो केवान डरमॅटोलॉजिस्ट या कॉस्मेटिक सर्जन को ही अधिकार है कि यह मोटोग्ला, फिलर के इंजेक्शन दे सके या लाइयो सेक्शन भे रेपीदेस को। दरअसल इन में कई तरह की बारीकियों का ध्यान रखना होता है। मसलन अगर बोटोक्सा का इंजेक्शन दिया जा रहा है तो हर मरीज के हिसाब से उसको डोज तय होती है।
डॉ. सुनील कहते है, अगर डोज गलती से ज्यादा हो गई तो मरीज को पैरालिसिस तक हो सकता है। इसी तरह से सर गंगाराम अस्पताल के फॉस्मेटिक सर्जन जियेक कुमार की मानें तो लाइपोरो क्या न करते समय जरा सी चूक शरीर में फैट को असंतुलित कर सकती है। इसलिए केवल एक्सपर्ट की राय से ही इन तकनीकों का इस्तेमाल करना चाहिए।
इसी तरह से इन तकनीकों के इस्तेमाल के बाद कई खास सावधानियों की दरकार होती है, तभी इनका असर देर तक टिकता है। डॉक्टर विवेक कहने हैं, एक्सपर्ट डायट में कई तरह के बदलाव बताते हैं, जिनका पालन बहुत जरूरी होता है। जैसे जितने विटामिन और कैलोरी बताई जाएं, उतनी ही लेनी चाहिए। इसी तरह से लाइपो सेक्शन लोग मोटापे से निजात के लिए करते हैं। तो खान-पान में कुछ चीजों से परहेज करना होता है।
अगर इस तरह की एहतियात के तौर पर भरती जाएं तो ये तकनीक काफी फायदेमंद रहती हैं और देर तक टिकती है। लेकिन अगर थोड़ी बहुत चूक हो जाए तो इन सारे ट्रीटमेंट के कई साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं। सोनिया बताती है कि ऐसा ऐसा नहीं है कि ये ब्यूटी ट्रीटमेंट पूरी तरह से नुकसान रहित है। वह कहती हैं, ‘हर तरह की कॉस्मेटिक्स सर्जरी के देर-सवेर साइड इफेक्ट होते हैं। इन ट्रीटमेंट के साथ भी ऐसा ही है।’ स्तेमाल करते हैं, कर्ड लोग कभी-कभार ही इनका इस्तेमाल जैसे ढलती उम्र में दो से तीन चार बार करें तो उन्हें नुकसान नहीं होता। लेकिन कई लोग कम उम्र जैसे 35 साल से ही इनका इस्तेमाल शुरू कर देते हैं और अक्सर ये ट्रीटमेंट लेते हैं। ऐसे लोगों को कई तरह के साइड इफेक्ट हो सकते हैं। सोनिया बताती हैं कि कई चार जिस हिस्से पर ट्रीटमेंट दिया गया है, उसके आस- पास की त्वचा संक्रमित हो जाती है। त्वचा पर लाली आ जाती है। छोटे-छोटे दाने उभर आते हैं। त्वचा रुखी-सूखी ही जाती है।
ये हैं सबसे ज्यादा लोकप्रिय ट्रीटमेंट
बोटोक्स के इंजेक्शनः इन्हें मसल्स में लगाया जाता है। इनका इस्तेमाल त्वचा पर उभरी लकीरों झुर्रियों को मिटाने के लिए किया आता है। इससे उम्र कम लगने लगती है। 18 से 65 साल के लोग इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। इसका असर थोड़े समय के लिए होता है।
लेजर थेरेपीः एवनेट्रीटमेंट, त्वया के दाग-धब्बे मिटाने, गड्ढे मिटाने के लिए मशीनी किरणों का किया जाता है। इस्तेमाल चेहरे से अतिरिक्त बाल हटाने के लिए भी इस ट्रीटमेंट का इस्तेमाल होता है। सावधानियां बरती जाएं तो लंबे वक्त तक इसका असर रहता है।
फिलर्सः ये भी एक तरह के इंजेक्शन होते है, जो त्वचा में कसाव लाने और झुर्रियां मिटाने के लिए लगाए जाते हैं। ये बोटोक्स से इस मायने में अलग होते हैं कि वे त्वचा की ऊपरी सतह को छूते है. अंदर तक नहीं जाते।
लाइपोसेक्शनः मोटापे से परेशान लोग इस तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। इसमें छोटी सी सर्जरी के जरिप पेट या शरीर के दूसरे हिस्सों के फैट को गलाया जाता है।
लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।