
बीमारी की जड़ ‘‘हसल कल्चर’’ Publish Date : 07/05/2025
बीमारी की जड़ ‘‘हसल कल्चर’’
डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा
आजकल लोग सफलता पाने के लिए ज्यादा से ज्यादा काम करते हैं। ज्यादा काम और कम आराम की वजह से उनकी शारीरिक और मानसिक सेहत प्रभावित होने लगती है। डॉक्टर इस स्थिति को ही ‘‘हसल कल्चर’’ कहते हैं।
ऑफिस में देर तक काम करना, बिना छुट्टी के काम में लगे रहना या वीकेंड्स पर भी लैपटॉप खोलकर काम करना आज के समय की पेशेवर जरूरतें बन गई हैं। अगर आप भी ऐसा ही करते हैं तो आप ‘‘हसल कल्चर’’ का शिकार हो चुके हैं।
इस कल्चर में लोग पेशेवर लक्ष्यों को तेजी से और अधिक कुशलता से हासिल करने का प्रयास करते हैं। वहीं मैनेजमेंट की ओर से कर्मचारियों पर ज्यादा समय तक रुकने या ओवरटाइम करने का दबाव रहता है। उन्हें लगता है कि ज्यादा समय देने वाले कर्मचारी ही कंपनी के बारे में अच्छा सोचते हैं और वही आगे बढ़ सकते हैं।
सीनियर्स और साथ काम करने वालों द्वारा हमेशा एक-दूसरे को जीवन के किसी भी अन्य काम की तुलना में ऑफिस के काम को ही महत्व देने के लिए प्रोत्साहित करना भी इसका हिस्सा है। ऐसे माहौल में लोग ऑफिस और घर के बीच संतुलन नहीं बना पाते, जिससे पारिवारिक समस्याएं पैदा होने लगती हैं।
कैसे हुई शुरुआत
औद्योगिक क्रांति के दौरान यह कल्चर काफी सार्थक साचित हुआ था। हालांकि इस मानसिकता ने आज की कार्य संस्कृति को गहराई से प्रभावित किया है, जो कि हमारे लिए अक्सर नुकसानदेह साबित होता है। वर्ष 1990 और 2000 के दशक की शुरुआत में उद्यमशीलता में उछाल ने ‘‘हसल कल्चर’’ की नींव रखी। उद्यम-पूजी वित्त पोषण के उदय ने सिलिकॉन वैली में प्रौद्योगिकी दिग्गजों का निर्माण करने में मदद की। इन हाई प्रोफाइल सफलताओं ने उत्तरी कैलिफोर्निया को नवाचार और उद्यमशीलता के लिए वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित किया।
अनिद्रा की समस्या
‘‘हसल कल्चर’’ का सबसे अधिक प्रभाव नीद पर पड़ता है। ऐसा देखा गया है कि लोग काम के चक्कर में पर्याप्त मात्रा में नींद नहीं ले पाते है, जिससे उनमे धीरे-धीरे अनिद्रा की समस्या पैदा हो जाती है और फिर बाहर आकर भी उन्हें नींद नहीं आती। यहां तक कि सोते समय भी वे काम के बारे में ही सपने देखते है। नींद की कमी से मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, दिल का दौरा और स्ट्रोक का आदि खतरा बढ़ जाता है। इसलिए नीद से समझौता नहीं करना चाहिए।
दिल को भी खतरा
बिना आराम के काम करते रहने से दिल प्रभावित होता है। अगर यह स्थिति अधिक समय तक बनी रहे तो दिल के गंभीर रोगों का जोखिम बढ़ जाता है। इसके अलावा पर्याप्त नींद न लेने अनियमित दिनचर्या और गलत खानपान से मोटापा बढ़ जाता है. जिसका दिल पर बुरा प्रभाव पड़ता है। कार्टिसोल हॉर्मोन के बढ़ने से दिल की कार्यप्रणाली पर असर पड़ता है। ध्यान न देने पर हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट जैसे खतरे भी बढ़ जाते है।
बचाव के उपाय
काम के प्रति समर्पित रहना अच्छी बात है, लेकिन संतुलन बनाना भी उतना ही जरूरी है। इसलिए काम के साथ-साथ सामान्य जीवन में संतुलन के साथ आगे बढ़ना चाहिए। ध्यान रखें कि खुद को सफलता की अंधी दौड़ का हिस्सा न बनने दें, क्योंकि सफलता का असली अर्थ केवल संपत्ति अर्जित करना नहीं है, बल्कि अच्छी सेहत और पारिवारिक संबंधों के बीच संतुलन बनाना भी उतना ही जरूरी है। अगर आपको लगे कि आप भी ‘‘हसल कल्चर’’ का शिकार हो रहे हैं. आपकी सेहत बिगड़ रही है आप अक्सर तनाव में रहते हैं, तनाव के कारण आपके संबंध पारिवार और मित्रों से खराब हो रहे हैं और आप चाहकर भी इस कल्चर से निकल नहीं पा रहे हैं तो मनोवैज्ञानिक से मिलकर कांउसलिंग भी ले सकते हैं।
दुष्प्रभाव भी जान लें
थकान के बाद भी लगातार काम करते रहने से कुछ समय बाद इस कल्चर के दुष्प्रभाव दिखाई देने लगते हैं, जो संकेत होते हैं कि आप ‘‘हसल कल्चर’’ के दुष्प्रभावों से घिर चुके है और आपको जल्दी इससे बाहर निकलने का प्रयास करना होगा। इसके लक्षणों पर नजर रखना बहुत जरूरी है। “हसल कल्चर” के कारण आप बर्नआउट का शिकार भी हो सकते है। बर्नआउट होने पर शारीरिक और मानसिक रूप से अत्यधिक थकान हो जाती है।
इससे मस्तिष्क की कार्यक्षमता प्रभावित होती है और निर्णय लेने में परेशानी होने लगती है। बिना आराम के लगातार काम करते से एग्जाइटी का खतरा बढ़ जाता है। इससे कई बार अपराधबोध भी होने लगता है और हार जाने या कुछ खोने का डर भी सताने लगता है। यह स्थिति आगे चलकर अवसाद का कारण भी बन सकती है. इसलिए इनको मामूली न समझे।
क्या करें
हसल कल्चर के बुरे प्रभाव से बचने के आप छोटे-छोटे ब्रेक लें। कुछ समय के लिए डेस्क से दूर चले जाएं। टहलें और हल्का संगीत सुनें। इससे तनाव को कम करने में मदद मिलेगी। काम के साथ-साथ आराम को भी महत्व दें। इसके अलावा वीकेंड्स में किताबें पढ़ें, घूमने जाएं या दोस्तों के साथ समय बिताएं।
लंबी छुट्टियां तनाव को कम कर सकती है और बर्नआउट को बढ़ने से रोक सकती है। इसलिए छुट्टी लेकर कहीं घूमने जाएं। स्वस्थ रहने के लिए व्यायाम करें। आप चाहे तो योग या ध्यान भी कर सकते है।
इससे आपकी शारीरिक और मानसिक सेहत, दोनों दुरुस्त रहती है। इसके अलावा आप ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज प्रोटीन और हेल्दी फैट्स का सेवन करें। पर्याप्त पानी पीएं और समय पर भोजन करें। चाय-कॉफी का सेवन कम से कम करें। हर रात 7-8 घंटे की अच्छी नींद लेने का प्रयास करें।
लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।