खतरनाक है एक्सरसाइज का एडिक्शन      Publish Date : 05/05/2025

                 खतरनाक है एक्सरसाइज का एडिक्शन

                                                                                                        डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

आप घर पर एक्सरसाइज करें या फिर जिम जाकर वर्कआउट करें, लेकिन जरूरत से ज्यादा एक्सरसाइज करने से आपको कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कितनी एक्सरसाइज करनी चाहिए?

शुरुआत में कड़े व्यायाम से बचें

                                           

वर्कआउट के दो सेशन के बीच में पर्याप्त आराम जरूर करें। अपनी एक्सरसाइज भी क्षमता को धीरे-धीरे बढ़ाएं। अपनी क्षमता से ज्यादा और किसी एक्सपर्ट की सलाह के बिना एक्संसिय वर्कआउट न करें। एक हफ्ते में कम से कम 5 दिन चाहिए। अगर आपने वर्कआउट करने की शुरुआत ही की है तो शुरू में आपको ज्यादा कडे व्यायाम करने से बचना चाहिए। एक घंटे से अधिक एक्पारसाइज करने से बचना चाहिए। अगर आप लंबे समय से जिम जाते हैं या रेगुलर एक्सरसाइज करते हैं, तो अचानक इसे बंद करने से भी आपको बचना चाहिए।

सेहतमंद रहने के लिए कुछ लोग घर पर एक्सरसाइज करते हैं तो कुछ जिम में घंटों पसीना बहाते हैं। लेकिन जल्दी फिट होने और परफेक्ट बॉडी पाने की चाहत में वे लोग अत्यधिक एक्सरसाइज करने लगते हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि ज्यादा एक्सरसाइज उन्हें फिट रखने में मदद करेगी, लेकिन सच्चाई इसके विपरीत है। अत्यधिक एक्सरसाइज पाइंटेस वर्कआउट की वजह से शारीरिक और मानसिक सेहत पर बुरा प्रभाव भी पड़ सकता है।

शारीरिक और मानसिक समस्याएं

                                      

ओवर वर्कआउट करने से मांसपेशियों में खिंचाव और असहनीय दर्द हो सकता है। इसके अलावा इससे शरीर में हॉर्मोनल असंतुलन का खतरा भी बना रहता है, जिससे हमेशा थकान महसूस होती है। यही नहीं, इससे कोर्टिसोल हॉर्मोन का स्तर भी बढ़ जाता है, जिससे मन में अशांति और तनाव होने लगता है। ओवर वर्कआउट से ब्लड प्रशर बढ़ता है, जिससे हृदय को नुकसान पहुंच सकता है।

ओवर वर्कआउट के कारण शरीर में हॉर्मोनल बदलाव आते हैं, जिससे भूख कम लगती है। इसका सबसे ज्यादा असर रोग प्रतिरोधक क्षमता पर पड़ता है। ओवर वर्कआउट से हड्डियों पर लगातार दबाव पड़ता है, जिससे व्यक्ति को स्ट्रेस फ्रैक्चर हो सकते हैं। स्ट्रेस फ्रैक्चर बाद में गंभीर चोटों में बदल सकते हैं। वर्कआउट के दौरान शरीर में एड्रेनालाइन हॉर्मोन निकलता है, जिससे नींद न आने और थकान के साथ मूड स्विंग और चिड़चिड़ेपन की समस्या पैदा होती है। साथ ही एंग्जायटी, डिप्रेशन, गुस्सा आना जैसी परेशानियां भी झेलनी पड़ सकती हैं।

                                     

कैसे करें पहचान: वर्कआउट के बाद मांसपेशियों की सूजन तीन-चार दिन से ज्यादा नहीं रहनी चाहिए। इसके अलावा बार-बार बीमार पड़ना, ओवर वर्कआउट के संकेत होते हैं। वर्कआउट के दौरान अगर आपको बार-बार इंजरी हो रही है तो इसे नजरअंदान न करें। लगातार थकान, चिड़चिड़ाहट और एनर्जी कम रहने का मतलब है कि वर्कआउट जरूरत से ज्यादा हो रहा है।

वर्कआउट शुरू करते ही मसल्स का थक जाना, लगातार एक्सरसाइज करने से लोगों का रेस्टिंग हार्ट रेट कम हो जाता है, लेकिन ओवर वर्कआउट का उल्टा असर भी पड़ सकता है। रेस्टिंग हार्ट रेट का बढ़ना किसी गंभीर समस्या या कार्डिवेस्कुलर बदलावों की तरफ इशारा करता है।

जिम में एक्सरसाइज करने जा रहे हैं तो सबसे पहले वर्कआउट की सही तकनीक और पोजीशन सीखें। जरूरत हो तो किसी प्रशिक्षक (फिटनेस कोच) की मदद भी लें। वर्कआउट करने से पहले हमेशा सही तरीके से वार्मअप जरूर करें। जिम में एक्सरसाइज के दौरान और बाद में पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करें, ताकि डिहाइड्रेशन से बचा जा सके। अगर किसी एक्सरसाइज को करने से दर्द, अत्यधिक थकान या असहजता महसूस हो तो उसे तुरंत बंद कर दें। ये ओवर वर्कआउट के लक्षण हो सकते हैं।

जिम में वजन उठाते समय या स्ट्रेचिंग करते समय मांसपेशियों में खिंचाव हो सकता है। वजन उठाते समय अपनी सीमा का ध्यान रखें। अगर आपको हृदय से जुड़ी कोई समस्या है तो जिम में वर्कआउट करने से पहले चिकित्सक से सलाह जरूर लें। अत्यधिक गर्मी में एक्सरसाइज न करें।

क्या न करें: शरीर की क्षमता के अनुसार ही एक्सरसाइज या योग करें। अगर नींद पूरी नहीं हुई है या नींद से संबंधित कोई समस्या है तो एक्सरसाइज करने से परहेज करें। इसके अलावा शरीर में दर्द या सूजन होने पर भी एक्सरसाइज या वर्कआउट न करें। अगर पैरों में दर्द है तो हाथों की एक्सरसाइज कर सकते हैं. लेकिन अगर पूरे शरीर में दर्द है तो एक या दो दिन आराम करें।

दो हफ्ते या ज्यादा समय से थकान महसूस कर रहे हैं तो चिकित्सक से सलाह लें। बुखार होने पर एक्सरसाइज न करें, क्योंकि इससे शरीर के अंदर का तापमान बढ़ता है, जिससे हीलिंग प्रोसेस धीमा हो जाता है।

लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।