
नए मशीन एल्गोरिदम से हड्डियों के टूटने के खतरे और दिल की बीमारी की होगी पहचान Publish Date : 04/05/2025
नए मशीन एल्गोरिदम से हड्डियों के टूटने के खतरे और दिल की बीमारी की होगी पहचान
डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा
हड्डियों की सामान्य जांच कराने वाली 58 प्रतिशत बुजुर्ग महिलाओं में मध्यम से अधिक एएसी मिला, लेकिन उन्हें दिल की बीमारी के इस खतरे की जानकारी ही नहीं थी। एडिथ कोवन यूनिवर्सिटी की रिसर्चर कैसो स्मिथ ऑस्ट्रेलिया और कनाडा के वैज्ञानिकों ने एक नया एल्गोरिदम बनाया है, जो हड्डियों की सामान्य जांच के दौरान ही दिल की बीमारी और हड्डी टूटने के खतरे को जल्दी पहचान सकता है।
सिन्हुआ न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार यह तकनीक ऑस्ट्रेलिया की एडिथ कोवान यूनिवर्सिटी और कनाडा की पूनिवर्सिटी ऑफ मैनिटोचा के वैज्ञानिकों ने मिलकर बनाई है। इससे हड्डियों की जांच के दौरान ही अन्न गंभीर भीमारियो का पहले से पता लगाया जा सकेगा और बुजुर्ग लोगों की सेहत बेहतर हो सकेगी।
इस सिस्टम की खासियत यह है कि यह रीढ़ हड्डी की स्कैन इमेज (जिसे बीएफए कहा जाता है) देखकर पेट की मुख्य धमनी के कैल्सिफिकेशन (एएसी) की पहचान करता है। एएसी दिल के दौरे, न्ट्रोक और गिरने जैसे जोखिमों से जुड़ा होता है। पहले किसी विशेषज्ञ को एएसी के बारे में पता करने में 5-6 मिनट लगते थे। लंकिन इमेज को एक मिनट से भी कम समय में जांच सकती है। इससे बड़ी संख्या में लोगों की जल्दी जांच करना संभव होगा।
एडिथ कीवान यूनिवर्सिटी की रिसर्चर कैसेंडा स्मिथ के अनुसार, हड्डियों की सामान्य जांच कराने वाली 58 प्रतिशत बुजुर्ग महिलाओं में मध्यम से अधिक एएसी पाया गया, लेकिन उन्हें दिल की बीमारी के इस खतरे के बारे में जानकारी ही नहीं थी। उन्होंने बताया कि महिलाएं अक्सर दिल की बीमारी की जांच नहीं करा पाती और इसलिए इलाज भी नहीं हो पाता। चूंकि इस बीमारी के कोई लक्षण प्रकट नहीं होते, इसलिए यह समस्या अक्सर छुपी हुई ही रह जाती है।
अब इस नई तकनीक से हड्डियों की जांच करते समय ही इसका पता आसानी लगाया जा सकता है। एक और रिसर्चर मार्क सिम ने पाया कि एएसी न केवल दिल की बीमारी का संकेत है बल्कि यह गिरने और हड्डी टूटने का भी बड़ा कारण हो सकता है। उन्होंने कहा कि नया एल्गोरिदम पुराने तरीकों से अधिक तेज और सटीक जानकारी देता है।
उन्होंने कहा, ‘हमने पाया है कि जितना अधिक एएसी होता है, व्यक्ति के गिरने और हड्डी टूटने का खत्तरा उतना ही अधिक होता है। डॉक्टर आमतौर पर इस पर ध्यान नहीं देते, लेकिन यह नई तकनीक इस कमी को पूरा करती है।’ नतीजा यह है कि अब हड्डियों की जांच के दौरान ही मरीज की धमनी और दिल की सेहत की भी जानकारी मिल सकती है, जिससे हड्डी कमजोर होने पर गिरने के जेखिम या फ्रैक्चर का पहले ही पता लगाकर समय रहते इलाज किया जा सकता है।
लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।