
यकृत को स्वस्थ रखनें में खानपान की भूमिका Publish Date : 23/04/2025
यकृत को स्वस्थ रखनें में खानपान की भूमिका
डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा
वर्तमान की आपाधापी वाली जीवनशैली में बेतरतीब खानपान, जंकफूड और अनियमित जीवनचर्या सदैव यूवा रहने वाले हमारे लिवर को भी बीमार बना देती है। यही कारण है कि वर्तमान दौर में लिवर से सम्बन्धित समस्याएं भी दिन प्रति दिन बढ़ती ही जा रही हैं और विभिनन अध्ययन इस बात की पुष्टि भी करते हैं। इस बीच लिवर रोग विशेषज्ञ कहते हैं कि केवल अपनी खानपान की आदतों में ही आवश्यक सुधार लाकर हम लिवर से सम्बन्धित आधा से अधिक परेशानियों से निजात पा सकते हैं। अतः कहा जा सकता है कि ‘‘खाना ही दवाई है’’।
प्यारे लाल शर्मा, जिला अस्पताल मेरठ के फिजीशियन डॉ0 दिव्यांशु सेंगर कहते हैं कि खराब खानपान, अल्कोहल का सेवन, प्रोसेस्ड फूड और अनियति जीवनशैली के चलते लिवर को हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति की जा सकती है। असल में हमारे लिवर में अपने आप को ठीक करने की एक अद्भुत क्षमता होती है। अतः एक सही जीवनशैली और पोषण युक्त आहार के माध्यम से लिवर को दोबारा से स्वस्थ बनाया जा सकता है।
इसके लिए ताजे फल, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, साबुत अनाज और प्रोटीन युक्त डाइट के माध्यम से लिवर की बीमारियों को रोका जा सकता है और इसी के साथ यह लिवर के रिजनरेशन में भी भरपूर सहायता करते हैं। इस सम्बन्ध में डॉ0 सेंगर कहते हैं कि एक डॉक्टर के रूप में हमने देखा है कि लिवर का कोई भी मरीज जब स्वास्थ्य प्रदायक आहार ग्रहण करना शुरू कर देता है तो उसके लिवर के एंजाईम के स्तर में अपेक्षित सुधार होता है और लम्बी अवधि के दौरान इसके बहुत अच्छे परिणाम सामने आते हैं।
लिवर को स्वस्थ बनाए रखने के उपाय
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संतुलित आहारचर्या को अपनाएं।
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प्रोसेस्ड फूड्स एवं अधिक चीनी से परहेज करें।
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शराब का सेवन पूरी तरह से बन्द करें।
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डॉक्टर की सलाह के बिना कोई भी सप्लीमेंट, दवा और जड़ी-बूटी आदि का प्रयोग न करें।
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प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट तक नियमित रूप से व्ययाम करें।
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नियमित अंतराल पर हेपेटाइटिस बी और सी आदि की जांचें कराते रहें।
बच्चों के लिए भी बढ़ रहा है खतराः
न्यूट्रियंट्स जनरल में प्रकाशि हाल ही के एक अध्ययन बच्चों के मेटाबॉलिक डिस्फंक्शन को लेकर चिंता जताई गई है। उक्त अध्ययन में सामने आया है कि चीनी युक्त पेय पदार्थ और स्नेक्स बच्चों में मोटापे को बढ़ाने के साथ ही साथ उनके लिवर पर भी चर्बी बढ़ाते हैं। डॉ0 सेंगर के अनुसार खानेपीने की वस्तुओ में अब लेबलिंग सुधार करना बहु आवश्यक है। इसके साथ ही स्कूलों में भी पोषण युक्त खानपान को प्रोत्साहित करने के लिए अभियान चलाया जाना चाहिए।
- खानपीन में आवश्यक सुधार करने से ही लिवर की आधे से अधिक समसएं दूर हो जाती हैं।
- पीजीआई चंडीगढ़ में किए गए शोध में फैटी लिवर की समस्या लगभग 53 प्रतिशत तक बढ़ चुकी है।
प्रत्येक तीन मे से एक भारतीय को है फैटी लिवर डिजीज का खतराः
फ्रंटियर ऑफ न्यूट्रीशियन जर्नल में प्रकाशित किए गए एक अध्ययन के अनुसार अच्छा खानपान लिवर को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यूके बॉयोबैंक में 1.21 लाख लोगों के डाटा का विश्लेषण करने के बाद शोध्कर्ताओं को ज्ञात हुआ कि लगभग 16 प्रतिशत लोगों को क्रॉनिक लिवर डिजीज का खतरा है। वहीं लिवर ट्रांसप्लांटेशन सोसाइटी ऑफ इण्डिया के व निर्वाचित अध्यक्ष डॉ0 अभिदीप चौधरी के अनुसार प्रत्येक तीन में से एक भारतीय नागरिक को फैटी डिजीज का खतरा है और महत्वपूर्ण बात तो यह है कि अधिकाँश लोगों को इसका पता भी नहीं चल पाता है।
ऐसे लोगों में फैटी लिवर से जुड़े लक्षण काफी देरी से सामने आते हैं। हालांकि कई अध्ययनों य भी साने आया है कि कम आयु में लिवर के नुकसान की पूर्ति जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव कर समस्या को दूर किया जा सकता है। इसके लिए प्रभावित लोगों को घर में बने ताजा खाने को प्राथमिकता देने के अतिरिक्त उच्च शर्करा वाले पेय और जंक फूड से देरी बनाकर लिवर की बीमारियों के खते को भी कम किया जा सकता है।
विकृत जीवनशैली का प्रभाव
पीजीआई चंडीगढ़ के हेप्टोलॉजी विभाग के द्वारा किए गए एक अध्ययन में लगभग 1,000 स्वस्थ रक्त दाताओं में से 53 प्रतिशत लोगों में नॉन-एल्कोहालिक फैटी लिवर डिजीज के लक्षण पाए गए। इसके सम्बन्ध में विशेषज्ञों का कहना है कि हमारी जीवनशैली में आए परिवर्तन के चलते लिवर से सम्बन्धित बीमारियों में वृद्वि दर्ज की जा रही है। पीजीआई चंडीगढ़ के हेप्टोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ0 अजय डुसेजा ने बताय कि तनाव, मोटापा और खराब जीवनशैली इसके प्रमुख कारण हैं।
लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।