किडनी में पथरी की शिकायत खानपान पर रखे ध्यान      Publish Date : 25/03/2025

   किडनी में पथरी की शिकायत खानपान पर रखे ध्यान

                                                                                                         डॉक्टर दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

वर्तमान समय में आधुनिक खानपान के कारण किडनी में पथरी होना एक आम समस्या हो गई है, लेकिन इसका तुरंत इलाज बेहद जरूरी है। हालांकि, आप अपने खान-पान पर ध्यान देकर भी इस समस्या से निपट सकते हैं, लेकिन यदि पथरी का साइज बड़ा है तो तुरंत चिकित्सक से मिलकर इलाज करना चाहिए।

                                                

किडनी हमारे शरीर का एक अति महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह रक्त से अतिरिक्त पानी खनिज और अपशिष्ट पदार्थ का फिल्टर कर मूत्र के माध्यम से बाहर निकलती है। हालांकि इस दौरान अधिक सोडियम कैल्शियम और प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थ पानी की कमी और पर्याप्त फाइबर का अभाव किडनी में स्टोन यानी पथरी का कारण बन सकते हैं। ऐसे में अक्षर उलझन रहती है कि क्या खाएं और क्या न खाएं।

क्या होता है किडनी स्टोन

किडनी स्टोन तब होता है जब किडनी में छोटे ठोस पदार्थ जमा हो जाते हैं जो सामान्य मिनरल्स और साल्ट से बने होते हैं। इनमें कैल्शियम ऑक्सलेट यूरिक एसिड और फास्फेट जैसे तत्व शामिल होते हैं। पथरी आकार में छोटी से लेकर बड़ी हो सकती है और किडनी या मूत्र मार्ग में फंसकर दर्द एवं रक्त स्राव का कारण भी बन सकती है।

क्या होते हैं लक्षण और  बनने का कारण

                                               

किडनी में स्टोन बनने के मुख्य कर्म में पानी की कमी और स्वस्थ कर आहार उच्च कैल्शियम तथा ऑक्सलेट का सेवन और जिंक का प्रभाव शामिल है। वहीं जब किडनी में पथरी बन जाती है तो यह पेट या पीठ में तेज दर्द उल्टी और मूत्र में खून आने जैसी समस्याएं उत्पन्न कर सकती है। सही उपचार के लिए समय रहते डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए ताकि जटिलताओं को ध्यान में रखकर इलाज प्रारंभ किया जा सके।

स्टोन की शिकायत होने पर क्या खाएं और क्या न खाएं

पथरी के मरीजों के लिए सबसे जरूरी बात यह है कि वह अधिक से अधिक तरल पदार्थ का सेवन करें। खासकर अपनी और ताजा जूस जैसे नींबू और नारियल के पानी को पिए। नींबू में साइट्रिक एसिड होता है जो पथरी को नरम कर देता है और उसे मूत्र के माध्यम से बाहर निकलने में मदद करता है। साथ ही पथरी से बचने और उसे ठीक करने के लिए फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन जरूर करें।

इसके लिए पत्तेदार सब्जियां दलिया ओट्स और साबुत अनाज फाइबर से भरपूर होते हैं। यह शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकलने में मदद करते हैं। वहीं किडनी पथरी के मरीजों को कम सोडियम और प्रोटीन वाला आहार लेना चाहिए। अत्यधिक नमक का सेवन पथरी के आकार को बड़ा कर सकता है। इसलिए हरे पत्तेदार सब्जियां फल और काम बस वाले प्रोटीन स्रोत जैसे दाल तथा राजमा का सेवन करना चाहिए।

किडनी स्टोन को रोकने और प्रतिबंधित करने में आहार महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। किडनी स्टोन के प्रकार जैसे कैल्शियम ऑक्सलेट यूरिक एसिड के आधार पर आपको अपने आहार में परिवर्तन करने होते हैं। याद रखें इस दौरान आपको अधिक खनिज युक्त आहार का सेवन नहीं करना चाहिए। इसलिए अपने आहार में पोषक तत्वों की सही मात्रा का ध्यान रखें। आप इस दौरान ज्यादा से ज्यादा हाइड्रेट रहे और प्रतिदिन लगभग 2.5 से 3 लीटर पानी पिए। सिट्रेट युक्त नींबू संतरे और अंगूर का सेवन करें। साथ ही फल सब्जियां साबुत अनाज और पौधे आधारित प्रोटीन जैसे तने और बीस का सेवन करें। इसके साथ ही पैकेज्ड फूड से दूर रहे संतुलित टाइट प्लान बनाने के लिए स्वास्थ्य पेशेवर या आहार विशेषज्ञ से परामर्श ले सकते हैं।

स्टोन की समस्या होने पर क्या न खाएं

यदि आपकी किडनी में स्टोन की शिकायत है तो आप अधिक मात्रा में नमक और सोडियम का सेवन करने से बचें। अत्यधिक नमक से किडनी पर दबाव पड़ता है और पथरी बनने की आशंका बढ़ जाती है। प्रोसैस्ड फूड्स और पैकेज्ड स्नेक्स में अधिक मात्रा में सोडियम होता है, इसलिए इनसे परहेज करें। तला हुआ और अधिक मसालेदार खाना पाचन तंत्र को प्रभावित करता है और किडनी स्टोन के मरीजों की परेशानी को बढ़ा सकता है। इसके साथ ही मांसाहारी भोजन में प्रोटीन की अधिकता होती है जो किडनी पर दबाव डालती है।

ऑक्सलेट भी किडनी स्टोन का एक समान्य कारण है। इसलिए अधिक मात्रा में ऑक्सलेट युक्त खाद्य पदार्थ खाने से बचें जैसे कि पालक, चॉकलेट और नट्स, यदि आप इनका सेवन नियंत्रित मात्रा में करेंगे तो आप इस समस्या से बच सकते हैं।

प्यारे लाल शर्मा जिला अस्पताल, मेरठ के डॉक्टर दिव्यांशु सेंगर ने बताया कि यदि किडनी में पथरी का साइज बड़ा हो गया है तो आप अपने खान-पान पर ध्यान दें। साथ ही इसका इलाज भी तुरंत कर लें, जिससे आप स्वास्थ्य से संबंधित होने वाली अन्य समस्याओं से बचे रह सके।

लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।