अब महिलाओं में 40 वर्ष की आयु में ही हो रहा मीनोपॉज      Publish Date : 12/03/2025

अब महिलाओं में 40 वर्ष की आयु में ही हो रहा मीनोपॉज

                                                                                                                डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

वर्तमान समय में गलत खान-पान और गलत दिनचर्या के चलते महिलाओं में एनीमिया, ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर सहित दूसरी समस्याएं काफी बढ़ रही हैं। इनका समय पर निदान और इलाज न हो पाने के कारण रोग के गंभीर रूप लेने और इलाज में जटिलाओं का खतरा और भी बढ़ जाता है।

                                                

वैश्विक स्तर पर भी स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां काफी तेजी से बढ़ती जा रही हैं। पिछले एक दशक के आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि अब सभी उम्र के लोगों में हृदय रोग, डायबिटीज, कैंसर सहित कई अन्य प्रकार की बीमारियों का जोखिम तेजी से बढ़ता जा रहा है। आंकड़े बताते हैं कि वैश्विक स्तर पर, महिलाओं में शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं और तेजी से बढ़ी हैं, जिसके चलते स्वास्थ्य सेवाओं पर अतिरिक्त दबाव भी बढ़ता जा रहा है।

मेडिकल रिपोर्ट्स से पता चलता है कि चिंता और अवसाद जैसी मानसिक स्वास्थ्य सम्बन्धित समस्याओं से पीड़ित होने की आशंका पुरुषों की तुलना में महिलाओं में लगभग दोगुनी होती है। इसे भारत में रिपोर्ट की जाने वाली आत्महत्याओं में से 36.6 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है।  राजधानी दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान स्वास्थ्य विशेषज्ञों की एक टीम ने महिलाओं की सेहत से जुड़ी चुनौतियों की ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट किया है।

                                                      

कैंसर की जांच, मानसिक स्वास्थ्य सहित विभिन्न विषयों पर चर्चा के दौरान विशेषज्ञों ने बताया कि लापरवाही, सुविधाओं की अनुपलब्धता जैसे कारणों के चलते रोगों का इलाज करवाने में महिलाएं कहीं पीछे रह जाती हैं, जिसके कारण उनमें कई प्रकार की गंभीर बीमारियों के विकसित होने का खतरा अधिक देखा जाता रहा है। इन सब कीमारियों का उचित समय पर इलाज नहीं करा पाती हैं महिलाएं।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा, महिलाओं के स्वास्थ्य को अभी भी मुख्यरूप से जानकारी की कमी के कारण काफी हद तक नजरअंदाज किया जाता है, ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी भी एक बड़ी चुनौती रही है। हमें महिलाओं को उनके स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करने के लिए सशक्त बनाने के लिए व्यावहारिक बदलाव लाने की आवश्यकता है। डेटा एनालिटिक्स से संचालित सटीक डायग्नोस्टिक जल्दी पहचान और उपचार योजना को महत्वपूर्ण रूप से बेहतर बना सकता है।

ब्रेस्ट हो या सर्वाइकल कैंसर, इनका अगर समय रहते निदान और उपचार हो जाए तो रोग के गंभीर रूप लेने और रोगी की जान बचने की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है।

सुविधाओं की कमी होना भी एक बड़ी चुनौती

                                           

जनवरी के महीने में सुलभ सेनिटेशन मिशन फाउंडेशन ने एक सर्वे की रिपोर्ट में बताया गया था कि देश में महिला चिकित्सकों की कमी के चलते करीब 91 प्रतिशत महिलाएं मासिक धर्म और इससे संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं का परामर्श नहीं ले पाती हैं। मासिक धर्म के दौरान लड़कियों ने स्कूल के शौचालयों के उपयोग करने में डर की बात स्वीकार की है, क्योंकि इनकी गुणवत्ता बेहद खराब होती है। इसके कारण मासिक धर्म के दौरान बड़ी संख्या में लड़कियां स्कूल से अनुपस्थित ही रहती हैं।

समय से पहले रजोनिवृत्ति होना अपने आप में चिंताजनक

नेचर जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, पिछले दशकों की तुलना में अब महिलाओं में समय से पहले रजोनिवृत्ति देखी जा रही है जिसके कारण भी महिलाओं के स्वास्थ्य पर भी इसका गंभीर प्रभाव देखा जा रहा है।

भारत में 30 से 49 वर्ष की आयु की 15 प्रतिशत महिलाओं में रजोनिवृत्ति की स्थिति देखी जा रही है, जबकि इसका समय मुख्यरूप से 55 वर्ष के आसपास माना जाता रहा है। कुछ महिलाओं को 40 वर्ष की आयु से पहले भी इसका अनुभव हो रहा है।

समय से पहले रजोनिवृत्ति का होना एक महत्वपूर्ण और चिंता का विषय है, क्योंकि इससे हृदय, हड्डियों और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं भी बढ़ रही हैं। इस परेशानी के लिए कई प्रकार के पर्यावरणीय और लाइफस्टाइल से संबंधित स्थितियों को जिम्मेदार माना जा रहा है।

कुल मिलाकर असल बात यह है कि इस स्थिति गुजर रही महिलओं में अन्य स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियां भी अधिक देखने को मिल रही हैं। यह स्थिति आधी आबादी के लिए चिंता की स्थिति है।

लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।