
बेल फल: पोषण, स्वास्थ्य लाभ एवं ग्रामीण महिला उद्यमिता में भूमिका Publish Date : 16/06/2025
बेल फल: पोषण, स्वास्थ्य लाभ एवं ग्रामीण महिला उद्यमिता में भूमिका
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं अन्य
बेल फल: पोषण, स्वास्थ्य लाभ एवं ग्रामीण महिला उद्यमिता में भूमिका:– बेल (Aegle marmelos) एक पवित्र और औषधीय महत्व वाला फल है, जिसे भारत में प्राचीन काल से उपयोग में लाया जाता रहा है। यह एक बहुवर्षीय, मध्यम आकार का वृक्ष है, जो अत्यंत कठोर और सूखा-सहनशील होता है।
आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में बेल को एक “त्रिदोषहर” औषधि के रूप में जाना जाता है, अर्थात यह वात, पित्त और कफ– तीनों दोषों का संतुलन बनाए रखता है। बेल फल का उपयोग केवल औषधीय दृष्टि से ही नहीं, बल्कि इसके पोषण और प्रसंस्करण मूल्य के कारण भी अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। यह किसानों के लिए एक मूल्यवान फसल और महिलाओं के लिए आय सृजन का सशक्त माध्यम बन सकता है।
बेल का पोषण प्रोफ़ाइल
बेल फल में कई प्रकार के पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो इसे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत उपयोगी बनाते हैं। इसमें मौजूद कार्बोहाइड्रेट् त्वरित ऊर्जा का स्रोत है। रेशा पाचन में सहायक होता है। विटामिन सी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है। विटामिन ए नेत्र स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है। कैल्शियम, पोटैशियम और मैग्नीशियम हड्डियों, हृदय और तंत्रिका तंत्र के लिए आवश्यक है।
बेल फल में मौजूद टैनिन, क्यूमारिन, एंटीऑक्सीडेंट्स और अल्कलॉइड्स शरीर को विषैले तत्वों से बचाते हैं एवं औषधीय दृष्टि से बेल फल को और भी प्रभावशाली बनाते हैं। बेल फल का सेवन पाचन स्वास्थ्य, प्रतिरक्षा प्रणाली और आंतरिक शुद्धिकरण में अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुआ है। इसमें निम्नलिखित पोषक तत्व पाए जाते हैं:
पोषक तत्व (100 ग्राम गूदे में) |
मात्रा |
ऊर्जा |
136 किलो कैलोरी |
कार्बोहाइड्रेट |
28.21 ग्राम |
प्रोटीन |
2.63 ग्राम |
वसा |
0.57 ग्राम |
फाइबर |
6.31 ग्राम |
विटामिन C |
7.50 ग्राम |
विटामिन A |
2.50 माइक्रोग्राम |
कैल्शियम |
47.95 मिग्रा |
फॉस्फोरस |
37.29 मिग्रा |
आयरन |
0.23 मिग्रा |
पोटैशियम |
309 मिग्रा |
कार्बोहाइड्रेट |
28.21 ग्राम |
बेल का उत्पादन
भारत में बेल उत्पादन: भारत बेल उत्पादन में विश्व का अग्रणी देश है। यह मुख्यतः निम्नलिखित राज्यों में उगाया जाता है: उत्तर प्रदेश– विशेष रूप से वाराणसी, प्रतापगढ़; बिहार– गया, मुजफ्फरपुर; झारखंड– पलामू, लोहरदगा; मध्य प्रदेश– सतना, रीवा; राजस्थान– कोटा, झालावाड़; उत्तराखंड– पहाड़ी क्षेत्रों में; छत्तीसगढ़ और ओडिशा– प्राकृतिक जंगलों में भी पाया जाता है।
बेल का वैश्विक उत्पादन:
बेल भारत के अतिरिक्त निम्नलिखित देशों में भी पाया जाता है:
- नेपाल और श्रीलंका–धार्मिक और औषधीय उपयोग
- बांग्लादेश– पारंपरिक दवाओं में उपयोग
- थाईलैंड और म्यांमार– बेल टी और कैंडी के लिए लोकप्रिय
- इंडोनेशिया, वियतनाम– बेल का उपयोग आयुर्वेदिक उत्पादों में
- संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप– हर्बल सप्लीमेंट्स और एक्सपोर्ट
हालाँकि भारत में बेल उत्पादन बड़े स्तर पर होता है, लेकिन इसका प्रसंस्करण और निर्यात बहुत सीमित है, जिससे इसकी पूरी व्यावसायिक क्षमता अभी तक प्राप्त नहीं हुई है।
बेल की खेती के लाभ
- सूखा-सहनशील, कम पानी में फलता है
- दीर्घायु वृक्ष (40–50 वर्ष तक फल देता है)
- कीट और रोग कम लगते हैं
- रख-रखाव में न्यूनतम लागत
बेल फल के स्वास्थ्य लाभ
1. पाचन तंत्र का रक्षक:
बेल फल सबसे अधिक पाचन संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए प्रसिद्ध है। इसका गूदा पेट की गर्मी को शांत करता है और कब्ज, दस्त और एसिडिटी जैसी समस्याओं को दूर करता है। बेल का नियमित सेवन आंतों की कार्यक्षमता को सुधारता है और आंतों को विषैले तत्वों से मुक्त करता है।
2. प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत करता है:
बेल में प्रचुर मात्रा में मौजूद विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। यह वायरस और बैक्टीरिया से लड़ने की ताकत देता है और मौसमी बीमारियों से बचाता है।
3. मधुमेह (डायबिटीज) में सहायक:
बेल की पत्तियों और फल का उपयोग आयुर्वेद में मधुमेह नियंत्रण के लिए किया जाता है। यह अग्न्याशय की क्रियाशीलता को बेहतर बनाता है और रक्त शर्करा के स्तर को संतुलित करता है।
4. गर्मियों में शीतलता का प्राकृतिक स्रोत:
बेल का शरबत शरीर को ठंडक प्रदान करता है और लू या गर्मी से होने वाली थकावट को दूर करता है। यह गर्मी में डिहाइड्रेशन से बचाने में मदद करता है।
5. लिवर और किडनी डिटॉक्स में सहायक:
बेल फल शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने का कार्य करता है। यह लिवर को डिटॉक्स करता है और मूत्र प्रणाली की सफाई में भी मदद करता है।
6. हृदय और मानसिक स्वास्थ्य:
बेल में पाए जाने वाले पोटैशियम और मैग्नीशियम रक्तचाप को नियंत्रित रखते हैं और हृदय के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं। साथ ही इसकी गंध और स्वाद मानसिक तनाव को कम करने में सहायक मानी जाती है।
ग्रामीण महिलाओं के लिए आयवर्धन की संभावनाएं
बेल फल का उपयोग केवल पारंपरिक रूप में ही नहीं, बल्कि विभिन्न रूपों में प्रसंस्करण कर आजीविका का स्रोत भी बन सकता है। ग्रामीण महिलाएं सामूहिक रूप से स्वयं सहायता समूह के माध्यम से बेल पर आधारित विभिन्न उत्पाद तैयार कर सकती हैं।
बेल के प्रमुख उत्पाद
उत्पाद |
उपयोगिता |
संभावित बाज़ार |
बेल शरबत |
गर्मियों में ऊर्जा पेय |
स्थानीय हाट, स्कूल, कैफे |
बेल कैंडी |
हेल्दी स्नैक |
बच्चों और बुजुर्गों में लोकप्रिय |
बेल मुरब्बा |
पारंपरिक औषधीय मिठाई |
किराना दुकान, आयुर्वेदिक केंद्र |
बेल चूर्ण |
पाचन हेतु |
हर्बल दुकानें, ऑनलाइन |
बेल टी मिक्स
|
शीतल और डिटॉक्स टी |
अर्बन हर्बल मार्केट |
जैम/जैली |
हेल्दी ब्रेकफास्ट स्प्रेड |
होटल, होम किचन |
1. बेल शरबत
गर्मियों में अत्यधिक मांग में रहने वाला यह शीतल पेय सरल विधि से घर पर तैयार किया जा सकता है। महिलाएं इसे कांच की बोतलों में भरकर स्थानीय दुकानों, मेलों और स्कूलों में बेच सकती हैं।
सामग्री:
- पका हुआ बेल फल: 1 किलो
- चीनी: 500–700 ग्राम
- पानी: 2 लीटर
- नींबू रस: 2 चम्मच (संरक्षण हेतु)
प्रक्रिया:
- बेल फल को तोड़कर गूदा निकालें।
- गूदे को पानी में मिलाकर मैश करें और छान लें।
- इस रस में चीनी मिलाकर धीमी आंच पर उबालें जब तक सिरप गाढ़ा न हो जाए।
- अंत में नींबू रस मिलाएं।
- ठंडा होने पर साफ और सूखी बोतलों में भरें।
2. बेल कैंडी
बेल के गूदे को मीठे सिरप में पकाकर स्वादिष्ट हेल्दी कैंडी बनाई जा सकती है। यह बच्चों में खासा लोकप्रिय उत्पाद हो सकता है।
सामग्री: बेल गूदा, चीनी, नींबू का रस
प्रक्रिया:
- पके हुए बेल के गूदे को छोटे टुकड़ों में काटें।
- इसे पानी में 1-2 घंटे उबालें और पानी छान दें।
- इन टुकड़ों को चीनी सिरप (1:1) में 24 घंटे डुबोकर रखें।
- अगले दिन निकालकर छाया में सुखाएं।
- आवश्यकतानुसार इलायची या सौंठ का पाउडर छिड़कें।
3. बेल मुरब्बा
सामग्री: पका बेल फल, चीनी, जायफल, दालचीनी (वैकल्पिक)
प्रक्रिया:
- बेल गूदे को स्लाइस करें और हल्के गर्म पानी में उबालें।
- चीनी में एक तार की चाशनी तैयार करें।
- बेल स्लाइस को इस चाशनी में डालें और 3-5 दिन तक कांच के जार में रखें।
- हफ्तेभर बाद उपयोग के लिए तैयार।
4. हर्बल चूर्ण व बेल पाउडर
बेल पाउडर पाचन संबंधी औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। यह ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी बेचा जा सकता है।
प्रक्रिया:
- पके बेल फल को छीलकर गूदा निकालें।
- पतली परत में गूदे को सुखाएं – धूप या सोलर ड्रायर में।
- सूखे गूदे को मिक्सर में पीसकर महीन चूर्ण बनाएं।
- एयरटाइट पाउच या डब्बों में पैक करें।
5. ड्राय स्लाइस और टी मिक्स
बेल के स्लाइस सुखाकर उन्हें हर्बल चाय बनाने के लिए उपयोग में लाया जा सकता है। यह हर्बल प्रोडक्ट्स की बढ़ती मांग को देखते हुए एक उच्च मूल्य वाला उत्पाद है।
सामग्री: बेल चूर्ण, तुलसी, अदरक, सौंठ पाउडर
प्रक्रिया:
- सभी सामग्री को निश्चित अनुपात में मिलाएं (जैसे 50% बेल, 20% तुलसी, 15% अदरक, 15% सौंठ)।
- पैक करके टी-बैग या ढीले मिक्स के रूप में बेचें।
प्रशिक्षण और विपणन
बेल उत्पादों के निर्माण के लिए ग्रामीण महिलाओं को खाद्य प्रसंस्करण, पैकेजिंग, ब्रांडिंग और विपणन की उचित ट्रेनिंग देना आवश्यक है। कृषि विज्ञान केंद्र, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन और राज्य कृषि विभाग इस दिशा में सहयोग कर सकते हैं। महिलाएं स्थानीय हाट, मेलों, किसान बाजारों, सहकारी दुकानों और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर अपने उत्पादों को बेच सकती हैं।
निष्कर्ष
बेल फल प्रकृति का एक अनमोल उपहार है जो पोषण, स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था – तीनों में योगदान देने की क्षमता रखता है। यदि इसे संगठित ढंग से उपयोग में लाया जाए, तो यह ग्रामीण महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता और आर्थिक सशक्तिकरण का सशक्त माध्यम बन सकता है। बेल फल पर आधारित प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन गतिविधियाँ ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे अभियानों को भी प्रोत्साहित करती हैं।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।