आम मिलीबग कीट का नियंत्रण ग्रीस या डीजल से      Publish Date : 16/03/2025

        आम मिलीबग कीट का नियंत्रण ग्रीस या डीजल से

                                                                                                 प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी

किसान भाई, आम की बागवानी के माध्यम से अच्छा और एकमुश्त मुनाफा कमा सकते हैं। हालांकि, आम के पेड़ों में फसल आने से पहले किसानों को कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना भी बहुत आवश्यक होता है। आम के बाग़ों में मिलीबग नाम के कीट आक्रमण कर देते हैं। ऐसे कृषि विशेषज्ञ इस कीट से छुटकारा पाने किल कुछ घरेलू अथवा देशी उपायों के सम्बन्ध में जानकारी प्रदान कर रहे हैं।

                                                  

मिलीबग से बचाव के देशी उपायः आम के मिलीबग कीट से बचाव के लिए नीम का अर्क आम के लिए काफी कारगर सिद्व होता है और इसका प्रयोग करने से मंजर में कीड़े-मकोड़े नहीं लगते हैं। ऐसे में किसान मिली बग कीट लगने पर नीम का अर्क का छिड़काव कर सकते हैं। इसके अलावा एक और देसी नुस्खे को अपनाकर आम के मंजर को बचाया जा सकता है।

गर्मियों का मौसम आते ही बाजारों में मीठे और रसीले आम मिलने लगते हैं और अब उससे पहले आम के पेड़ों में बौर आने शुरू हो गए हैं। लेकिन इन दिनों कई तरह के कीट आम के पेड़ों पर हमला करते हैं, जिसकी वजह से आम की पैदावार में गिरावट आती है। इसी में एक है मिलीबग नाम का कीट जो आम के पेड़ों को नुकसान पहुंचाता है और इस कीट का समय पर उपचार करना बेहद जरूरी है। ऐसे में यदि आप आम के मंजर में कीड़े के प्रकोप से परेशान हैं तो यह बात आपके लिए लाभदयक सिद्व हो सकती है। दरअसल, आम को कीट से बचाने के लिए देसी उपाय काफी कारगर साबित होते हैं।

आम में मिलीबग कीट के लक्षण

                                                

आम के पेड़ों पर मिलीबग नाम के कीट हमला कर देते हैं, जिसकी वजह से आम का बौर और फल गिरने की समस्या रहती है। इससे आम की उपज और इसकी क्वालिटी पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।

ऐसे में, अगर बात करें मिलीबग कीट के लक्षण की तो मिलीबग कीट जमीन से निकलकर पेड़ की शाखाओं पर पहुंचकर भारी संख्या में एकत्रित हो जाते हैं और फिर फलों और पौधों का रस चूसने लगते हैं। मिलीबग के संक्रमण से आम के मंजर सूख जाते हैं जिसके कारण फल नीचे गिर जाते हैं। यह कीट संक्रमण के दौरान एक प्रकार का मीठा रस भी छोड़ता है जिसके माध्यम से किसान मिलीबग कीट के संक्रमण को आसानी से पहचान सकते हैं।

गर्मियों का मौसम आते ही स्थानीय बाजारों में मीठे और रसीले आम मिलने लगते हैं, लेकन उससे पहले अब आम के पेड़ों में बौर आना शुरू हो गया हैं। लेकिन इन दिनों कई तरह के कीट आम के पेड़ों पर हमला भी करते हैं, जिसके चलते आम की पैदावार में गिरावट आती है। इन्हीं में एक कीट है मिलीबग नाम का कीट, जो आम के पेड़ों को बहुत नुकसान पहुंचाता है। इसका समय पर उपचार करना बेहद जरूरी है।

कब लगता हैं मिलीबग कीट

आम में मंजर आने के शुरुआती दिनों में जब तापमान में अचानक बढ़ोतरी होती है तो मिली बग कीट का प्रकोप तेजी के साथ बढ़ता है। मिलीबग कीट मिट्टी की दरारों और आम के पेड़ों की छाल में अंडे देता है। इस कीट के अंडे बढ़ते तापमान से लार्वा में तब्दील हो जाते हैं और इसके बाद यह कीट तेजी के साथ पेड़ों पर हमला कर देता है जिसकी समय पर रोकथाम ना की जाए तो आम की फसल बर्बाद हो सकती है।

मिलीबग से बचाव के देसी उपाय

                                            

किसान आम के मंजर की देखभाल के लिए महंगे कीटनाशक और दवाओं की जगह कुछ देसी उपाय और घरेलू नुस्खे भी आजमाए जा सकते हैं। दरअसल मिलीबग कीट से बचाव के लिए नीम का अर्क (दवा) आम के पेड़ के लिए काफी कारगर होती है। इससे मंजर में कीड़े-मकोड़े नहीं लगते हैं। ऐसे में किसान मिली बग कीट लगने पर नीम का अर्क का छिड़काव कर इस कीट से आम का बचाव कर सकते हैं।

इसके अलावा एक और देसी नुस्खे को अपनाकर आम के मंजर को बचाया जा सकता है। इसके लिए किसानों को पेड़ के तनों के चारों तरफ पॉलिथीन के ऊपर गोंद को लगाना चाहिए। इससे जैसे ही मिलीबग जमीन से निकलकर पेड़ के तने पर चढ़ना शुरू होता है, इस पॉलिथीन के चलते वह ऊपर चढ़ नहीं पाता है और जो ऊपर चढ़ जाता है वह गोंद में चिपक कर मर जाता है। यह पूर्ण तरीके से जैविक उपाय है और किसानों के लिए काफी सस्ता भी है।

साथ ही पेड़ पर चढ़ने वाले कीट को रोकने के लिए जले हुए ग्रीस या डीजल में इनसेक्टीसाइड का भुरकाव कर ऐसी चिपचिपी पेस्ट की एक लेयर तने के चारों ओर लेप कर दें। इस तरह की कई विधियों को अपनी आवश्यकता के अनुसार अपनाकर आप अपने आम के बगीचे को कीट मुक्त कर सकते हैं। वहीं, आम के पेड़ की जड़ से लगभग 10 से 15 सेंटीमीटर तक चूना लगाकर भी मिली बग कीट से छुटकारा पाया जा सकता है। 

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।