तरबूज की खेती से मुनाफा      Publish Date : 11/03/2025

                 तरबूज की खेती से मुनाफा

                                                                                                  प्रोफेसर आ. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी

तरबूज की खेती कर किसान अच्छा लाभ कमा सकते हैं। तमिलनाडु का थिरूवन्ना मई जिला इस प्रकार की लाभकारी खेती का एक बेहतरीन उदाहरण है। प्रेसिजन खेती, ड्रिप सिंचाई (टपक सिंचाई) और संवर्धित किस्मों ने किसानों को अधिक मुनाफा कमाने में सक्षम बनाया गया। इस खेती पद्धति के माध्यम से किसान लागत से सात गुना अधिक तक लाभ कमा रहे हैं। मुरूगा पेरूमत, गाँव वेप्पुचेक्कड़ी, थंदरपाथु (टी.के.), जिला तूरूवन्नामलाई, तमिलनाडु के निवासी हैं। उन्होंने प्रेसिजन खेती और ड्रिप सिंचाई विधि में माध्यम से अपने 2.2 हे. खेत में तरबूज की खेती की है। उन्होंने एक हे. खेत में पुकीजा किस्म तथा 1.2 हे. खेत में अपूर्वा किस्म की खेती की।

                                             

श्री पेरुमत ने खेत तैयार करने के लिए चार जुताइयां की। चौथी जुताई से पहले उन्होंने 25 टन प्रति. हे. की दर से गोबर की सड़ी हुई खाद खेत में डाला। उन्होंने 300 किग्रा. डी. पी. ए. तथा 150 किग्रा. पोटाश का प्रयोग खेत तैयार करने में किया। उन्होंने पौधों की रोपाई के लिए 1.5 मीटर चौड़ाई और 60 सें. मी. की दूरी पर क्यारियाँ बनाई। बुआई के पहले, उन्होंने कुछ मिनटों के लिए क्यारियों की सिंचाई की। उन्होंने कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम प्रति किग्रा. दर से बीज को उपचारित कर एक हे. 3.5 किग्रा. बीज का इस्तेमाल किया। श्री पेरू ने नवंबर में बीज रोपाई की तथा प्रत्येक ड्रिपर की जगह बीज बोया। साथ ही ड्रिप सिस्टम के माध्यम से एक घंटे प्रति दिन खेत की सिंचाई की।

श्री पेरूमत ने वेप्पुर चेक्क्डी सहकारी सोसाइटी से 49,000 रूपये का ऋण एक हेक्टयर खेत के लिए और इस ऋण का कुछ हिस्सा अपने खेत में ड्रिप सिंचाई सिस्टम स्थापित करने में लगाया। सरकार पहली बार किसानों द्वारा प्रेसिजन फार्मिंग अपनाएं जाने पर 50 प्रतिशत उर्वरक सब्सिडी देती है। इसके तहत उन्हें 258 किग्रा. पोटेशियम नाइट्रेट की खरीद पर बागवानी विभाग से सब्सिडी मिली। उनके द्वारा 5 किग्रा पोटेशियम नाइट्रेट तथा 5 किग्रा. यूरिया तीन दिनों के अंतराल पर फर्टिगेशन विधि के माध्यम से फसल की पूरी अवधि तक दिया गया। पौध रोपाई के 15 दिन बाद 40 महिला श्रमिकों द्वारा पहली बार हाथ से निराई की गई। इसके बाद लेटरल पाइप को इस प्रकार से व्यवस्थित किया कि गड्ढों के ऊपर सिंचाई हो सके। पौध रोपाई के 35 दिन बाद 150 किग्रा. कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट का प्रयोग कर खेत की सिंचाई ड्रिपर के माध्यम से की गई।

                                                

पहली फसल 70 दिनों बाद ली गई, जिसमें 20 महिला श्रमिकों की जरूरत पड़ी। उन्होंने नुमहेम्स पुकिजा तरबूज किस्म से 55 टन और सेमिनिस अपूर्वा किस्म से 61 टन उत्पादन प्राप्त किया। तरबूज के खेत की दूसरी तुड़ाई एक सप्ताह बाद 20 महिला श्रमिकों की सहायता से की गई। इस बार उन्होंने पुकीजा किस्म से 6 टन और अपूर्वा किस्म से 4 टन उत्पादन प्राप्त किया।

श्री पेरूमत ने पहली तुड़ाई को 3100 रूपये प्रति टन तथा दूसरी तुड़ाई को 1000 रूपये प्रति टन की दर से बेचा। उनके द्वारा खेत में खर्च की गई कुल लागत 45,575 रूपये थी। उन्होंने एक हे. के खेत में पाकीजा किस्म से 1,70,500 रूपये की आय अर्जित की। इसके साथ ही 1.2 हे. में अपूर्वा किस्म की खेती से 1,89,100 रूपये कमाए। इस प्रकार श्री पेरूमत ने प्रेसिजन फार्मिंग तथा ड्रिप सिंचाई को अपनाकर उपरोक्त दो किस्मों की खेती से कुल 3,24,025 रूपये की आय अर्जित की।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।