
एआइ से संवार रही हैं नौनिहालों का भविष्य Publish Date : 01/10/2025
एआइ से संवार रही हैं नौनिहालों का भविष्य
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं इं0 कार्तिकेय
अपने अथक प्रयास और नवाचारों की मदद से देश के ग्रामीण अंचल में शिक्षा को नई दिशा देने और सरकारी विद्यालय की तस्वीर बदलने वालीं मधुरिमा तिवारी ने विद्यार्थियों के भविष्य की राह को आसान किया है। मीरजापुर के लाल डिग्गी स्थित पीएम श्री कंपोजिट स्कूल रानी कर्णावती की प्रभारी प्रधानाध्यापिका मधुरिमा ने न सिर्फ विद्यालय की स्थिति बदली, बल्कि इसको अच्छे निजी स्कूलों के समकक्ष भी खड़ा कर दिया है। उनके इस योगदान को मान्यता मिली है। आगामी पांच सितंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु उन्हें राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार प्रदान किया है।
मधुरिमा तिवारी बताती हैं कि वर्ष 2017 में जब उनको इस विद्यालय की जिम्मेदारी मिली, तब यहां मात्र 56 विद्यार्थी अध्ययनरत थे। जर्जर स्थिति वाले इस विद्यालय की दशा सुधरने की कल्पना करना भी मुश्किल था, लेकिन उन्होंने सकारात्मक दृष्टिकोण को संबल बनाकर इसे संभव कर दिखाया। आज यह विद्यालय 218 विद्यार्थियों की शिक्षा का केंद्र बन चुका है। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने और छात्र-छात्राओं की पढ़ाई में रुचि जागृत करने के लिए प्रतिदिन दो घंटे अतिरिक्त समय विद्यालय को समर्पित करती थीं। विद्यालय परिसर में चारदीवारी का निर्माण, अतिरिक्त कक्षों का निर्माण और पौधारोपण जैसे कार्यों ने स्कूल का स्वरूप पूरी तरह से बदल दिया है। बेहतर संसाधनों के साथ विद्यालय अब उन अभिभावकों के लिए भी पहली पसंद बन गया है, जो पहले निजी विद्यालयों की तरफ आकर्षित होते थे।
दूरदृष्टि और परिश्रम से कठिनाइयों को अवसर में बदलाः
लगभग छह महीने पहले विद्यालय में एआई (कृत्रिम बौद्धिकता) आधारित शिक्षा व्यवस्था की शुरुआत की थी। इसके तहत सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) लैब और नौ कंप्यूटरों की व्यवस्था की गई है। यहां बच्चों को ‘स्वयं करके सीखने की पद्धति’ से जोड़ा गया है। इससे सातवीं और आठवीं कक्षा के विद्यार्थी कंप्यूटर में दक्ष हो रहे हैं। मधुरिमा ने अपनी शिक्षक सेवा की शुरुआत पटेहरा ब्लाक के बहरछठ गांव से की थी। ग्रामीण पृष्ठभूमि में काम करते हुए उन्होंने शिक्षा सुधार का बीजारोपण वहां किया, जिसका लाभ जरूरतमंद विद्यार्थियों को मिल रहा है।
स्वयं करके सीखने की पद्धति अपनाई
मधुरिमां बताती हैं कि वर्ष 2017 में रानी कर्णावती प्राथमिक पाठशाला की जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई। तब हालात बहुत कठिन थे, लेकिन उन्होनें अपनी दूरदृष्टि, परिश्रम और लगन से इन कठिनाइयों को एक अवसर में बदल दिया। वह कहती हैं, ‘राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार’ विद्यालय परिवार की मेहनत व लगन का परिणाम है। हमने ‘स्वयं करके सीखने’ की पद्धति को अपनाया, जिसने बच्चों की रुचि और बुद्धिमत्ता को नए आयाम दिए। आज एआई के माध्यम से बच्चे नई तकनीकों से परिचित हो रहे हैं। हमारा लक्ष्य केवल गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना ही नहीं, बल्कि बच्चों का सर्वांगीण विकास करना है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।