सूक्ष्म ड्रिप और सब्जी, बचत 10 लाख      Publish Date : 29/07/2025

               सूक्ष्म ड्रिप और सब्जी, बचत 10 लाख

                                                                                                                            प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 शालिनी गुप्ता

सूक्ष्म सिंचाई और प्लास्टिक मल्च के साथ सब्जी का उत्पादन करना किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इसका ताजा उदाहरण है किसान कैलाश पट्टीवाल। इस तकनीक का उपयोग करके किसान कैलाश ने सब्जी फसलों का उत्पादन करना शुरू किया और उन्हें सालाना 8-10 लाख रूपए तक की बचत मिलने लगी। जबकि, सकल आय का आंकड़ा 13-14 लाख रूपए के करीब आता है। गौरतलब है कि किसान कैलाश 25 बीघा जमीन में सब्जी फसलों का उत्पादन ले रहे हैं। इसके अलावा लीज आधारित खेती भी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें सब्जी उत्पादन से जुडे हुए 7-8 साल हो चुके है।

खेती में आय बढ़ौतरी के लिए फसल उत्पादन के तौर-तरीकों में बदलाव करना ही काफी होता है। आइए, आपको किसान कैलाश पट्टीवाल से रूबरू करवाते है। कैलाश ने तकनीक आधारित सब्जी फसलो का उत्पादन लेना शुरू किया और इस क्रम में अपनी आमदनी का ग्राफ चार गुना कर दिखाया। किसान कैलाश अब सब्जी फसलों की खेती से सालाना 8-10 लाख रूपए की बचत प्राप्त कर रहे हैं। जबकि, सकल आय का आंकड़ा 13-14 लाख रूपए के करीब है।

                                                    

थ्कसान कैलाश ने हमारे चैनल को बताया कि उनके परिवार के पास 25 बीघा जमीन है। वैसे तो खेती से शुरू से ही उनका जुड़ाव रहा है। लेकिन, बीएड़ करने के बाद आजीविका के लिए मैने खेती को अपना लिया। उन्होंने बताया कि वर्ष 2018-19 तक खेती से सालाना दो से ढ़ाई लाख रूपए की आमदनी मिलती थी। लेकिन, सब्जी फसलों के उत्पादन से अब यह आंकड़ा बढ़कर 8-10 लाख रूपए के करीब पहुंच चुका है। उन्होंने बताया कि सब्जी फसलों की खेती दो से तीन बीमा क्षेत्र से शुरू की थी। लेकिन, मुनाफा अच्छा मिलता है, लेकिन समय के साथ रकबा बढ़ाता गया। वर्तमान स्थिति यह है कि पूरे 25 बीघा जमीन में ही सब्जी फसलों का उत्पादन ले रहा हूँ।

उन्होंने बताया कि सब्जी फसल के लिए खेत भी खाली छोडने होते है। ताकि, मृदा स्वस्थ बनी रहे और फसल का भी अच्छा उत्पादन मिले। उन्होने बताया कि इसके अलापा 10 बीघा जमीन लीज पर ली हुई है। इस जमीन पर मटर और मूंगफली का उत्पादन लेता हूँ। इन फसलों से सालाना 5-6 लाख रूपए की आमदनी मिल जाती है। गौरतलब है कि किसान कैलाश को सब्जी फसल इस कदर रास आ चुकी है कि अब उन्होनें परम्परागत फसलों का उत्पादन कम कर दिया है। उन्होंने बताया कि परम्परागत फसली में बाजरा, ग्वार, गेहूं और जौ का उत्पादन लेता हूँ। इससे पशुओं के लिए चार भी मिल जाता है।

इन सब्जियो का उत्पादन

उन्होंने बताया कि सब्जी फसलों में मिर्च, मटर, गोली, टमाटर और प्याज सहित हरी सब्बी भी शामिल है। उन्होंने बताया कि पहले पिताजी परम्परागत तौर तरीकों से फसलों का उत्पादन लेते थे। इस कारण फसलों में कीट की समस्या रहती थी। वहीं, उत्पादन में भी नुकसान उठाना पड़ता था। लेकिन अब एसस्टिक अल्प, और ड्रिप सिंचाई के उपर से फसल उत्पादन में बढ़ौतरी देखने को मिल रही है।

बरसाती पानी का संवाहण

उहोंने बताया कि परम्परागत फसलों के उत्पादन में सिंचाई की ज्यादा जरूरत होती है। जबकि सब्जी फसलों में सूक्ष्म सिंचाई से कम पानी में ही काम चल जाता है। उन्होंने बताया कि उनके पास सिंचाई के लिए ट्यूबवैल है। वहीं, एक डिज्नी बनाई हुई है। इससे बरसात का पानी भी सिंचाई के काम आ जाता है।

पशुधन से भी आय

पशुधन से आयः मेरे पास 10 गैस और 4 गाय है। प्रतिदिन 60 लीटर दुग्ध का उत्पादन मिल रहा है। उन्होंने बताया कि भैंस का दूध 60 रुपए और गाय का दूध 45 रुपए प्रति लीटर की दर से डेयरी को बिक्री कर रहे हैं। इस तरह पशुधन से भी उन्हें वार्षिक 3-4 लाख रुपए की बचत मिल जाती है। वहीं, पशु अपशिष्ट का उपयोग कम्पोस्ट आदि बनाने में कर रहा हूँ।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।