डिग्रियां नहीं अनुभव पढ़ाते हैं जीवन का पाठ      Publish Date : 19/07/2025

             डिग्रियां नहीं अनुभव पढ़ाते हैं जीवन का पाठ

                                                                                                                                                         प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

अपने प्रारंभिक जीवन में विवाह और मातृत्व सुख के बाद अनु आगा की जीवन में एक के बाद एक ऐसे झटके आए, जिनकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी। थोड़े ही समय के अंतराल पर पति, सास और 'पच्चीस वर्ष के जवान बेटे की सड़क दुर्घटना में मौत किसी भी इंसान को हिला देने के लिए काफी होती है, लेकिन इन त्रासदियों ने अनु आगा की छिपी हुई नेतृत्व क्षमता को तपकर कुंदन की तरह निखरने का अवसर प्रदान किया और उन्होंने थर्मैक्स कंपनी का न सिर्फ नेतृत्व संभाला, बल्कि गिरावट की ओर उन्मुख एक 'बीमार कंपनी को फिर से ऊंचाई पर पहुंचाया।

उनके नेतृत्व में थर्मक्स कंपनी के न सिर्फ आकार का विस्तार हुआ, बल्कि लाभ में भी बढ़ोतरी हुई। मुंबई में सेंट जेवियर्स कॉलेज की सोशल सर्विस लीग के माध्यम से उन्होंने अपना समय और ऊर्जा वंचितों के लिए स्वेच्छा से समर्पित की। सफल उद्यमी और सामाजिक कार्यकर्ता अनु आगा ने अपने समर्पित प्रयासों के बल पर न केवल व्यवसाय जगत में बड़ी सफलता प्राप्त की, बल्कि उनका योगदान सामाजिक क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण माना जाता है। अपने संघर्ष, साहस और दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर उन्होंने यह साबित किया कि एक सशक्त महिला कैसे अपने क्षेत्र में अच्छे परिणाम हासिल कर सकती है और समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती है।

अनु आगा का कॅरियर

03 अगस्त, 1942 को बॉम्बे में एक पारसी परिवार में जन्मी 'अनु' आगा ने मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और प्रतिष्ठित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) से चिकित्सा और मनोरोग सामाजिक कार्य में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। उन्हें फुलब्राइट छात्रवृत्ति के लिए भी चुना गया और चार महीने तक उन्होंने अमेरिका में अध्ययन किया। उन्हें मुश्किल हालात में थर्मेक्स कंपनी का व्यवसाय संभालना पड़ा। अपने एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, 'हालांकि, मेरी डिग्रियों ने मुझे जीवन की कठिनाइयों के लिए तैयार नहीं किया था, लेकिन जो अनुभव मुझे हुए और जिन लोगों से मैं मिली, उन सभी ने मुझे वह बनाया, जो मैं हूं।'

विवाह और बाद की जिंदगी

                                                      

जब अनु कैंब्रिज से पढ़े युवा सौम्य उद्यमी रोहिंटन आगा से मिली, तो उन्हें अपना दिल दे बैठी। रोहिंटन अनु के पिता के साथ वानसन इंडिया में काम करते थे। इस युवा जोड़े की शादी 1965 में हुई। रोहिंटन के नेतृत्व में वानसन इंडिया, जिसका नाम 1980 के दशक में थर्मक्स रख दिया गया, तेजी से ऊर्जा और पर्यावरण में रुचि रखने वाली एक सम्मानित इंजीनियरिंग कंपनी के रूप में विकसित हुई। कुछ वर्ष बाद पहली संतान मेहर का जन्म हुआ, लेकिन दूसरी बेटी को अज्ञात बीमारियों के कारण खोना पड़ा।

जब 1972 में उनके बेटे कुरुष का जन्म हुआ, तो उसके दिल में छेद था। 1982 में रोहिंटन को हार्ट अटैक हुआ और बाइपास सर्जरी के दौरान लकवा हो गया और उन्हें ठीक होने में दोसाल लग गए।

कंपनी का नेतृत्व

हार्ट अटैक के दूसरे झटके में रोहिंटन ने अनु का साथ छोड़ दिया और कंपनी के नेतृत्व की जिम्मेदारी अनु के कंधों पर आ गई। इन त्रासद क्षणों में अनु ने नेतृत्व संभाला और बदलाव की योजना के साथ सामने आईं। कुछ ही समय बाद सास और फिर जवान बेटे की सड़क दुर्घटना में मौत ने अनु की कठिन परीक्षा ली, लेकिन अनु ने हार नहीं मानी।

विपश्यना की ताकत

अनु आगा विपश्यना करती हैं और वहीं से उन्हें इतनी अपराजेय ताकत मिलती है। बेटे की मौत के बाद उन्होंने मान लिया कि ईश्वर का किया हुआ कभी-कभी समझ से बाहर हो जाता है, इसलिए हमें मृत्यु से घबराना नहीं चाहिए। नियति के साथ इस समझौते ने अनु को वह बनाया, जो वह आज हैं। आगा के अनुसार, उनके पति अक्सर उनकी लगातार बकबक के लिए उन्हें चिढ़ाते थे। अब वह कहती हैं, विपश्यना, ध्यान का एक रूप, संकट के समय में मदद करता है। इसके लिए चुप्पी बनाए रखने की कठोरता की आवश्यकता थी। अपने एक टेलीविजन इंटरव्यू में अनु ने जीवन और मृत्यु की तुलना सूर्य के उगने और डूबने से की।

व्यस्त दिनचर्या

अनु आगा 'जल्दी सोना और जल्दी जगना पसंद करती हैं। उनका दिन व्यायाम से शुरू होता है, आमतौर पर साइकिल चलाना, योगा और पैदल चलना। वह ज्यादा टीवी नहीं देखतीं, बल्कि समाचार पत्रों के माध्यम से समाचार जानना पसंद करती हैं। उनकी पसंदीदा एक्टिविटी वाटर स्पोर्ट स्नॉर्कलिंग है। यह समुद्र के नीचे एक बिल्कुल अलग दुनिया है। उन्होंने बताया कि जिस बात पर समझौता नहीं किया जा सकता, वह है उनका अपने पोते जहान और ली के साथ बिताया गया समय।

पद्मश्री से सम्मानित

अनु आगा ने 2004 में थर्मेक्स लिमिटेड में अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी अपनी बेटी मेहर को सौंप दी। वह ब्रिटेन में प्रशिक्षित केमिकल इंजीनियर हैं। थर्मक्स से सेवानिवृत्ति के बाद अनु आगा ने खुद को सामाजिक कार्यों से जोड़ लिया। उन्हें 2010 में भारत सरकार द्वारा सामाजिक कार्यों के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया।

युवाओं के लिए सीख

  • जीवन में विफल वही होता है, जो हालात से निराश होकर हार मान लेता है।
  • बुरा वक्त हमें असली ताकत और संघर्ष की कला सिखाता है।
  • समय कितना भी कठिन हो, वह आपको तब तक नहीं हरा सकता, जब तक कि आप खुद हार न मान लें।
  • धैर्य रखना जीवन की एक कला है, बस विश्वास को डगमगाने न दें।
  • उम्मीद एक ऐसी शक्ति है, जिसकी मदद से मुश्किल समय का सामना किया जा सकता है।

व्यवसाय को पहुंचाया बुलंदियों पर

व्यक्तिगत कठिनाइयों के बावजूद अनु आगा ने धर्मक्स कंपनी को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। आठ वर्ष तक कंपनी का शीर्ष पद संभालने के बाद 61 वर्ष की आयु में वह सेवानिवृत्त हो गईं। हालांकि गृह कंपनी के निदेशक मंडल में बनी हुई हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, अनु आगा की कुल संपत्ति लगभग 2.2 अरब डॉलर से अधिक है, जिसमें उनकी सूचीबद्ध इंजीनियरिंग फर्म थर्मैक्स में हिस्सेदारी शामिल है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।