
सफलता का केवल एक ही फॉर्मूला, दिमाग को स्थिर रखें और अपने आप से सवाल पूछें Publish Date : 03/07/2025
सफलता का केवल एक ही फॉर्मूला, दिमाग को स्थिर रखें और अपने आप से सवाल पूछें
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
दरिद्रता और गरीबी किस प्रकार एक इंसान को महत्वाकांक्षी बना देती है, यह सीख हम उस शख्स से ले सकते हैं, जिसने खेलने-पढ़ने की उम्र में ही काम करना शुरू कर दिया था। वह इंसान, जिसने मेंहदी के कोन और सीडी बेचकर अपने मजबूत इरादों, दृढ़ संकल्प और मेहनत के बल पर इंटरनेशनल कंपनी की नींव रख दी; वह कोई और नहीं, बल्कि क्रेड ;ब्त्म्क्द्ध के संस्थापक कुणाल शाह हैं, जिनकी सफलता की कहानी युवाओं के लिए काफी प्रेरणादायक है।
पारिवारिक पृष्ठभूमि
कुणाल शाह का जन्म 20 मई, 1983 को मुंबई में एक सामान्य गुजराती परिवार में हुआ था। वह एक व्यवसायी परिवार से सम्बध रखते हैं, जो मुख्य रूप से दक्षिण मुंबई में दवा वितरण का काम करता था। हालांकि, उनकी मां बीमा क्षेत्र में कार्यरत थीं। बचपन में वह उन बच्चों में से थे, जिनके मन में हर चीज को लेकर कई सवाल होते थे। दूसरे शब्दों में कहें, तो वह हमेशा से एक जिज्ञासु व्यक्ति रहे हैं।
दर्शनशास्त्र की पढ़ाई
दर्शनशास्त्र की पढ़ाई और व्यवसाय भले ही सुनने में थोड़ा अटपटा लगे, लेकिन यही कुणाल शाह की वास्तविकता है। यूं तो वह कॉलेज में विज्ञान पढ़ना चाहते थे, लेकिन सुबह आठ से 10 के बीच सिर्फ दर्शनशास्त्र की पढ़ाई होती थी, इसलिए उन्होंने दर्शनशास्त्र में दाखिला ले लिया, क्योंकि कॉलेज के बाद उन्हें अपने परिवार के भरण-पोषण और अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए काम पर जाना होता था। मुंबई के विल्सन कॉलेज से दर्शनशास्त्र में स्नात्तक करने के कई वर्षों बाद, उन्होंने अंशकालीन एमबीए कोर्स के लिए मुंबई में नरसी मोनजी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज में दाखिला ले लिया, हालांकि तब वह एक बीपीओ (बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग) भी चला रहे थे। लेकिन मैनेजमेंट स्कूल से उन्हें वह नहीं मिला, जिसकी उन्हें उम्मीद थी। अंततः वह बाहर हो गए, हालांकि एमबीए पाठ्यक्रम में जिस एकमात्र चीज ने उन्हें उत्साहित किया, वह था उपभोक्ता का व्यवहार और मार्केटिंग। उनके अनुसार, उनकी शिक्षा वह नहीं थीं, जो उन्होंने अपने स्कूल या कॉलेज में पढ़ी थी, बल्कि वह थी, जो उन्होंने अपनी जिज्ञासा, व्यवसाय करने, इंसानों को समझने और अपने से बुद्धिमान लोगों से मिलने पर सीखी थी।
काम की शुरुआत
व्यावसायिक परिवार से सम्बन्ध रखने के कारण पांचवीं कक्षा में पढ़ने के दौरान ही उन्होंने काम करना शुरू कर दिया था। वह अपने पिता के कार्यालय जाते थे, जिसके लिए उन्हें प्रतिदिन पांच रुपये मिलते थे। उनके पिता का व्यवसाय जब लड़खड़ाने लगा, तब उनके परिवार को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा। उस समय वह मात्र 16 साल के थे। दो भाइयों में बड़े होने के चलते परिवार के बारे में सोचना उनकी जिम्मेदारी थी, इसलिए उन्होंने डिलीवरी बॉय और डेटा एंट्री ऑपरेटर का काम करना शुरू किया। इसके अलावा उन्होंने सीडी व मेहंदी के कोन तक बेचे, पड़ोस के बच्चों को कंप्यूटर साइंस पढ़ाया और घर से ही साइबर कैफे भी चलाते रहे।
अपनी कंपनी बनाई
शुरू से ही उनका ध्यान केवल उन समस्याओं का समाधान खोजने पर था, जिसके लिए लोग पैसे देंगे और यह किसी भी कंपनी के संस्थापक का मूल गुण होता है। एमबीए की पढ़ाई छोड़ने के बाद उन्होंने वर्ष 2009 में अपनी पहली कंपनी पैसाबैक (PaisaBack) शुरू की। यह व्यवसाय उनके लिए पहले महीने से ही लाभप्रद रहा, लेकिन जल्द ही उन्हें एहसास हो गया कि इस व्यवसाय का बाजार बिखरा हुआ है। इसलिए उन्होंने इस व्यवसाय से अलग होने का फैसला किया। फिर संदीप टंडन के साथ उन्होंने फ्रीचार्ज की शुरुआत की। फ्रीचार्ज का विचार उपयोगकर्ताओं को अपने प्रीपेड मोबाइल फोन को रिचार्ज करने और प्रत्येक सफल रिचार्ज के बाद पुरस्कार अर्जित करने में सक्षम बनाना था और यह आइडिया काम कर गया। बाद में फ्रीचार्ज को स्नैपडील ने खरीद लिया।
निवेशक के रूप में सफर
कुणाल शाह यह अच्छी तरह से जानते हैं कि कौन-सा व्यवसाय बड़ा बनने वाला है। इसलिए वर्ष 2016 में वाई कॉम्बिनेटर (एक अमेरिकी इनक्यूबेटर) से जुड़कर उन्होंने अपनी निवेश यात्रा की शुरुआत की। आज वह देश ही नहीं, दुनिया भर के शीर्ष एंजेल निवेशकों में से एक हैं। उन्होंने अनएकेडमी, रेजरपे (बिलियन- डॉलर फिनटेक स्टार्ट-अप), भारतपे, रैपिडो, आदि कई स्टार्ट-अप में, निवेश किया है।
दर्शन और शतरंज में रुचि
कुणाल शाह की हर उस दर्शन में रुचि है, जो सत्य की ओर ले जाता है। उन्होंने सुकरात सहित कई महान दार्शनिकों को भी पढ़ा। कुणाल शाह अब भी बहुत सारे सवाल पूछते हैं, क्योंकि हर महान दार्शनिक ने यही बात कही है कि हर किसी को बहुत सारे सवाल पूछने चाहिए। कुणाल को पोकर और शतरंज खेलना पसंद है। एक जिज्ञासु के रूप में उन्हें विभिन्न स्थानों की यात्रा करना और लोगों के व्यवहार को परखना पसंद है।
युवाओं के लिए सीख
- सफलता परिस्थितियों की मोहताज नहीं होती।
- दृढ़ संकल्प, ईमानदार प्रयास और कुछ कर गुजरने के हौसले से आप कोई भी जंग जीत सकते हैं।
- विपरीत परिस्थिति को एक चुनौती की तरह लेकर सफलता की इबारत लिखी जा सकती है।
- अपनी विफलता से सीख कर कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
- जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिए नए विचार और नवाचार बेहद जरूरी है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।