अखबार एवं इंटरनेट से की तैयारी, परिवार के भरोसे ने बनाई आसान परिस्थितियाँ      Publish Date : 29/05/2023

                        अखबार एवं इंटरनेट से की तैयारी, परिवार के भरोसे ने बनाई आसान परिस्थितियाँ

                                                                                                                   डॉ0 आर. एस. सेंगर, डॉ0 शालिनी गुप्ता एवं मुकेश शर्मा

                                      दो बार प्री भी नही निकला, लेकिन हिम्मत नही हारी

    सिविल सेवा की परीक्षा में अपने तीसरे प्रयास देशभर में प्रथम आने वाली इशिता ने बेहद खुश होकर कहा कि यह सपने के सच होने के जैसा है। मूल रूप से पटना निवासी इशिता राष्ट्रीय स्तर की फुटबाल खिलाड़ी भी रही हैं, जिसके तहत वे वर्ष 2012 में सुब्रतो कप टुर्नामेंट भी खेल चुकीं हैं।

अपने व्यक्तित्व को गढ़नें में वह खेलों के योगदान को बेहद महत्वपूर्ण मानती हैं। आईएएस ऑफिसर के रूप में इशिता यूपी कैडर का चुनाव करना चाहती हैं। इशिता महिला सशक्तीकरण तथा वंचित वर्गों के लिए कार्य करना चाहती है।

वायुसेना अधिकारी की बेटी 26 वर्षीय इशिता ग्रेजुएशन के बाद दो वर्ष तक अलर्ट एंड यंग के लिए रिस्क एडवाईजरी विभाग में भी कार्य कर चुकी हैं। सिविल सेवा परीक्षा में शीर्ष चार लड़कियों आने को वह महिलाओं के लिए एक शानदार अवसर मानती हैं।

सक्सेस मंत्रः प्रतिदिन आठ से नौ घंटे पढ़ाई की

    इशिता कहतीं हैं कि मैने लेडी श्रीराम कॉलेज, दिल्ली से पढ़ाई की है, जिसके दौरान नौकरियों के भी विभिन्न अवसर सामने आए। ऐसे में मुझे लगा कि आने वाले 30-40 साल मै जो करना चाहती हूँ, इसका अनुभव मुझे स्वयं ही लेना चाहिए तो इसके लिए मैने सिविल सेवा को ही चुना।

    तैयारी के दौरान मैने प्रतिदिन आठ से नौ घंटे तक की पढ़ाई की और इस दौरान मुझे मेरे परिवार का भी अपार समर्थन प्राप्त हुआ। इसके उपरांत भी मै दो बार प्रीलिम्स नही निकाल पायी, परन्तु मेरे परिवार को मेरे ऊपर काफी विश्वास था। परिवार ने मुझे आगे बढ़नें की हिम्मत दी और चीजों को मेरे लिए आसान बनाया।

स्वयं रिजल्ट देख पाती, इससे पहले ही लोगों ने फोन कर दिया

    इशिता ने बताया कि रिजल्ट के आने के बाद मैं सूची देख ही रही थी कि लोागें ने मुझे फोन करना शुरू कर दिया। इस प्रकार मुझे परीक्षा के परिणाम का पता फोन से लगा। अपने कैरियर के बारे में इशिता ने बताया कि मेरे सामने नौकरियों के काफी अवसर थे। कॉरपोरेट सेक्टर में मैने पेशेवर तरीके से काम करना सीखा, जिसने सिविल सेवा की तैयारियों में मेरी मदद की। अन्ततः मुझे अहसास उहोने लगा कि मेरा पेशन लोकसेवा ही है।

असफलता से हारना नही सीखा

    बिहार के जिला बक्सर की गरिमा लोहिया ने दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज से कामर्स में ग्रेजुएशन किया और छठें सेमेस्टर में कोवड-19 के चलते वापस बक्सर आकर उन्होंने सिविल सेवा की तैयार शुरू की। गरिमा ने परीक्षा में पना वैकल्पिक विषय कामर्स एवं एकाउंटेंसी को बनाया।

    गरिमा ने बक्सर में रहकर ही सिविल परीक्षा की तैयारी की। उन्होंने बताया कि, मैने कोविड़-19 महामारी के दौरान घर पर रहकर ही अपनी तैयारी आरम्भ की थी। इसके परिप्रेक्ष्य में ऑनलाइन पाठ्य सामग्री एवं यू-ट्यूब चैनल की सहायता प्राप्त की। हालांकि, मुझे इतनी अच्छी रैंक की उम्मीद नही थी।

    गरिमा कहती हैं कि मैने असफलताओं से हारना नही, अपितु काम करना सीखा है। आज भी सुबह से मै सिविल सेवा की अगली प्री परीक्षा की ही तैयार कर रही थी।

स्वयं पर विश्वास का होना अति आवश्यक होता है

    आईआईटी हैदराबाद से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक उमा हरित ने एंथ्रोंपालॉजी को अपना वैकल्पिक विषय बनाया था। उन्होनें बताया कि सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी उन्होने केवल 6 माह पूर्व ही शुरू की थी।

उमा कहती हैं कि इस परीक्षा की तैयार में विषय की बुनियादी समझ और स्वयं पर विश्चास होना बहुत आवश्यक है। उमा के पिता वेंकेटेश्वरलू एक आईपीएस अधिकारी हैं। वर्तमान में वह नारायणपेटले में पोस्टेड हैं। 

महिलाओं के लिए कार्य करना चाहती हैं स्मृति

    दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस से बीएससी करने वाली स्मृति ने जीव विज्ञान को अपने वैकल्पिक विषय के तौर पर चुना। स्मृति का परिवार मूल रूप से प्रयागराज का रहने वाली हैं। जबकि, स्मृति की स्कूली पढ़ाई-लिखाई एवं बचपन आगरा में ही बीता है। स्कूली शिक्षा के उपरांत स्मृति दिल्ली चली गई, जहाँ से उन्होंने ग्रेजुएशन किया। स्मृति ने बताया कि वह दिल्ली विश्वविद्यालय से ही लॉ की शिक्षा प्राप्त कर रही है और एलएलबी के अन्तिम वर्ष की छात्रा हैं।

    स्मृति के पिता राजकुमार मिश्रा एक पुलिस अधिकारी हैं जो इस समय बरेली में तैनात हैं। कानून की छात्रा स्मृति अब अधिकारी बनकर छोटे शहरों एवं कस्बों में रहने वाली महिलाों के हितों के लिए कार्य करना चाहती हैं। 

पेशे से डॉक्टर, अब अधिकारी

    देश में पुरूष वर्ग में प्रथम आने वाले मयूर हजारिका एक डॉक्टर हैं और वह असोम में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अन्तर्गत कार्य कर रहें हैं। मयूर ने बताया कि उन्हें परीक्षा में इतने ऊपर की रैंक की उम्मीद नही थी, परन्तु अब वह परिणाम के बाद बहुत संतोष महसूस कर रहे हैं। 

    मयूर भारतीय विदेश सेवा मे जाना चाहते हैं। आगे जैसी चीजें सामने आएंगी उसके अनुसार ही अपनी योजनाएं बनाएंगे।

    मयूर कहते हैं कि मैने सबसे पहले परीक्षा के लिए पढ़ने के संसाधनों की तलाश की और इसके बाद अलग-अलग चरणों में पढ़ाई की। योजनाबद् पढ़ाई के माध्यम से ही यह सफलता प्राप्त हुई है।

बचपन का सपना हुआ पूरा

    केरल के कोट्टायम जिले के पाला कस्बे रहने वाली और सेंट थॉमस कॉलेज से इतिहास आनर्स से ग्रेजुएशन करने वाली गहना नव्या जेम्स बताती हैं कि वह बचपन से ही लोकसेवक बनना चाहती थी और आज यह सपना पूरा हो गया है। यह उनका दूसरा प्रयास था और उन्होंने बिना किसी कोचिंग की सहायता के केवल अखबार एवं इंटरनेट से ही अपनी तैयारी की।

    नव्या के पिता सी के जेम्स एक रिटायर्ड प्रोफेसर तथा चाचा, सी वी जार्ज जिन्हें वह अपनी प्रेरणा भी मानती हैं, वर्तमान में जापान में भारत के राजदूत हैं।

आतंक प्रभावित पुंछ की परसनजीत ने कोचिंग के बिना हासिल किया मुकाम

    कश्मीर के आतंक प्रभावित क्षेत्रों में शामिल पुंछ की रहने वाली परसनजीत कौर ने सिविल सेवा परीक्षा में ओवर ऑल 11वाँ स्थान प्राप्त किया है। आतंक प्रभावित क्षेत्र पुंछ को परसनजीत कौर ने खुश होने का एक कारण दिया है। परसनजीत ने कहा कि पुंछ में स्वास्थ्य एवं शिक्षा के जैसी चीजों को एक चुनौति के रूप में देखती है, जिन्हें वह दूर करना चाहेंगी।

    परसनजीत कौर ने जम्मु विश्वविद्यालय से मॉस्टर डिग्री प्राप्त की है। सिविल सेवा की परीक्षा के लिए उन्होनें कहीं कोई कोचिंग नही ली।

संविदा पर ड्राइवर हैं मोइन अहमद के पिता

    उत्तर प्रदेश के जिला मुरादाबाद के कस्बा डिलारी के गाँव जटपुरा निवासी रोडवेज में संविदा बस चालक के बेटे मोइन अहमद ने सिविल सेवा की परीक्षा को पास कर पूरे गाँव का नाम रोशन किया है।

    मोइन ने अपने चौथे प्रयास में 296वीं रैंक प्राप्त की है। मोइन के पिता अली हसन संविदा पर बस चालक हैं और पूरे परिवार के भरण पोषण का पूरा दायित्व उनका ही है। दिल्ली में पढ़नें के लिए मोइन ने 2.5 लाख रूपये का कर्ज लिया था।

सब्जी विक्रेता के पुत्र ने पाई सफलता

    बनारस के आराजी लाइन ब्लॉक के एक छोटे से गाँव असवारी में सब्जी बेचने वाले राजेश कुमार वर्मा के पुत्र रोहित ने अपने पहले ही प्रयास में 225वीं रैंक प्राप्त करने पर पूरे गाँव में उत्सव का माहौल है। अपने पुत्र की सफलता पर राजेश कहते हैं कि रोहित ने कभी हौंसला नही हारा, वह जो भी सफलता पाना चाहता था वह उसे प्राप्त हो गई है।

180 आईएएस एवं 200 आईपीएस अफसर

  • 180 आईएएस अधिकारी, 38 विदेश सेवा और 200 बतौर पुलिस अधिकारी तैनात किए जाएंगें।
  • केन्द्रीय सेवा ग्रुप ए के लिए 473 और ग्रुप बी के लिए 131 नियुक्तियां की जानी हैं। इस प्रकार से कुल 1022 पदों के लिए चयन किया गया है। वहीं चयनित अभ्यर्थियों को उनके रोल नम्बर जारी कर उनके चयन को ही अन्तिम माना जाएगा।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेरठ के कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर के कृषि जैव प्रौद्योगिकी विभाग के विभागाध्यक्ष हैं।