
खेती एक अनमोल रतन (कविता) Publish Date : 13/09/2025
खेती एक अनमोल रतन (कविता)
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
खेती है एक अनमोल रतन।
वैज्ञानिक खेती का करो जतन।।
गहरी जुताई खेत की, गर्मी में बहुत सुहाय।
अवशेष सड़ाकर खेत में, खाद बना लो बनाए।।
फसलों में कम होत है, कीटों का परकोप।
अनाज का उत्पादन बढ़े, है अच्छा संयोग।।
गर्मी की जुताई से खेत में, रसायन विघटित होय।
धरती की सेहत बढ़े, विषमुक्त उत्पादन होय।।
वायु संचार बढ़ता है खेत में, मिट्टी भुरभुर होय।
पानी सोखन की क्षमता बढ़ी, कीट नियंत्रण होय।।
ढाल विपरीत जुताई करें, तो जल अवशोषित होय।
भूक्षरण से मुक्ति मिले, खेती चकाचक होय।।
सम्मान बिखर गया खेत में, मिलकर खोजें लोग।
कहे सेंगर जी सोचकर, है अच्छा है संयोग।।
खरपतवारो से खेत में, बढ़ जाता जंजाल।
उत्पादन घटता देखकर, चन्द्र हो गया लाल।।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।