
अस्थमा के लक्षणों से राहत के लिए अपनाएं आयुर्वेदिक उपाय Publish Date : 07/09/2025
अस्थमा के लक्षणों से राहत के लिए अपनाएं आयुर्वेदिक उपाय
डॉ0 सुशील शर्मा एवं मुकेश शर्मा
अस्थमा सांस से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है, जिसमें सांस की नली में सूजन आ जाती है। सर्दियों का मौसम आते ही बड़ों के साथ-साथ छोटे बच्चे भी इस बीमारी की चपेट में आने लगते हैं। सांस फूलना, सांस लेने में कठिनाई, खांसी और खाँसते समय सीने में दर्द होना अस्थमा के मुख्य लक्षण होते हैं। अस्थमा के लक्षणों को अनदेखा नहीं करना चाहिए बल्कि सही समय पर अस्थमा का इलाज करना चाहिए।
अस्थमा का अगर सही तरीके से उपचार ना किया जाए तो इसके लक्षण और अधिक बढ़ने लगते हैं। आयुर्वेदिक एक्सपर्ट के अनुसार, कुछ आसान आयुर्वेदिक उपायों को अपनाकर अस्थमा के लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। आजके अपने इस लेख में हम आपको ऐसे ही कुछ आयुर्वेदिक उपाय के बारे में बताने जा रहे हैं जो अस्थमा के इलाज में सहायक हो सकते हैं।
तुलसी
आयुर्वेद में तुलसी के औषधीय गुणों के बारे में विस्तार से वर्णन किया गया है। तुलसी में कफ को दूर करने वाले गुण पाए जाते हैं। इसका सेवन करने से रेस्पिरेटरी ट्रैक में जमा कफ दूर होता है और साथ ही सांस की नली की सूजन भी कम होती है।
अस्थमा में तुलसी से प्राप्त लाभः
तुलसी की चायः 5-10 तुलसी की पत्तियां पानी में डालकर उबालें और हल्का गुनगुना होने पर इसमें शहद मिलाकर पिएं। दिन में एक से दो बार इसे पीने से खांसी से आराम मिलता है और गले में जमा कफ दूर हो जाता है।
तुलसी का अर्कः आजकल बाजार में तुलसी का अर्क आसानी से उपलब्ध है। अस्थमा के लक्षणों से राहत के लिए तुलसी के अर्क की 2-3 बूंदें एक कप पानी में मिलाकर पिएं।
तुलसी की पत्तियाँ: तुलसी से मिलने वाले फ़ायदों को पाने के लिए आप सीधे तुलसी की पत्तियों का सेवन भी कर सकते हैं। इसके लिए आप तुलसी की 5-6 पत्तियां रोजाना चबाकर या उन्हें सलाद में डालकर खा सकते हैं।
मुलेठी या यष्टिमधु
मुलेठी को यष्टिमधु भी कहते है। आयुर्वेद के अनुसार यह कफ की एक उत्तम औषधि है जो कफ को गले में जमने से रोकतीं है। मुलेठी में कफ को शांत करने वाले गुण होते हैं जो अस्थमा के मरीजों के लिए यह काफी उपयोगी होती है। इससे गले में कम नहीं जमता है और खांसी से जल्दी राहत मिलती है।
अस्थमा में मुलेठी के सेवन करने का तरीका
मुलेठी चूर्णः मुलेठी के चूर्ण को शहद या गुनगुने पानी के साथ मिलाकर पीने से फेफड़ों से जुड़ी समस्याओं में लाभ मिलता है।
मुलेठी की चायः मुलेठी का उपयोग चाय के रूप में भी किया जा सकता है। जब भी आप चाय बनाएं तो उसमें आधा चम्मच मुलेठी चूर्ण मिला दें और चाय को 5-10 मिनट तक उबालें। दिन में एक से दो बार इस चाय का सेवन करें।
अदरक
अदरक का उपयोग आमतौर पर हर घर में किया जाता है। कुछ लोग चाय में इसका उपयोग करते हैं तो वहीं कुछ लोग सब्जियों का स्वाद बढ़ाने के लिए इसका उपयोग करते हैं। आयुर्वेद के अनुसार यह कफ को कम करने की अचूक दवा है और अस्थमा के मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद है। अदरक श्वासनली को फैलाने में भी मदद करता है जिससे सांस लेने की समस्या में आराम मिलता है।
अदरक की चायः अदरक की चाय बनाने के लिए, एक छोटी सी कटी हुई अदरक को पानी में डालकर उबालें। इसमें थोड़ा शहद और नींबू का रस भी मिलाकर पिएं। इस चाय को दिन में एक से दो बार पी सकते हैं। अदरक की चाय फेफड़ों की समस्याओं से आराम दिलाती है।
अदरक का रसः अस्थमा के लक्षणों से राहत प्राप्त करने के लिए अदरक का ताजा रस निकालकर पिएं। अदरक के रस में शहद मिलाकर पीना ज्यादा जल्दी असर करता है।
इसके अलावा आप सब्जियों में या कोई भी डिश बनाते समय उसमें कटी हुई अदरक डालकर इसका सेवन कर सकते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि जल्दी फायदे के लिए अधिक मात्रा में अदरक का सेवन ना करें।
अडूसा
अडूसा एक औषधीय पौधा है जिसकी पत्तियां अस्थमा के इलाज में बेहद कारगर रहती हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सक अड़ूसा की पत्तियां का प्रयोग अस्थमा के लक्षणों को कम करने में प्रमुखता से करते है। अडूसा की पत्तियों में श्वासनली को फैलाने का गुण पाया जाता है और इसका सेवन करने से सांस लेने में कठिनाई की समस्या से आराम मिलता है।
अस्थमा के इलाज में अडूसा के उपयोग करने का तरीकाः
अडूसा पत्ती का काढ़ाः अडूसा की पत्तियों को सूखा लें और इनका पाउडर बना लें। इस पाउडर को एक कप गर्म पानी में डालकर उबालें और जब एक चौथाई बचे तब छानकर चाय की तरह से इसका सेवन करे।
अडूसा पत्ती चूर्णः अडूसा पत्ती चूर्ण का इस्तेमाल शहद के साथ करने से अस्थमा के लक्षणों में कमी आती है। अडूसा पत्ती का चूर्ण बाजार में आसानी से मिल जाता है।
अस्थमा से राहत पाने के लिए प्राणायाम और योग
आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के अलावा योग और प्राणायाम की मदद से भी आप अस्थमा के लक्षणों से राहत प्राप्त कर सकते हैं। अगर आप अस्थमा से पीड़ित हैं तो अनुलोम विलोम, भ्रामरी, और कपालभाति योगासन करें। अगर आप पहली बार ये योगसान करने जा रहे हैं तो किसी योग एक्सपर्ट की देखरेख में ही योग करें।
लेखकः डॉ0 सुशील शर्मा, जिला मेरठ के कंकर खेड़ा क्षेत्र में पिछले तीस वर्षों से अधिक समय से एक सफल आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में प्रक्टिस कर रहे हैं।