पुरूषों में बांझपन के कारक और होम्योपैथी      Publish Date : 28/08/2025

           पुरूषों में बांझपन के कारक और होम्योपैथी

                                                                                                                                           डॉ0 राजीव सिंह एवं मुकेश शर्मा

पुरुषों में 50 प्रतिशत से अधिक शुक्राणु घट गए और यह हैं बांझपन का एक बड़ा कारण, कहीं आप भी तो नहीं है इसकी चपेट में?

पुरुष बांझपन, तब होता है जब एक पुरुष अपनी महिला साथी को गर्भवती करने में असमर्थ होता है। यह मुख्य रूप से शुक्राणुओं की संख्या, शुक्राणु की गतिशीलता, या शुक्राणु की संरचना में असामान्यताओं के कारण होता है। शहर के साथ-साथ अब इसकी समस्या ग्रामीण भारत में भी तेजी से बढ़ती जा रही है।

पुरुषों में फर्टिलिटी (प्रजनन क्षमता) धीरे-धीरे एक गंभीर संकट की ओर बढ़ रही है, लेकिन इस पर बात बहुत कम होती है। जब भी फर्टिलिटी से जुड़े स्वास्थ्य की बात होती है, तो हमारा ध्यान अक्सर महिलाओं पर ही जाता है, जबकि पुरुष भी इससे जुड़ी गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे हैं। पिछले 40 वर्षों में दुनियाभर में पुरुषों में स्पर्म (शुक्राणुओं) की संख्या 50 प्रतिशत से अधिक कम हो चुकी है। यह गिरावट कोई संयोग नहीं है, बल्कि यह आज की जटिल जीवनशैली का नतीजा है। लगातार बना रहने वाला तनाव, हानिकारक पर्यावरणीय रसायन, बदलते खानपान और डिजिटल थकान आदि इसके प्रमुख कारक हैं। यह हमारी पीढ़ी के लिए एक स्पष्ट चेतावनी है, जो जीवन की दौड़ में उलझे हुए हैं।

                                               

तनावः एक अदृश्य दुश्मन

तनाव एक ऐसा अंदरूनी तूफान है जो पुरुषों की फर्टिलिटी को असंतुलित कर देता है। हर डेडलाइन, हर आर्थिक चिंता, हर मोबाइल नोटिफिकेशन के साथ शरीर में तनाव का मुख्य हॉर्मोन कॉर्टिसोल बढ़ जाता है। जब कॉर्टिसोल ज्यादा होता है, तो टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम हो जाता है, शुक्राणुओं की संख्या घटती है और उनकी गुणवत्ता भी कमजोर हो जाती है। नतीजा? पुरुषों की प्रजनन क्षमता लगातार प्रभावित होती रहती है।

लेकिन भारत में तनाव के अलग-अलग रूप हैं। शहरों में रहने वाले पुरुष लंबे काम के घंटे और लगातार स्क्रीन पर आंखें गड़ाए रहते हैं, जिससे खुद के लिए समय ही नहीं बचता। वहीं, गांवों में पुरुषों को भारी मेहनत, अनिश्चित फसल उत्पादन और लगातार आर्थिक संकट झेलना पड़ता है। संघर्ष अलग हैं, लेकिन नतीजा एक ही है- हॉर्मोनल असंतुलन, जो पिता बनने की राह में सबसे बड़ी रुकावट बन जाता है।

फर्टिलिटी की नींव है अच्छी जीवनशैली

फर्टिलिटी केवल एक जैविक प्रक्रिया नहीं होती है, बल्कि यह हमारी जीवनशैली की भी कहानी है। सही पोषण, नियमित व्यायाम, अच्छी नींद, पर्याप्त पानी और हानिकारक रसायनों से बचाव। यही इसकी असली नींव हैं। गांवों का ताजा खाना, दूध-दही और साबुत अनाज से भरपूर आहार शरीर को जरूरी पोषक तत्व और एंटीऑक्सीडेंट देता है, जो शुक्राणुओं की सेहत के लिए फायदेमंद हैं। लेकिन थकावट, खराब नींद और पर्यावरणीय जहर इस प्राकृतिक फायदे को धीरे-धीरे खत्म कर देते हैं।

इस बिगड़ती स्थिति को सुधारने के लिए हमें अपनी पारंपरिक ताकत को समझना होगा और पुराने सोच के दायरों को तोड़ना होगा। पुरुषों को अपनी फर्टिलिटी से जुड़ी सेहत को अपने संपूर्ण स्वास्थ्य का एक जरूरी हिस्सा मानना चाहिए। यह कोई छुपाने की बात नहीं, बल्कि समझदारी से अपनाने की जरूरत है।

भारत के ग्रामीण-शहरी फर्टिलिटी के अंतर को पाटना

भारत के गांव और शहरों में पुरुषों की फर्टिलिटी की स्थिति अलग-अलग दिखती है। गांवों में यह मुद्दा शर्म और चुप्पी के पीछे छिपा रहता है, जहां पुरुष भारी शारीरिक मेहनत और छुपे हुए मानसिक तनाव का बोझ उठाते हैं। अध्ययनों में पाया गया है कि मानसिक तनाव से शुक्राणुओं की गति लगभग 40 प्रतिशत तक कम हो सकती है, लंकिन फिर भी मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता और सहायता वहां बेहद कम है।

यहीं पर होम्योपैथी उम्मीद की एक किरण बनकर सामने आती है। जहां सामान्य दवाइयां सिर्फ लक्षणों पर ध्यान देती हैं, वहीं होम्योपैथी पूरे व्यक्ति का इलाज करती है। शरीर, मन और आत्मा। यह व्यक्तिगत और सहानुभूतिपूर्ण देखभाल के जरिए भावनात्मक चोटों और मानसिक तनाव को भी दूर करती है। खासकर उन पुरुषों तक पहुंचती है जो सामाजिक शर्म और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के कारण पीछे रह जाते हैं।

क्या होम्योपैथी पुरुष बांझपन को ठीक कर सकती हैं?

                                                

हां, होम्योपैथी में कई अलग-अलग उपचार विकल्प हैं जो पुरुष बांझपन को उलट सकते हैं। इसके लिए कुछ बातों का ख्याल रखना होगा-

  • अपने लिए स्वस्थ वजन बनाए रखना।
  • अधिक फल और सब्जियां खाना।
  • नियमित शारीरिक गतिविधि में शामिल होना, जिसमें पैदल चलना, जॉगिंग करना, साइकिल चलाना, नृत्य करना या वजन उठाना शामिल है।
  • प्रबंधन तनाव।
  • धूम्रपान, शराब पीना बंद करना होगा।
  • संभोग के दौरान यौन स्नेहक (ल्यूब) के उपयोग से बचना होगा।

लेखक: मुकेश शर्मा होम्योपैथी के एक अच्छे जानकार हैं जो पिछले लगभग 25 वर्षों से इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हे। होम्योपैथी के उपचार के दौरान रोग के कारणों को दूर कर रोगी को ठीक किया जाता है। इसलिए होम्योपैथी में प्रत्येक रोगी की दवाए, दवा की पोटेंसी तथा उसकी डोज आदि का निर्धारण रोगी की शारीरिक और उसकी मानसिक अवस्था के अनुसार अलग-अलग होती है। अतः बिना किसी होम्योपैथी के एक्सपर्ट की सलाह के बिना किसी भी दवा सेवन कदापि न करें। अन्य स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी एवं उपचार के लिए फोन नं0 9897702775 पर सम्पर्क करें।

डिसक्लेमरः प्रस्तुत लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने विचार हैं।