
चैटजीपीटी से अच्छा दोस्त को नहीं Publish Date : 19/10/2025
चैटजीपीटी से अच्छा दोस्त को नहीं
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं इं0 कार्तिकेय
‘‘एआई आपके सवालों के जवाब में केवल सीखे गए भाषा पैटर्न को ही दोहरा होता है। अतः आपको सलाह दी जाती है कि इसमें अपने दोस्तों का विकल्प तलाश न करें।’’
23 वर्षीया एमिली क्लिरिच और उनकी एक दोस्त ने मैनहट्टन में एक किफायती और सुविधा सम्पन्न अपार्टमेंट ढूंढा। लेकिन वहां का एक बेडरूम दूसरे बैडरूम की तुलना में कुछ अधिक बड़ा था। ऐसे में यह स्वाभाविक ही था कि जिसके हिस्से में बड़ा कमरा आएगा, उसे अपार्टमेंट के किराए में भी अधिक हिस्सा देना होगा। क्लिरिच स्वयं छोटा कमरा चाह रही थी, परन्तु वह और उनकी दोस्त के बीच यह सहमति नहीं बन पा रही थी कि कम किराया कौन देगा। समस्या के समाधान के लिए उन्होंने चैटजीपीटी का सहारा लिया।
डनकी साथा ने चैटबॉट से सवाल पूछा कि क्या किराए की गणना में कॉमन एरिया को शामिल करना उचित होगा, जिससे कि किराये का बंटवारा बराबर किया जा सके। चैटबॉट ने इस सवाल का उत्तर दिया, ‘आप ठीक हैं कॉमन एरिया की गणना किराये के बंटवारें की गणना के लिए एकदम सही तरीका है।’
ल्ेकिन जब क्लिरिच ने पूछा, ‘क्या किराये का विभाजन बेडरूम के आकार पर निर्धारित नहीं होना चाहिए?’ तो चैटजीपीटी ने उत्तर दिया कि आप बिलकुल सही हैं। इसके बाद उसने इसके पक्ष में कारणों की एक सूची गिना दी।
इस पर वह दोनों ही हतप्रद थी कि चैटजीपीटी न केवन उन दोनों को ही सही बता रहा था बल्कि दोनों के ही पक्ष में वह तर्क भी पेश कर रहा ळाा। निराश होकर दोनों ने समान बेडरूम वाले अपार्टमेंट में शिफ्ट कर लिया। दरअसल, एआई चैटबॉट विस्तृत और व्यक्तिगत उत्तर दिए जाने का दावा तो करते हैं, लेकिन प्रत्येक बात में आसके साथ सहमति भी व्यक्त करते हैं।
इसे इस प्रकार से समझें कि माना कि आप किसी प्रोजेक्ट को लेकर चिंतित हैं, लेकिन चैटबॉट आपके विचार को सफल बताए और आपकी रचनात्मकता की प्रशंसा करे। आप स्वयं भले ही संदेह में हों और चैटबॉट की प्रशंसा के बल पर अपने साथियों से बहस कर बैठें। दरअसल लगातार सकारात्मक बातें कहना भी खतरनाक हो सकता है, जिससे निर्णय में कुछ त्रुटियां भी हो सकती हैं।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिक एवं एआई शोधार्थी डॉ0 मैथ्यू एआई चैटबॉट को एक ‘विकृत आईना’ कहते हैं। वह कहते हैं कि आप सोचवते हैं कि आपको तटस्थ सलाह प्राप्त हो रही है, जबकि एआई मॉडल असल में आपके विचारों को ही चापलूसी भरे अंदाज में ही दोहरा रहा होता है। पेसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी में जनरेटिव एआई लैब के सह-निदेशक एथन मॉलिक के अनुसार, चैटबॉट कोई संवेदनशील प्राणी नहीं होता है, यह एक मॉडल ही है, जिन्हें वाक्य में अगले शब्द का अनुमान लगाने के लिए भारी मात्रा में टैक्स्ट के माध्यम उसे प्रशिक्षित किया जाता जाता है।
यह सहानुभूति या सहमति के जैसा लगता है, असल में यह एआई चैटबॉट के द्वारा सीखे गए भाषा पैटर्न दोहराना मात्र होता है। हमारी प्रतिक्रियाएं उसके व्यवहार को दिशा प्रदान करने में सहायक होती है। इस पर मनोवैज्ञानिक रवि अय्यर कहते हैं कि लोग चैटबॉट को इसलिए पसंद करते हैं, क्योंकि यह कभी भी कोई नकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं देता है और आलोचना के स्थान पर केवल प्रशंसा ही करता है। चैटजीपीटी को विकसित करने वाली कंपनी ओपनएआई के एक हालिया अध्ययन में ज्ञात हुआ है कि एआई उपयोगकर्ताओं के सामाजिक कौशल और उनके वास्तविक जीवन के रिश्तों में रूचि लेने की इच्छा को कम कर सकता हैं।
इसकी आरम्भिक रिपोर्टों से स्पष्ट है कि कुछ लोग पहले से ही मानवीय सम्पर्कों के स्थान पर एआई का उपयोग करते हैं। कॉमन सेंस मीडिया के एक ताजा सर्वेक्षण मे, 52 प्रतिशत किशोरों ने बताया कि वह से एआई का नियमित उपयोग करते हैं।
लगभग 20 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वह अपने वास्तविक दोस्तों की तुलना में एआई साथियों के साथ उतना ही या फिर उससे भी अधिक समय व्यतीत करते हैं, वहीं मनोवैज्ञानिक डॉ0 रियान कबीर के अनुसार, वास्तविक दुनिया के रिश्ते अकराव और सीमाओं के द्वारा परिभाषित होते हैं। आपके दोस्त आपसे रूठे अथवा असहमत हो सकते हैं और उनका यही रूख हमें अपने आपमें सुधार करने करने लिए भी प्रेरित करता है। दरअसल ?, नकारात्मक भावनाओं को नियंत्रित करना मस्तिष्क का बुनियादी काम होता है, जो कि आपको लचीला बानए रखते हुए आपको सीखने में सक्षम बनाता है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि एआई चैटबॉट आपको उस भानवात्मक कार्य से दूर करता है, जिससे आलोचनात्मक क्षमता कमजोर पड़ सकती है। हालांकि, एआई की चापलूसी को को दूर करने के लिए भी शोधकर्ता काम कर रहे हैं, इसलिए तब तक हमें इससे बचने के लिए कुछ उपयोगी कदम उठाने होंगे। डॉ0 नूर कहते हैं कि चैटबॉट के स्थान पर आप वास्तविक मित्रों के साथ की तलाश करें, जो आपको अपनी संतुलित राय दे सकें।
विशषज्ञ कहते हैं कि एआई आपका मित्र या कोई शुभचिंतक नहीं है, बल्कि वह तो केवल एक सॉफ्टवेयर है। इसलिए, जहां कहीं भी आपको ऐसा लगे कि एआई आपकी झूठी प्रशंसा कर रहा है, या आप उसके भ्रमजाल में फंस रहें हैं तो आपको तत्काल मानवीय सहायता प्राप्त करनी चाहिए। विशेषज्ञ चिंतित हैं कि जैसे-जैसे चैटबॉअ अधिक व्यक्तिगत और सुविधाजनक होते जाएंगे, उसी के अनुरूप ही यह समस्याएँ और भी अधिक बढ़ती जाएंगी।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।