
ई-मेल लिखने का भी एक सलीका होता है Publish Date : 13/10/2025
ई-मेल लिखने का भी एक सलीका होता है
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं अन्य
‘‘लिखे जाने वाल ई-मेल स्पष्ट, संक्षिप्त और सारगर्भित तभी हो सकती है, जब कि आपके दिमाग में यह स्पष्ट हो कि आप सामने वाले को इस ई-मेल के माध्यम से क्या संदेश देना चाहते हैं।’’
‘‘फर्स्ट इम्पेशन इज द लास्ट इम्प्रेशन’’ यह उक्ति आप सभी ने सुनी होगी। इस उक्ति का अर्थ है कि आप पहली बार किसी के सामने जो अपनी छवी प्रस्तुत करते हैं, वह व्यक्ति सभी मामलों में उसी प्रकार से देखता है, और ठीक यही बात ई-मेल के मातले में भी उसी प्रकार लागू होती है। इसमें चाहे तो आप कोई छात्र हों अथवा कोई पेशेवर, आप भी संचार करने के लिए ई-मेल का उपयोग तो करते ही होंगे।
भागदौड़ की इस दुनिया में आप अक्सर ही बिना सोच विचार किए हड़बड़ी में किसी को कोई ई-मेल तो भेज देते हैं, परन्तु अनजाने में ही इसमें कुछ गलतियाँ भी कर बैठते हैं। क्या आपने कभी इस बात पर विचार किया है कि आपकी यह छोटी-छोटी गलतियाँ सामने वाले व्यक्ति को किस हद तक प्रभावित कर सकती हैं?
हमेशा ध्यान रखें कि ई-मेल आपकी ब्रांडिंग का दर्पण होता है। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि आपके द्वारा भेजा गया प्रत्येक ई-मेल सामने वाले व्यक्ति के ऊपर सकारात्मक प्रभाव डाल सकने में सक्षम हो।
ऐसे में यदि आप एक प्रभावी ई-मेल लिखना चाहते हैं तो कभी भी इसे जल्दबाजी में न लिखें और ई-मेल को लिखने से पहले विचार करें कि वास्तव में आप सामने वाले को क्या संदेश देना चाहते हैं।
मार्क ट्वेन की लेखन शैली
मार्क ट्वेन अपनी स्पष्ट, संक्षिप्त और आकर्षक लेखन शैली के लिए जाने जाते थे। उन्होंने अपने विचारों को संक्षेप में ही व्यक्त करने की सलाह भी दी है। ठीक सी प्रकार से ई-मेल लिखते समय अपने विचारों को प्रभावशाली तरीके से लिखने का उप्रयास करें। छोटा एवं आसानी से पढ़ा जा सकने वाला ई-मेल लिखने के लिए आप छोटे पैरग्राफ, बुलेट्स एवं पॉइन्ट्स अथवा शीर्षक का उपयोग भी कर सकते हैं।
लेखन गुणवत्ता भी आवश्यक: अपने ई-मेल में मुख्य संदेश अथवा विषय को सदैव ई-मेल के शुरूआत में ही लिखें। इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि भले ही पाठक इसे सरसरी के तौर पर ही क्यों न पढ़े फिर भी वह ई-मेल का असली मुद्दा आसानी से समझ जाएगा। इसके साथ ही ई-मेल को स्पष्ट तरीके से लिखने में कोई भी समझौता नहीं करें। इसके साथ ही ई-मेल की गुणवत्ता पर भी पूरा ध्यान दें।
सीसी में हों कम लोगः ई-मेल की सीसी अर्थात कार्बन कॉपी में ऐसे ही लोगों को रखें, जिन लोगों तक यह संदेश पहुँचाना आवश्यक हो। हालांकि वर्तमान समय में काम को दिखाने के लिए सीसी में अधिक से अधिक लोगें को जोड़ने का चलन बढ़ता जा रहा है। आपको ऐसा बिलकुल नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही आपका ई-मेल जिस विषय से सम्बन्धित है उसका उल्लेख सब्जेक्ट के कॉलम में करना न भूलें।
अधूरे विचारों का खतराः यदि आप वन लाइ्रनर और अधूरे संदेश भेज रहें हैं तो आपका यह ई-मेल रचनात्मकता की कमी को र्शाता है। आपके ई-मेल का मुख्य बिन्दु बिलकुल स्पष्ट और आसानी के साथ समझ में आने वाला होना चाहिए। यदि आप किसी व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से जानते हैं तो उसका नाम लिखकर भी ई-मेल लिखना आरम्भ कर सकते हैं।
अंत को भी प्रभावी बनाएं: पाठक आपके ई-मेल में रूचि दिखाएं, इसके लिए यह आवश्यक है कि आपका ई-मेल आरम्भ से अंत तक प्रभावी बनाएं रखें। ई-मेल को समाप्त करते समय अपने नाम से पहले थैंक्यू और रेगाड्स के जैसे शब्दों का उपयोग आवश्यक रूप से करें।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।