
पथरी की कारगर औषधि है गहत की दाल, बायोटेक विशेषज्ञ डॉ. ममता बौठियाल ने अपनी टीम के साथ किया शोध Publish Date : 05/10/2025
पथरी की कारगर औषधि है गहत की दाल, बायोटेक विशेषज्ञ डॉ. ममता बौठियाल ने अपनी टीम के साथ किया शोध
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
जीबीपीआईईटी घुड़दौड़ी की बायोटेक विशेषज्ञ और डीन आरएंडडी डॉ. ममता बौठियाल ने अपनी टीम के साथ गहत की दाल पर शोध किया और इसके औषधीय गुणों के बारे में खुलासा किया।
उत्तराखंड के समेत विभिन्न प्रांतों में उगाई जाने वाली गहत दाल न केवल स्वादिष्ट और पौष्टिक होती है बल्कि अब वैज्ञानिक रूप से यह गुर्दे की पथरी के निदान के लिए भी एक कारगर औषधि सिद्ध हुई है। पौड़ी स्थित जीबी पंत अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान अंतरराष्ट्रीय जर्नल आरजेपीपी और आईजेएआर में यह शोध प्रकाशित किया गया है इसके साथ ही गहद दाल पर किए गए शोध का उल्लेख किया गया है।
(जीबीपीआईईटी) घुड़दौड़ी की बायोटेक विशेषज्ञ और डीन आरएंडडी डॉ. ममता बीठियाल ने अपनी टीम के इस महत्त्वपूर्ण शोध को प्रतिष्ठित इफ अंतरराष्ट्रीय जर्नल रिसर्च जर्नल फार्माकॉग्नोसी फाइटो कैमिस्ट्री (आरजेपीपी) और इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एडवांस्ड रिसर्च (आईजेएआर) में प्रकाशित किया गया है।
डॉ. बौठियाल के शोध से यह प्रमाणित हुआ है कि गहत की दाल पथरी की एक प्रभावी दवा है। गहत के बीज और पत्तियों एंड के अर्क (रस) का उपयोग करके डॉ. ममता दिखाया कि यह न केवल पथरी को घुलाने (विघटन), बल्कि उसे बनने से रोकने और पेशाब से जुड़ी अन्य परेशानियों को भी दूर करने में भी मदद कर सकती है। डॉ. बौठियाल ने बताया कि यह दाल प्राचीन काल से ही खाने के उपयोग में लाई जा रही है। इस दाल में प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम और फाइबर जैसे कई जरूरी पोषक तत्व और जैव-सक्रिय यौगिक मौजूद हैं।
किसानों के लिए खुला मुनाफे का एक नया मार्ग
गहत की दाल का उपयोग उत्तराखंड में पारंपरिक रूप से दाल, पराठा, फाणू और पकौड़ी आदि के बनाने में किया जाता है। डॉ. बौठियाल का मानना है कि इस वैज्ञानिक प्रमाणन के बाद, गहत की दाल केवल एक भोजन मात्र ही नहीं रहीं, बल्कि अब यह एक न्यूट्रास्यूटिकल फसल (आहार औषधि) बन गई है। इससे किसानों को गुर्दे के रोगों में इसके उपयोग के कारण आर्थिक लाभ कमाने की अपार अवसर प्राप्त होंगे। यह खोज पारंपरिक पहाड़ी आहार को आधुनिक विज्ञान से मजबूती के साथ जोड़ती है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।