'क्रिएट' सेंटर फॉर रूरल एंटरप्राइज एक्सेलेरेशन टू टेक्नोलॉजी      Publish Date : 19/09/2025

       'क्रिएट' सेंटर फॉर रूरल एंटरप्राइज एक्सेलेरेशन टू टेक्नोलॉजी

                                                                                                                                                                                   प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

ग्रामीण औद्योगिकीकरण को आगे बढ़ाने और उद्यम सृजन को विस्तार देने के उद्देश्य से हाल ही में, लेह में एमएसएमई के प्रोत्साहन के लिए प्रौद्योगिकी के माध्यम से ग्रामीण उद्यम त्वरण केंद्र (क्रिएट) स्थापित किया गया है।

'क्रिएट' केंद्र पश्मीना ऊन के बंडल बनाने की सुविधा, गुलाब व अन्य फूलों से आवश्यक तेल संग्रह के लिए उत्पादन सुविधाओं के विकास हेतु प्रशिक्षण प्रदान करेगा। फलों तथा अन्य कच्चे माल के जैव प्रसंस्करण के उद्देश्य से उत्पादन सुविधा के विकास के लिए भी इस केंद्र द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इस केंद्र में पश्मीना ऊन रोविग के लिए आवश्यक मशीनरी का संचालन भी किया जा रहा है।

इस केंद्र की स्थापना से स्थानीय एमएसएमई इकाइयों को लाभ होगा, और उत्पादकता में बढ़ोत्तरी, उत्पादों की गुणवत्ता और आर्थिक क्षमता का विकास होगा। स्थानीय समुदायों के लिए आजीविका के लिए भी अवसर सृजित होंगे। विशेष रूप से लद्दाख जैसे क्षेत्रों में, जहां पर चुनौतीपूर्ण भौगोलिक एवं जलवायु परिस्थितियों के कारण गहन आर्थिक जुड़ाव कीआवश्यकता है, वहां 'क्रिएट' केंद्र आवश्यक है।

प्रौद्योगिकी विकास केंद्रों का विस्तार

                                                                

देश में एमएसएमई को तकनीकी सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से भारत सरकार के एमएसएमई मंत्रालय द्वारा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आधारित अनेक योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। देश में प्रौद्योगिकी केंद्रों के विस्तार के लिए वर्ष 1967 से 1999 के बीच एमएसएमई मंत्रालय द्वारा 18 प्रौद्योगिकी केंद्र स्थापित किए गए, जिन्हें पहले 'टूल रूम्स' के नाम से जाना जाता था। आज ये केंद्र टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट सेंटर्स कहलाते हैं जो कि जनरल इंजीनियरिंग, ऑटोमेशन, हैंड टूल्स, प्लास्टिक, ऑटो पार्ट्स, इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स, फोर्जिंग एवं फाउंड्री, स्पोर्ट्स गुड्स, लेदर एवं फुटवियर, फ्रेगरेंस एवं फ्लेवर जैसे क्षेत्रों में कार्य कर एमएसएमई को डिजाइन, विकास और निर्माण में सहायता प्रदान कर रहे हैं।

प्रौद्योगिकी केंद्रों की इस सफलता को देखते हुए वर्ष 1999 के पश्चात 'टेक्नोलॉजी सेंटर सिस्टम्स प्रोग्राम' के तहत देशभर में 15 नए प्रौद्योगिकी केंद्र स्थापित किए गए हैं। इस प्रकार, कुल 33 प्रौद्योगिकी केंद्रों का नेटवर्क एमएसएमई की सेवा में लगाया गया है। इसके बावजूद देश के एक बड़े हिस्से में फैले एमएसएमई तक इन केंद्रों की पहुँच अभी भी सीमित है।

वर्ष 2024 में, भारत सरकार द्वारा एमएसएमई क्षेत्र को और सशक्त बनाने के उद्देश्य से 14 स्थानों पर सार्वजनिक-निजी साझेदारी (PPP) के तहत "बनाओ, संचालित करो और स्थानांतरित करो" (BOT) मॉडल पर एमएसएमई तकनीकी केंद्रों के विकास की शुरुआत की गई है।

इस पहल के तहत, निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को मिलाकर इन केंद्रों को स्थापित, संचालित और बाद में सरकार को स्थानांतरित किया जाएगा, जिससे तकनीकी सेवाओं की उपलब्धता को बढ़ावा मिलेगा और एमएसएमई कोनवीनतम तकनीकी सहायता प्रदान की जाएगी। यह मॉडल न केवल तकनीकी संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा, बल्कि स्थानीय स्तर पर कौशल विकास को भी बढ़ावा देगा, जिससे एमएसएमई क्षेत्र को अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी।

इन तकनीकी केंद्रों का प्रमुख उद्देश्य एमएसएमई को उन्नत निर्माण तकनीकों तक पहुँच देना, तकनीकी कौशल विकास करना एवं तकनीकी एवं व्यापारिक सलाह प्रदान करना है। इन केंद्रों में टूल्स, डाइज, मोल्ड्स, जिग्स एवं फिक्सचर्स के निर्माण के साथ-साथ जॉब वर्क, प्रिसिजन प्रोडक्शन और तकनीकी सलाह जैसी सेवाएं भी दी जा रही है।

नए प्रौद्योगिकी केंद्रों / विस्तार केंद्रों की स्थापना योजना

प्रौद्योगिकी केंद्रों के नेटवर्क को बढ़ाने के लिए, "नए प्रौद्योगिकी केंद्रों/विस्तार केंद्रों की स्थापना" योजना के तहत, हब और स्पोक मॉडल के अनुसार देश भर में 20 प्रौद्योगिकी केंद्र (टीसी) और 100 विस्तार केंद्र (ईसी) स्थापित किए जा रहे हैं ताकि तकनीकी सेवाओं को जमीनी स्तर तक पहुँचाया जा सके।

इनका उद्देश्य एमएसएमई को प्रौद्योगिकी सहायता, कौशल, इनक्यूबेशन और परामर्श जैसी विभिन्न सेवाओं से जोड़ना और नए एमएसएमई का सृजन करना है। अब तक, 25 विस्तार केंद्र (ईसी) आरंभ हो गए हैं। वर्ष 2024 में, इन विस्तार केंद्रों द्वारा 72,414 प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षित किया गया है और 1,440 इकाइयों की सहायता की गई है। 20 स्थानों पर प्रौद्योगिकी केंद्रों (टीसी) की स्थापना की जा रही है।

इन केंद्रों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), ऑगमेंटेड रियलिटी (AR), वर्चुअल रियलिटी (VR), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), रोबोटिक्स जैसी उन्नत प्रौद्योगिकियों से लैस सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। विस्तार केंद्र, प्रौद्योगिकी केंद्रों के विस्तार के रूप में कार्य कर रहे हैं और ये उन क्षेत्रों में स्थापित किए जा रहे हैं जहां पहले से तकनीकी केंद्रों की उपलब्धता नहीं है। ये केंद्र अपेक्षाकृत छोटे निवेश के साथ स्थापित किए जा रहे है, ताकि व्यापक भौगोलिक क्षेत्रों में सेवा प्रदान की जा सके और स्थानीय आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।

एमएसएमई चैंपियंस योजना

एमएसएमई मंत्रालय द्वारा संचालित एमएसएमई चैंपियंस योजना का उद्देश्य देश के एमएसएमई क्लस्टर और इकाइयों को आधुनिक तकनीकों से सुसज्जित कर उनकी प्रक्रियाओं का आधुनिकीकरण करना, व्यवसाय प्रतिस्पर्धा को बढ़ाना और उन्हें राष्ट्रीय तथा वैश्विक स्तर पर उत्कृष्टता प्राप्त कराने में सहायता प्रदान करना है। इस योजना के तीन प्रमुख घटक है- एमएसएमई-इनोवेटिव, एमएसएमई-सस्टेनेबल और एमएसएमई -कॉम्पिटिटिव।

एमएसएमई इनोवेटिव (नवाचार योजना) के तीन उपघटक है- इन्क्यूबेशन, डिजाइन और बौद्धिक संपदा अधिकार। एमएसएमई मंत्रालय से प्राप्त सूचना के अनुसार इस योजना में इन्क्यूबेशन के अंतर्गत 697 होस्ट संस्थानों को स्वीकृति दी गई है जो नवाचार विचारों को पोषित करेंगे। सितम्बर, 2024 को एमएसएमई आइडिया हैकाथॉन 4.0 (यंग इनोवेटर्स) की शुरुआत की गई, जिसमें अब तक 29,237 विचार प्राप्त हुए हैं।

एमएसएमई मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार डिजाइन क्षेत्र में 18 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए है, जिनमें भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु, 6 आईआईटी और 11 एनआईटी शामिल हैं। 47 व्यावसायिक डिजाइन व छात्र परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान की गई है। आईपीआर श्रेणी में अब तक 73 पेटेंट, 616 ट्रेडमार्क, 37 डिजाइन और एक भौगोलिक संकेतक पंजीकरण को मंजूरी दी जा चुकी है।

एमएसएमई सस्टेनेबल (ZED) सर्टिफिकेशन योजना 28 अप्रैल, 2022 को शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य एमएसएमई इकाइयों की गुणवत्ता और उत्पादकता में सुधार करना है। अब तक 1,64,525 उद्यमों को ZED सर्टिफिकेशन प्रदान किया गया है। ZED 2.0. 18 सितम्बर, 2024 से लागू किया गया है, जिसके तहत प्रमाणन लागत में 20% की कमी की गई है। ऊर्जा प्रबंधन और मापन व विश्लेषण जैसे नए मानदंडों को ब्रॉन्ज स्तर पर जोड़ा गया है। सिल्वर और गोल्ड स्तर पर उद्योग मानकों के अनुरूप नियमित मूल्यांकन किया जा रहा है। इसके साथ ही, बहु-परीक्षण और प्रमाणन के लिए वित्तीय सहायता भी प्रदान की जा रही है।

एमएसएमई कॉम्पिटिटिव (LEAN) योजना 10 मार्च, 2023 की शुरू की गई। इसका उद्देश्य एमएसएमई के उत्पादन और प्रक्रियाओं को दोबारा डिजाइन करके दक्षता में सुधार करनाहै। देश में अब तक 24,339 एमएसएमई पंजीकृत हो चुके हैं। आधिकारिक सूचना के अनुसार 24,221 इकाइयों ने लीन प्रतिबद्धता ली है। दिसम्बर, 2024 तक 9,719 इकाइयों को बेसिक लीन सर्टिफिकेशन प्राप्त हुआ है।

एमएसई क्लस्टर विकास कार्यक्रम

एमएसई क्लस्टर विकास कार्यक्रम के अंतर्गत सामान्य सुविधा केंद्रों और इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। यह योजना खासतौर पर उन क्षेत्रों में केंद्रित है जहां सूक्ष्म और लघु उद्यमों को बेहतर सुविधाओं और बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है।

एमएसएमई मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, इस योजना के अंतर्गत सामान्य सुविधा केंद्रों की स्थापना के लिए केंद्र सरकार परियोजना लागत का 70% तक अनुदान प्रदान करेगी, जब परियोजना लागत 5 करोड़ से 10 करोड़ के बीच हो, और 60% अनुदान तब होगा, जब परियोजना लागत 10 करोड़ से 30 करोड़ के बीच हो। विशेष रूप से आकांक्षी जिलों, पूर्वोत्तर क्षेत्र, पहाड़ी राज्यों, द्वीप क्षेत्रों, नक्सल प्रभावित जिलों, और उन क्लस्टरों में जो 50% से अधिक सूक्ष्म/ग्राम या महिलाओं या अनुसूचित वर्ग के स्वामित्व वाले इकाइयों से बने हैं, इन क्षेत्रों में, 5 करोड़ से 10 करोड़ के बीच के उद्यमों को 80% तक अनुदान दिया जाएगा और 10 करोड़ से 30 करोड़ के बीच लागत में 70% तक अनुदान प्रदान किया जाएगा।

इस योजना का एक अन्य महत्वपूर्ण हिस्सा अक्संरचना विकास है, जिसके तहत नए औद्योगिक क्षेत्र या फ्लैटेड फैक्ट्री परिसर के निर्माण के लिए केंद्र सरकार 60% तक वित्तीय सहायता प्रदान करेगी, जब परियोजना लागत 5 करोड़ से 15 करोड़ के बीच हो। वहीं, पुराने औद्योगिक क्षेत्र या फ्लैटेड फैक्ट्री परिसर के उन्नयन के लिए 50% तक अनुदान मिलेगा। फिर से, आकांक्षी जिलों, पहाड़ी राज्यों, द्वीप क्षेत्रों, नक्सल प्रभावित जिलों और महिला या आरक्षित वर्ग के स्वामित्व वाले क्लस्टरों के लिए अनुदान राशि 70% (नई परियोजनाओं के लिए) और 60% (पुरानी परियोजनाओं के लिए) तक होगी।

इस पहल का उद्देश्य देशभर में सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए सुविधाजनक और सक्षम माहौल बनाना है। साझा सुविधा केन्द्र (सीएफसी) के माध्यम से उद्यमों को तकनीकी, कच्चे माल, और अन्य आवश्यक सेवाएं मिलेगी, जिससे उनके उत्पादन और प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि होगी। वहीं, इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास से उद्योगों के लिए बेहतर कार्यक्षेत्र और प्रौद्योगिकी उपलब्ध होगी, जिससे ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा।

एमएसएमई मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार इस योजना के अंतर्गत, 609 परियोजनाओं को अनुमोदित किया गयाहै, जिनमें से अब तक 353 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। 609 स्वीकृत परियोजनाओं में से, जनवरी 2024 से दिसंबर 2024 की अवधि के दौरान, भारत सरकार द्वारा 392 करोड़ रुपये की सहायता के साथ करीब 601 करोड़ रुपये की कुल परियोजना लागत वाली 29 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई थी।

भारत में एमएसएमई क्षेत्र, जो लगभग 6.3 करोड इकाइयों का प्रतिनिधित्व करता है, न केवल आर्थिक विकास का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, बल्कि यह देश के सामाजिक-सांस्कृतिक ताने-बाने में भी गहराई से रचा-बसा है। इस क्षेत्र की क्षमता को पहचानते हुए, भारत सरकार ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के समावेश से एमएसएमई की उत्पादकता, नवाचार क्षमता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को सशक्त बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण पहले की हैं। आज एमएसएमई क्षेत्र में कॉमन रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट हब, सीएसआईआर मेगा इनोवेशन कॉम्प्लेक्स, निधि-टीबीआई और निधि-आईटीबीआई योजनाओं के साथ न केवल तकनीकी नवाचारों को प्रोत्साहित किया जा रहा है बल्कि ग्रामीण एवं अर्ध-शहरी क्षेत्रों में उद्यमिता को भी बढ़ावा मिल रहा है।

नीति आयोग का अटल इनोवेशन मिशन (एआईएम), भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का नियामक सैंडबॉक्स एमएसएमई के प्रोत्साहन में शामिल हैं। इनके अतिरिक्त, एमएसएमई मंत्रालय, रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ), खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, कपड़ा मंत्रालय आदि द्वारा कई परीक्षण और विज्ञान व प्रौद्योगिकी अनुसंधान प्रयोगशालाएं स्थापित की गई है।

लेह में स्थापित 'क्रिएट' केंद्र हो या देशभर में फैले तकनीकी केंद्र ये सभी पहल एमएसएमई क्षेत्र को आत्मनिर्भर और तकनीकी रूप से उन्नत बनाने की दिशा में एक संगठित प्रयास है। क्रिएट केंद्र जैसे मॉडल इस बात का प्रमाण है कि जब सरकार की योजनाएं जमीनी स्तर पर प्रभावी रूप से लागू होती है, तब वे स्थानीय प्रतिभा को उभारने और क्षेत्रीय आर्थिक विकास को दिशा देने में कितनी सक्षम होती है। लद्दाख जैसे दूरस्थ और संसाधन सीमित क्षेत्र में क्रिएट केंद्र एक प्रयोगशाला के रूप में कार्य कर रहा है, जो पारंपरिक कौशल को आधुनिक तकनीक से जोड़कर न केवल युवाओं को प्रशिक्षण और रोजगार दे रहा है, बल्कि एमएसएमई क्षेत्र को भी नई ऊंचाइयां प्रदान कर रहा है। इस पहल के माध्यम से 'वोकल फॉर लोकल' और 'आत्मनिर्भर भारत' जैसे अभियानों को केवल नारा नहीं, बल्कि एक क्रियाशील मॉडल में परिवर्तित किया जा रहा है।

यह उल्लेखनीय है कि इन विज्ञान व प्रौद्योगिकी योजनाओं के अंतर्गत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, ऑगमेंटेड रियलिटी जैसे अत्याधुनिक क्षेत्रों में एमएसएमई को प्रशिक्षित किया जा रहा है, जिससे वे आधुनिक औद्योगिक क्रांति उद्योग 4.0 की ओर सफलतापूर्वक अग्रसर हो सकें। साथ ही. एमएसएमई चैंपियंस जैसी योजनाएं नवाचार, गुणवत्ता, स्थिरता और प्रतिस्पर्धा जैसे घटकों पर केंद्रित है, जो एमएसएमई को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नई ऊंचाइयों तक पहुँचाने का माध्यम बन रही हैं।

क्लस्टर विकास कार्यक्रम, स्वदेशी घटकों का निर्माण और नई तकनीकी केंद्रों की स्थापना जैसे प्रयास न केवल औद्योगिक विकास को गति दे रहे हैं, बल्कि स्थानीय रोजगार, कौशल विकास और सामाजिक समावेशन को भी प्रोत्साहित कर रहे हैं। विशेषकर आकांक्षी जिलों, महिला और अनुसूचित जाति/जनजाति के स्वामित्व वाले उद्यमों को प्राथमिकता देकर सरकार ने समावेशी विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को स्पष्ट किया है।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आधारित इन पहलों ने एमएसएमई को मात्र एक आर्थिक इकाई के रूप में नहीं, बल्कि नवाचार, रोजगार सृजन, ग्रामीण उत्थान और 'आत्मनिर्भर भारत' की संकल्पना के केंद्रबिंदु के रूप में स्थापित किया है। भविष्य में इन प्रयासों के निरंतर विस्तार से न केवल भारत की आर्थिक संरचना मजबूत होगी, बल्कि वह वैश्विक स्तर पर भी तकनीकी रूप से सशक्त, आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में उभरेगा

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।