
मानसून की बारिश से रबी फसल का उत्पादन अच्छे होने का अनुमान Publish Date : 14/09/2025
मानसून की बारिश से रबी फसल का उत्पादन अच्छे होने का अनुमान
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
इस बार मानसून की अच्छी बारिश होने से रवी फसल का उत्पादन अच्छे होने का अनुमान लगाया जा रहा है। इस समय सरसों, गेहूं चना, मसूर, गन्ना तथा सब्जी आदि फसलों की बुवाई की जाती है। अच्छी बारिश होने के कारण इस बार खरीफ फसलों में खासतौर से धान, अरहर, गन्ना, मूंग, ग्वार, बाजरा, मक्का, उड़द और लोबिया आदि का उत्पादन भी अच्छा होगा।
इस बार मानसून समय से पहले आ गया था, लेकिन वह समय पर वापसी करेगा। मौसम विज्ञान विभाग ने अपने आंकड़ों को जारी करते हुए बताया कि दक्षिण पश्चिम मानसून 15 सितंबर के आसपास उत्तर पश्चिम भारत से वापस लौटने की संभावना है।
वैज्ञानिकों के अनुसार आमतौर पर 1 जून तक केरल में मानसून प्रवेश करता है और 8 जुलाई तक वह पूरे देश को Cover कर लेता है। मानसून 27 सितंबर के आसपास उत्तर पश्चिम भारत से वापसी करना शुरू करता है और 15 अक्टूबर तक पूरी तरह से वापस चला जाता है।
मौसम विभाग के अनुसार इस बार 15 सितंबर के आसपास पश्चिमी राजस्थान के कुछ हिस्सों से दक्षिण पश्चिम मानसून की वापसी के लिए परिस्थितियाँ अनुकूल बनती जा रही है। इस वर्ष मानसून ने अपनी सामान्य तिथि 8 जुलाई से 9 दिन पहले ही पूरे देश को cover कर लिया था। वर्ष 2020 के बाद से इस बार मानसून ने सबसे जल्दी पूरे देश में अपनी पहुंच बना ली थी। इस बार मानसून 24 May को केरल पहुंच गया था। वर्ष 2009 के बाद से मानसून सबसे जल्दी भारतीय भूमि पर पहुंचा था।
भारत के कई क्षेत्र अभी भी मानसून की वर्षा पर निर्भर
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आर. एस. सेंगर ने बताया कि देश के अभी भी कई प्रदेश ऐसे हैं जहां पर किसान अपनी खेती के लिए मानसून से हुई वर्षा पर ही निर्भर करते हैं, क्योंकि वहां पर सिंचाई के लिए पानी के पर्याप्त साधन अभी भी उपलब्ध नहीं हो पाए है। इसलिए अभी भी कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां पर किसान आसमान की ओर वर्षा के लिए टकटकी लगाए देखते रहते हैं कि कब वर्षा होगी और वह अपनी फसलों की बुवाई कर सकेंगे।
उन्होंने बताया कि मानसून भारत के कृषि क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है। भारत की 42% आबादी आज भी खेती के लिए पानी के लिए मानसून पर ही निर्भर करते हैं। कृषि क्षेत्र देश के सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी में 18.2 प्रतिशत का योगदान देता है। मानसून पीने की पानी और बिजली उत्पादन के लिए भी आवश्यक जलाशय की फिर से भरने मैं भी महत्वपूर्ण योगदान देता है, जिससे भूजल रिचार्ज होता है और जो पानी का जमीन के अंदर स्तर बनाए रखने में सहायक होता है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।