टैक्स के कम होने से कृषि लागत में एक तिहाई तक की कमी आ सकती है      Publish Date : 06/09/2025

टैक्स के कम होने से कृषि लागत में एक तिहाई तक की कमी आ सकती है

                                                                                                                                                                           प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं अन्य

सरकार द्वारा टैक्स में जो हाल ही में कमी की गई है उसका प्रभाव कृषि पर भी दिखाई देगा। किसानों के लिए मान लें की ₹700000 के ट्रैक्टर पर पहले 12% की दर से 84 हजार रुपए टैक्स देना पड़ता था परन्तु अब 5% पर यह घटकर 35000 ही रह जाएगा यानी 49000 की बचत होगी। इसी तरह ₹200000 के रीपर या रोटावेटर पर 14000 रुपए तक की राहत मिलेगी। कृषि, डेयरी और मत्स्य पालन से जुड़े उपकरणों और उत्पादों पर भी टैक्स घटा दिया गया है, इससे उनकी दर भी सस्ती हो जाएगी। टैक्स में कमी का सीधा असर फसलों की प्रति एकड़ लागत पर भी दिखाई देगा। इसका लाभ सीधा किसानों को मिल सकेगा।

कृषि, डेयरी और मत्स्य पालन से जुड़े उपकरणों और उत्पादों पर जीएसटी काउंसिल ने लगने वाले टैक्स को घटाकर, किसानों को एक बड़ी राहत दी है। इससे किसी कार्य की आधार लागत में लगभग एक तिहाई तक कमी आ सकती है। इससे उत्पादन बढ़ेगा और किसानों की आमदनी में सुधार होगा। ट्रैक्टर के पुरजों से लेकर उर्वरक तक सस्ते होने से किसानों की जेब पर बोझ कम होगा, वही बाजार में प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी। टैक्स स्लैब में यह बदलाव ग्रामीण अर्थव्यवस्था को टिकाऊ बनाने की रणनीति की पहल माना जा रहा है। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में बनी हाई पावर एसपी कमेटी के सदस्य डॉक्टर विनोद आनंद का आकलन है कि जीएसटी स्लैब में बदलाव से खेती एवं इससे जुड़े क्षेत्र के बेसिक उत्पादन लागत में 30% से 40% तक कमी आ सकती है।

                                                                

इसका प्रभाव केवल महंगाई पर ही नहीं बल्कि खेती की लागत नगदी प्रवाह और ग्रामीण मांग पर भी पड़ेगा। उन्होंने उदाहरण दिया कि किसी ड्रोन पर अब केवल पांच प्रतिशत टैक्स लगेगा, जबकि अभी तक 18% लगता था। इसकी बैटरी और कुछ अन्य सामान पर 28% जीएसटी था। छोटे ट्रैक्टरों पर 18000 सीसी से कम थे, उन पर अब 18% और उनके टायर ट्यूब, हाइड्रोलिक पंप जैसे उपकरणों पर 40% तक टैक्स था जिसे घटकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है।

फ्रेशर ड्रिप इरिगेशन सिस्टम और आधुनिक मशीनों पर भी टैक्स घटा दिया गया है। 15% से कम क्षमता वाले डीजल इंजन, कटाई मशीन और कंपोस्टिंग मशीन भी अब सस्ती हो जाएंगी। नई दरों के बाद छोटे किसान भी आसानी से ट्रैक्टर व अन्य उपकरणों को खरीद सकेंगे। टैक्स में कमी का असर फसलों की प्रति एकड़ लागत पर भी दिखाई देगा। कृषि उपकरण और अन्य उत्पादों पर टैक्स के घटने से ग्रामीण परिवारों को सीधा फायदा होगा। दूध, पनीर, Gheee, मक्खन और आइसक्रीम अब या तो कर मुक्त होंगे या फिर केवल पांच प्रतिशत कर के दायरे में आ जाएंगे, इससे उपभोक्ताओं को राहत और डेयरी उद्योग को मजबूती मिल सकेगी।

मत्स्य पालन पर भी टैक्स में बड़ी कटौती की गई है। मछली तेल, झींगा उत्पादन, पंप ऑपरेटर, जल गुणवत्ता सुधारक और मछली पकड़ने का सामान सबकुछ सस्ता हो जाएगा। इससे प्रसंस्करण इकाइयों की लागत घटेगी और रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक और सबसे बड़ा झींगा निर्यातक देश है। ऐसे में यह राहत उद्योग को और प्रतिस्पर्धी बनाएगी।

किसानों की सबसे बड़ी चिंता उर्वरकों की कमी है, उनके उत्पादन में लगने वाले अमोनियम सल्फ्यूरिक एसिड और नाइट्रिक एसिड जैसे कच्चे माल पर कर 18% से घटकर 5% कर दिया गया है। इससे कंपनियों की लागत कम होगी और किसानों को खाद भी सस्ती दरो पर मिल सकेगा, तो निश्चित रूप से आने वाले समय में जीएसटी का कम होना किसानों के लिए लाभकारी ही सिद्व होगा।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।