प्राकृतिक रोष का समाना करने की व्यथा और विवशता का समाना करने की व्यथा और विवशता      Publish Date : 05/09/2025

         प्राकृतिक रोष का समाना करने की व्यथा और विवशता

                                                                                                                                                                      प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

मानवीय गतिविधियों के चलते मानव बाज अपने विनाश के कगार पर आ पहुँचा है। प्रकृति से छेड़छाड़ करते हुए अब नित नई प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ रहा है। इस क्रम में निरंतर असामान्य प्राकृतिक की चरम घटनाएं सामने आ रही है, जिनके वलते हमें भारी जानमाल की हानि का सामना करना पड़ रहा है। कुछ दिन पूर्व ही उत्तराखंड़ के घराली में हुई आपदा को अभी अधिक समय नहीं गुजरा है कि अब पंजाब बाढ़ के चते त्राहिमाम कर उठा है।  

इस प्राकर से देखा जाए तो कहा जा सकता है कि जितना अधिक हम प्रकृति को नुकसान पहुंचा रहे हैं, उसका बदला लेने के लिए प्रकृति को केवल एक हल्की सी करवट लेने की जरूरत है और इसके बाद सबकुल्द समाप्त। अतः प्रकृति को शांत बनाए रखने के लिए हमें आज आवश्यक रूप से कुछ प्रकृति के अनुकूल उपाय करने होंगे। अब इसके अलावा कोई अन्य विकल्प हमारे पास नहीं है।

                                                              

अब हमें मानव सभ्यता को बचाने के लिए आगे आना ही होगा। प्रकृति के प्रभावों को कम करने के लिए हमें खेतों के आसपास अधिक से अधिक पेड़ लगाने होंगे और प्रकृति ने हमें बहुत ही अच्छा मौका दिया है। आजकल बरसात का समय चल रहा है और प्रकृति से नजदीकी बनाएं रखने के लिए हमें अपने खेतों और उनके आसपास पेडत्र लगाने चाहिए। इसके लिए पेड़ों को केवल यह सोच कर ही ना लगाएं कि हमें उनके फल खाने को मिलेंगे अथवा नहीं, बल्कि यह हमारी आगे आने वाली जनरेशन के भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए भी बहुत आवश्यक है।

अतः हमारा सभी किसान भाइयों से अनुरोध है कि अपने हर खेत में कम से कम एक-एक पेड़ मानसून के मौसमे में अबकी बार अवश्य लगाएं। पेड़ों पर प्राकृतिक जीवों पक्षियों को भी आश्रय मिलेगा और जब यह प्राकृतिक जीव जन्तु और पक्षी खेती को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों को अपना आहार बनाएंगे तो उससे हमारी खेती की लागत भी कम होने लगेगी और उत्पादन भी बढ़ने लगेगा और किसान का जीवन सम्पन्न और खुशहाल बनेगा।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।