
भावनात्मक बुद्धिमत्ता की मांग Publish Date : 01/09/2025
भावनात्मक बुद्धिमत्ता की मांग
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं इं0 कार्तिकेय
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के अनुसार इमोशनल कोशंट (ईक्यू) आने वाले समय में नौकरी के लिए अनिवार्य शीर्ष कौशलों में से एक होगा। लगभग 57 फीसदी रिकूटर्स इसे श्रेष्ठ कर्मचारी की पहचान मानते हैं।
इमोशनल कोशंट यानी भावनात्मक बुद्धिमता। एक शोध के अनुसार वर्ष 2025 में इमोशनल कोशेट (ईक्यू) यानी भावनात्मक बुद्धिमत्ता सर्वाधिक मांग वाले दस कौशलों में से एक रहा है। इसे इमोशनल इंटेलिजेंस भी कहते हैं। वहीं पदोन्नति की लेकर हुए एक सर्वे में पाया गया कि 75 फीसदी रिकूटर्स अपने कर्मचारियों की पदोन्नति और वेतन वृद्धि के लिए उनके इमोशनल इंटेलिजेंस का भी आंकलन करते हैं।
करियर के लिए क्यों जरूरीः एक अध्ययन के अनुसार भावनात्मक बुद्धिमत्ता टीम का नेतृत्व करने में 44 फीसदी, सहकर्मियों के व्यक्तिगत मुद्दों को समझने में 37 फीसदी, फीडबैक देने या समीक्षा करने में 31 फीसदी और प्रतिभा की पहचान करने के लिए 25 फीसदी आवश्यक पहलू है। यह सकारात्मक और स्वस्थ माहौल बनाने के लिए महत्वपूर्ण है।
ऐसे लोग बेहतर टीमवर्क, ने कूच क्षमता, संवेदनशीलता और समस्या समाधान के लिए अहम कड़ी बनते हैं। कहना सही होगा कि हर नौकरी में सफलता का 58 फीसदी आपकी इमोशनल इंटेलिजेंस पर ही टिका होता है।
परिवर्तन के लिए तैयार उच्च ईक्यू वाले कर्मचारी लगातार बदलते कामकाजी माहौल में, तनाव झेलने और बदलाव के दौरान शांत रहने में सक्षम होते हैं। ये कर्मचारी पुरोजर चुनौतियों को भी धैर्य के साथ स्वीकार करते हैं।
नौकरी में संतुष्टि और जुड़ावः अक्सर इन लोगों में नौकरी को लेकर संतुष्टि और जुड़ाव का स्तर भी अधिक होता है। इनमें नौकरी छोड़ने की संभावना दूसरों की तुलना में चार गुना तक कम होती है। इसका कारण है सकारात्मक सोच रखना, अपनी भावनाओं पर नियंत्रण और अपने सहयोगियों के साथ मजबूत रिश्ते बनाना।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।