बच्चों को तनावग्रस्त न बनाएं      Publish Date : 16/08/2025

                      बच्चों को तनावग्रस्त न बनाएं

                                                                                                                                      प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

आज के इस युग में अभिभावकों में अपने बच्चों को हरफनमौला बनाने का फितूर सवार है। सर्वप्रथम डेढ़-दो वर्ष की छोटी उम्र में ही शहर के अच्छे स्कूल में दाखिले के लिए तोता-रटंत का फितूर दिखाई देने लग जाता है। दाखिले के बाद क्लास में अव्वल रहने के लिए कई ट्यूशनें, फिर इसके बाद बहुमुखी विकास के लिए म्यूजिक, स्विमिंग, राइडिंग, गोल्फ, क्रिकेट सरीखे हॉबी वाले कोर्स, यानी कि बच्चों को श्सुपरमैनश् बनाने के फेर में आज के अभिभावक परवरिश के मूल तंत्र तक को दरकिनार कर रहे हैं।

आज के अभिभावक प्रतिस्पर्धा की होड़ में यह जानना तक भूल जाते हैं कि वास्तव में उनका बच्चा चाहता क्या है? फलां बच्चा ऐसा कर रहा है तो उनका बच्चा ही पीछे क्यों रहे, वाली मानसिकता में फंसे अभिभावक अपनी इच्छाएं अपने बच्चों पर थोपकर उनके स्वाभाविक विकास के क्रम में तो बाधक बनते ही हैं, साथ ही यथार्थ से परे अपेक्षाएं रखकर बच्चों को तनाव और चिंताग्रस्त भी बना रहे हैं।

                                                        

समय इतना बदल चुका है कि आज के अभिभावक अपने पूर्ववर्तियों की तुलना में बच्चे में नैतिक मूल्य और संस्कार डालने की बजाय उन्हेंयेन-केन-प्रकारेण सफल होने की उत्कंठा देने का काम ही कर रहे हैं। ऐसे में अगर आज के बच्चे तनाव, चिंता और कुंठा से ग्रस्त हो रहे हैं तो इसके जिम्मेदार अभिभावक के अलावा और कौन हो सकता हैं? कारण हम उनके लिए एक मानक निर्धारित करते हैं जो पहले तो दबाव और फिर तनाव को जन्म देता है।

छोटे बच्चे जब बड़े होते हैं तो शैक्षिक और सामाजिक दबाव उनके तनाव का प्रमुख कारण बन जाता है। यहां भी एक बड़ी भूमिका अभिभावक ही निभाते हैं। अक्सर देखा गया है कि सफल और समझदार अभिभावक अपने बच्चों में अपने जैसा बनने की नसीहत देकर उनके लिए दवाव पैदा करने का काम करते हैं। बच्चों के तनाव पर अभिभावकों की आपसी बातचीत का भी गहरा असर पड़ता है। कार्यक्षेत्र से जुड़ी समस्याओं की चर्चा सहित किसी मित्र या नाते-रिश्तेदार के बीच मतभेदों की चर्चा तक की बातों से बच्चे तनाव में आ जाते हैं। ऐसे में बहुत जरूरी हो जाता है कि अभिभावक ध्यान रखें कि उन्हें बच्चों के सामने कौन-सी बात करनी है और कौन-सी नहीं, इस बात का विशेष ध्यान रखें।

                                                    

आपका बच्चा दबाव या तनाव में है, इसके लक्षणों को पहचानना आसान नहीं होता। फिर भी व्यवहार में परिवर्तन, मूडी हो जाना, बातें बनाना, नोंद के पैटर्न में बदलाव सरीखे संकेतों से यह जाना जा सकता है कि आपका बच्चा तनाव या दवाव में है। कुछ बच्चों में तनाव का शरीर पर भी प्रभाव पड़ता है। पेट दर्द, सिर दर्द, मासिक स्राव का एक से अधिक बार हो जाना, आदि लक्षण भी तनाव के कारण बच्चों में दिखाई देने लगते हैं। तनाव का एक प्रभाव यह भी होता है कि वे स्कूल का काम पूरा नहीं कर पाते या उस काम को करने में परेशानी होती है। ऐसे बच्चे एकान्त में बैठ कर कुछ सोचते रहते हैं।

तनावग्रस्त बच्चों को तनाव से मुक्ति दिलाने में मां अधिक मदद कर सकती है। बच्चों को प्रकृति को अच्छी तरह से समझें और उन्हें उनकी क्षमताओं के अनुरूप ही कार्य करने दें। बच्चे में तनाव, चिन्ता या कुंठा न पनपे, इसके लिए यह जरूरी है कि उन्हें नियमित समय दें तथा उनके सामने घरेलू या ऑफिस की चिन्तनीय बातों को कदापि न करें। बच्चों के सामने पति-पत्नी में झगड़ा करना वर्जित होता है तथा बच्चों की तुलना अन्य बच्चे सेन करें। बच्चों में आध्यात्मिक संस्कार डालें तथा उन्हें आध्यात्मिक बनाएं। याद रखें कि बच्चों को तनाव से बाहर निकालने की कुंजी अभिभावकों के ही हाथ में होती है।

समय से सोने और जागने की आदतबच्चों को ज्यादा देर रात तक पढ़ाई करने से रोकें और समय से उन्हें सोने की सलाह दें। इसके साथ ही आप उन्हें सुबह समय से उठा दें, जिससे कि वो समय से उठकर खुद को तरोताजा और तनामुक्त महसूस कर सकें। सुबह आप अपने बच्चों को एक्सरसाइज करने और वॉक करने के लिए जरूर कहें। ये उनकी दिनचर्या को बेहतर करने का काम करता है।

लिस्ट तैयार करेंः बच्चों को कुछ भी करने देता कोई अच्छी आदत नहीं है। आप उनको तनावमुक्त रखने के साथ बेहतर जीवनशैली देने के लिए उनकी एक रूटीन तैयार करें। जैसे ही आप बच्चों के लिए रूटीन लिस्ट तैयार करते हैं, तो ये उनकी अच्छी आदत हो सकती है और तनाव कम हो सकता है। अगर आपको सूची बनाना भाने लगता है, तो केवल उन चीजों को शामिल करने की कोशिश करें, जो उस दिन करने के लिए आपके लिए 100 प्रतिशत जरूरी है।

हेल्दी डाइट और फिजिकल एक्टिविटीः बच्चों को हमेशा अच्छी और हेल्दी डाइट देने की कोशिश करें, ये उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप दोनों तरीकों से फायदा पहुंचाता है। जब आप अपने शरीर को विभिन्न प्रकार के स्वस्थ खाद्य पदार्थों से पोषित करते हैं, तो यह आपको दिन भर के लिए जरूरी एनर्जी देता है। अगर आप अपने बच्चों को पहले से बहुत सारी ताजी सब्जियों और फलों, प्रोटीन, स्वस्थ वसा और साबुत अनाज देते हैं तो ये अच्छी बात है लेकिन अगर नहीं देते तो आज से ही उनकी डाइट में इन चीजों को शामिल करें। आप अपने बच्चों के फास्ट फूड खाने की आदत को दूर करेंः ये उनके स्वास्थ्य को खराब कर सकता है। इसके अलावा उन्हें नियमित रूप से फिजिकल एक्टिविटी के लिए भी प्रेरित करें जिससे की वो खुद को तनावमुक्त रखने के साथ खुद को फिट रख सके।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।