
जर्जर हो चुके पेड़ों का ऑडिट कर हटाया जाए Publish Date : 15/08/2025
जर्जर हो चुके पेड़ों का ऑडिट कर हटाया जाए
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी
प्राय ऐसा देखा गया है कि जो पेड़ काफी पुराने हो गए हैं या जिन पेड़ों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है, वे सड़क किनारे लंबे समय से जर्जर पेड़ को समय से नहीं हटाने के कारण दुर्घटनाएं होती रहती हैं, यदि यह पेड़़ बस, रिक्शा और टेंपो आदि के ऊपर गिरते हैं तो काफी गंभीर दुर्घटनाएं हो जाती हैं। हाल ही में कई जिंदगियां ऐसी हैं जो स्कूली बस पर गिरने के कारण काफी नुकसान हुआ है।
गर्मी के बाद से ही तेज आंधी और फिर बरसात में जड़ से खोखले कमजोर हो चुके पेड़ों की गिरने से बहुसंख्यक लोगों की जान जाती है। इसे प्राकृतिक दुर्घटना मान लिया जाता है, लेकिन सवाल यह है कि क्या इसे ऐसा करना उचित है। यह विदित है की आंधी तूफान अथवा बरसात के मौसम में ही जर्जर पेड़ धराशाई होते हैं तो क्यों नहीं समय रहते इनको ऑडिट कर इन्हें हटा दिया जाता।
कहीं सड़क किनारे तो कहीं आबादी के बीच खोखले हो चुके पेड़ जो वर्षों से खड़े रहते हैं और आमजन इसकी शिकायत भी करते हैं, लेकिन पेड़ काटने के नियमों की उलझन और कठोर सजा के भय से पेड़ के खुद ही गिरने का इंतजार करने लगते है, लेकिन यदि वन विभाग अथवा शहरों में नियामक इकाई बसंत के बाद से ही जर्जर पेड़ों की ऑडिट कर खतरनाक हो चुके पेड़ों को हटा लें तो ऐसे हादसों को रोका जा सकता हैं।
इस तरह की घटना को प्राकृतिक दुर्घटना ना मानकर इसके प्रति जवाबदेही तय की जानी चाहिए। लेकिन उससे पहले सरकार को सुनिश्चित करना होगा कि जर्जर पेड़ों की पहचान कर ली जाए और उस पर तुरंत निर्णय लिया जाना चाहिए।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।