
मानसून और ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था Publish Date : 31/07/2025
मानसून और ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं अन्य
“मानसून केवल बारिश का पानी लेकर ही नहीं आता है, अपितु यह ग्रामीण भारत का आर्थिक इंजन भी है।“
किसान जागरण से कीई विशेष बातचीत में राष्ट्रीय कृषि आर्थिकी एवं नीति अनुसंधान के निदेशक डॉ0 बिरथल स्पष्ट रूप से कहते हैं, “मानसून अच्छा होगा तो खेती, किसान और ग्रामीण अर्थव्यवस्था तीनों मजबूत होंगे।” उन्होंने कहा कि आज भी भारत की 45 प्रतिशत खेती मानसून पर ही निर्भर करती है।
इस बार दक्षिण पश्चिम मानसून मेहरबान बना हुआ है और उत्तर भारत में झमाझम बारिश हो रही है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने इस बार के मानसून को लेकर इसे सामान्य बने रहने की भविष्यवाणी भी की है। देश में मानूसन के आगमन से केवल बारिश का पानी ही नहीं आता, बल्कि यह एक ग्रामीण आर्थिक इंजन भी है। देश के प्रसिद्ध कृषि अर्थशास्त्री डॉ0 प्रताप सिंह बिरथल का मानना है कि भले ही तकनीक और सिंचाई के साधन बड़ी संख्या में बढ़े हों, लेकिन भारत की कृषि वस्तुतः आज भी मानसून पर गहराई से निर्भर करती है।
खेती, किसान और ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होंगे
किसान जागरण से बातचीत में डॉ0 बिरथल स्पष्ट रूप से कहते हैं, “मानसून अच्छा होगा तो खेती, किसान और ग्रामीण अर्थव्यवस्था तीनों मजबूत होंगे।” उन्होंने कहा कि भारत की 45 प्रतिशत खेती मानसून पर निर्भर है। यदि शुरुआत में अच्छी बारिश होती है तो भूमिगत जल स्तर (Ground Water) रिचार्ज हो जाता है, जो सूखे के समय काम आता है। फसल अच्छी होगी तो किसानों की आय बढ़ेगी, और आय बढ़ेगी तो खपत (Purhesing Power) भी बढ़ेगी। खपत से निवेश, निवेश से विकास आएगा।
ग्रामीण बाजारों में मांग बढ़ती है
डॉ0 बिरथल कहते हैं कि किसान आय बढ़ने पर ट्रैक्टर, मशीनरी, उपकरण आदि खरीदते हैं। इससे ग्रामीण बाजारों में मांग बढ़ती है, जो औद्योगिक उत्पादनों और सर्विस सेक्टर की ग्रोथ को रफ्तार देता है। ये प्रभाव धीरे-धीरे GDP तक पहुंचते हैं। किसान का खर्च बढ़ता है तो वह विकास में हिस्सेदार बनता है।
मानसून की अनिश्चितता के खतरे
उन्होंने बताया कि अगर शुरुआत में बारिश होकर बीच में बंद हुई, तो फसल खराब हो सकती है। हार्वेस्टिंग के समय बारिश आने से फसल की गुणवत्ता और मूल्य दोनों गिर सकते हैं। अत्यधिक बारिश से बाढ़ और नुकसान का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए सिर्फ मानसून का आना नहीं, उसकी टाइमिंग भी बहुत अहम कारक है।
पशुपालन और मिश्रित खेती में मानसून की भूमिका
डॉ0 बिरथल ने बताया कि भारत की खेती प्रणाली मिक्स्ड फार्मिंग है, जिसमें पशुपालन एक प्रमुख भूमिका निभाता है। मानसून अच्छा होगा तो हरा चारा मिलेगा, सूखे चारे का भंडारण किया जा सकेगा, पशुओं की सेहत सुधरेगी और दूध उत्पादन बढ़ेगा। पशुपालन से किसानों को नियमित आमदनी मिलती है, यह कृषि का इंश्योरेंस है।
मानसून का सीधा असर राज्य और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर डॉ0 बिरथल कहते हैं कि भारत की GDP में कृषि और ग्रामीण क्षेत्र का योगदान 30 प्रतिशत से अधिक है। जबकि राजस्थान, हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में तो यह 40 प्रतिशत तक पहुंचता है। मानसून अच्छा होगा तो इन राज्यों को सबसे अधिक लाभ होगा। जैसे ही आय बढ़ती है, लोग फल, सब्जी, दूध, ड्राई फ्रूट्स जैसे पोषण वाले आहार की ओर बढ़ते हैं।
इससे ग्रामीण उपभोक्ता बाजार में बदलाव आता है और नई मांग उत्पन्न होती है। फूड बास्केट में बदलाव का असर पूरे रिटेल नेटवर्क और कृषि आपूर्ति श्रृंखला पर पड़ता है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।