
खाद्य सुरक्षा और सहकारिता: भारत के लिए गेमचेंजर Publish Date : 27/07/2025
खाद्य सुरक्षा और सहकारिता: भारत के लिए गेमचेंजर
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
खाद्य सुरक्षा सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्राथमिक चिंताओं में से एक है। खाद्य सुरक्षा केवल बाज़ार में खाद्यान्नों की उपलब्धता पर ही निर्भर नहीं करती, बल्कि आम जन की इन वस्तुओं की बाज़ार से खरीद तक पहुँच और ये उपभोक्ताओं के लिए कितनी सुलभ हैं, इस पर भी निर्भर करती है। भंडारण की कमी, कटाई के बाद होने वाला नुकसान और अक्षम खाद्य वितरण प्रणालियाँ खाद्य सुरक्षा के लिए चुनौतियाँ उत्पन्न करती हैं। भारत सरकार ने 2023 में सहकारी क्षेत्र में विश्व के सबसे बड़े खाद्यान्न भंडारण कार्यक्रम की शुरुआत की। इस पहल के नवाचारपूर्ण दृष्टिकोण को रेखांकित करना और अनाज की खरीद और कुशल भंडारण के लिए प्राथमिक कृषि साख समितियों (PACS) की भूमिका का मूल्यांकन करना, इस पहल के उद्देश्यों को साकार करने में सहायक होगा। हालाँकि अनेक चुनौतियाँ विद्यमान हैं, परंतु इन्हें सामूहिक रूप से उपयुक्त तरीकों से दूर कर टिकाऊपन को बढ़ाया जा सकता है। कृषि उपज की प्रभावी ग्रेडिंग, छंटाई और संचालन खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद कर सकती है। सहकारिताएं अब बहुआयामी और बहुउद्देश्यीय बन चुकी हैं और इन्हें खाद्य सुरक्षा के पुनरुत्पादक मॉडलों की ओर बढ़ना चाहिए, जिससे सामूहिक विकास के दृष्टिकोण पर विश्वास रखते हुए अर्थव्यवस्था को निचले स्तर से आवश्यक गति दी जा सके।
भारत के पास विश्व की कुल खेती योग्य भूमि (138 करोड़ हेक्टेयर) का 11% (16 करोड़ हेक्टेयर) हिस्सा है, जबकि यहाँ विश्व की कुल जनसंख्या (790 करोड़) का 18% (140 करोड़) भाग निवास करता है। यह संकेत करता है कि वैश्विक खेती योग्य भूमि का केवल 11% हिस्सा होने के बावजूद, भारत को विश्व की 18% जनसंख्या की खाद्य आवश्यकताओं को पूरा करना है। खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के 2021 के सांख्यिकीय आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत का कुल खाद्यान्न उत्पादन 311 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) है, जबकि इसकी कुल भंडारण क्षमता केवल 145 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) है। इसका अर्थ है कि भंडारण क्षमता में 166 MMT की कमी है।जहाँ अन्य देश भंडारण संरचनाओं के मामले में पूरी तरह आत्मनिर्भर है, वहीं भारत में भंडारण अवसंरचना में 47 प्रतिशत की कमी है। भारत में अपर्याप्त भंडारण संरचनाओं की यह स्थायी बाधा कटाई के बाद होने वाले नुकसान और खाद्य वितरण प्रणालियों की अक्षमता के साथ लगातार बनी हुई है। इन सीमाओं के बीच, भारत सरकार द्वारा 2023 में सहकारी क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना की शुरुआत खाद्य सुरक्षा के लिए एक वरदान के रूप में सामने आई है। इस पहल को प्राथमिक कृषि साख समितियाँ 'पैक्स' (PACS) आगे बढ़ा सकती हैं। 'पैक्स' के विविधीकरण के साथ, इसकी भागीदारी कृषि इनपुट्स, ऋण और विविध अवसंरचना सेवाओं के प्रावधान तक विस्तृत होगी। खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और उसे सक्षम बनाने में इनकी भागीदारी से सामुदायिकसशक्तीकरण, ग्रामीण विकास और सततता को बढ़ावा मिलेगा।
सहकारी क्षेत्र की संभावनाएं
भारत में 1.1 लाख से अधिक प्राथमिक कृषि साख समितियाँ (PACS) है, जिनमें 13 करोड़ किसान सदस्य हैं। कृषि सहकारिताओं ने छोटे और सीमांत किसानों को विभिन्न व्यावसायिक मॉडलों के माध्यम से सहयोग प्रदान किया है, जहाँ कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए इनपुट सेवाएं उपलब्ध कराई गईं। ये व्यावसायिक मॉडल बाजार तक पहुँच, प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण और भंडारण संरचनाओं जैसी सेवाएं प्रदान करते हैं। तमिलनाडु में, सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत 94 प्रतिशत उचित मूल्य की दुकानों का संचालन सहकारिताओं द्वारा किया जाता है। मदर डेयरी ने दूध और सब्जियाँ निश्चित दरों पर उपलब्ध कराईं। अमूल भारत में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने वाली एक सफल सहकारी संस्था है। महाराष्ट्र में अकादमी ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज ने जनजातीय और ग्रामीण समुदायों के लिए अनाज बैंक स्थापित किए हैं, जहाँ सदस्य अतिरिक्त अनाज जमा कर सकते हैं और अनाज के रूप में ऋण प्राप्त कर सकते हैं, जिसे अगली फसल के समय चुकाया जा सकता है। राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (NAFED) आवश्यक वस्तुओं जैसे दालें और प्याज का बफर स्टॉक बनाए रखता है। सहकारिताएं केंद्रीकृत खरीद और भंडारण प्रणाली के निर्माण के लिए एक सहभागी उपायप्रस्तुत कर सकती हैं। हालांकि, संचालन और प्रबंधन से जुड़ी समस्याएं 'पैक्स स्तर पर खरीद और भंडारण प्रणालियों के क्रियान्वयन को सीमित करती है। अध्ययनों में बताया गया है कि 'पैक्स' की भंडारण संरचनाएं अच्छी तरह से प्रबंधित नहीं थीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सहकारिताओं को आर्थिक विकास के एक प्रभावी साधन के रूप में मान्यता दी और उनके सामर्थ्य का उपयोग करने की आवश्यकता पर बल दिया, जिसे 'सहकार से समृद्धि' के दृष्टिकोण में समाहित किया गया। इसके अलावा, सहकारिता मंत्रालय ने 'पैक्स' के विविधीकरण के लिए एक दूरदर्शी योजना प्रस्तुत की।
भारत में खाद्य भंडारण
अध्ययनों में भारत में खाद्य भंडारण संरचनाओं की अक्षमता और अपर्याप्तता तथा इनके खाद्य सुरक्षा पर संभावित प्रभाव का दस्तावेजीकरण किया गया है। खराब वेयरहाउसिंग अवसंरचना के कारण किसानों को संकटग्रस्त बिक्री करनी पड़ती है, जिससे उन्हें वित्तीय नुकसान होता है। खराब भंडारण संरचना के कारण प्रतिवर्ष कुल खाद्यान्न का 10-15 प्रतिशत नुकसान होता है, जिसका वित्तीय असर लगभग 90,000 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष होता है (गुलाटी एट अल., 2024)। खाद्य भंडारण प्रणालियों में सुधार करते हुए सहकारी मॉडल को जोखिम शमन और नुकसान में कमी लाने हेतु एक प्रशासनिक संरचना के रूप में मूल्यांकित किया गया है। भारतीय खाद्य निगम के गोदाम भंडारण अवसंरचना की कमी, अनाज की बर्बादी, गुणवत्ता में गिरावट, उच्च भंडारण लागत और खाद्यान्नों के अधिक लक्षित वितरण जैसी समस्याओं से ग्रस्त हैं।
खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु अनाज भंडारण योजना
- किसान पैक्स में बने गोदाम में अपनी उपज रख सकेंगे।
- वे फसल के अगले चक्र के लिए ब्रिज फाइनेंस भी प्राप्त कर सकते हैं।
- किसान अपनी पसंद के समय पर उपज बेच सकते हैं।
- वे अपनी पूरी फसल एमएसपी पर पैक्स को बेचने का विकल्प भी चुन सकते हैं।
- किसान पंचायत/गांव स्तर पर भी विभिन्न कृषि इनपुट और सेवाएं प्राप्त कर सकते हैं।
'पैक्स' और खाद्य सुरक्षा
'पैक्स' को विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से आर्थिक रूप से सशक्त बनाया गया है। पीएमएफएमई योजना (PMFME) और कृषि अवसंरचना निधि (AIF) जैसी योजनाओं ने 'पैक्स' को ग्रामीण आजीविका सुनिश्चित करने और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने हेतु गतिविधियों में भागीदारी का अवसर प्रदान किया है। 31 मई, 2023 को भारत सरकार के सहकारिता मंत्रालय ने 'दुनिया की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना' को मंजूरी दी, जिसके तहत 1.25 लाख करोड़ के निवेश को जुटाने का लक्ष्य है। यह योजना अगले पांच वर्षों में 700 लाख टन भंडारण क्षमता सृजित करने का उद्देश्य रखतीहै। इस पहल का लक्ष्य देशभर में 67,000 सक्रिय पैक्स को अतिरिक्त खाद्यान्न भंडारण क्षमता के निर्माण में शामिल करना है। इस परियोजना का एक प्रमुख उद्देश्य अपर्याप्त भंडारण क्षमता की समस्या का समाधान करना है, जो भारी मात्रा में फसल कटाई के बाद नुकसान का कारण रही है। उचित भडारण सुविधाओं की कमी के कारण खाद्यान्न की कई बार हैंडलिंग करनी पड़ती है, जिससे गुणवत्ता में गिरावट आती है और बर्बादी होती है। इसके अतिरिक्त, नजदीकी भंडारण इकाइयों के अभाव में होने वाला अधिक परिवहन खर्च किसानों पर अतिरिक्त बोझ डालता है, जिससे उन्हें अपनी उपज का उचित मूल्य प्राप्त करना कठिन हो जाता है।
इस परियोजना का उद्देश्य समुदाय स्तर पर एक मजबूत और विकेन्द्रीकृत भंडारण नेटवर्क स्थापित करना है, जिससे भंडारण क्षमता संबंधी चुनौतियों को कम किया जा सके और कृषि आपूर्ति श्रृंखला की समग्र दक्षता में सुधार हो। आगे का रास्ता यह है कि 'पैक्स' स्तर पर गोदामों का निर्माण कर भंडारण ढांचे का विकेन्द्रीकरण किया जाए। किसान स्थानीय स्तर पर अपनी उपज संग्रहित कर सकेंगे, जिससे परिवहन लागत और फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान में कमी आएगी। 'पैक्स' प्रत्यक्ष खरीद एजेंसी के रूप में कार्य कर सकते हैं, जिससे न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद में सुधार होगा। यह पहल किसानों की आय बढ़ाने में मदद करेगी और 'पैक्स' को बहु-कार्यात्मक व्यावसायिक इकाइयों में परिवर्तित करेगी। आवश्यकता इस बात की है कि 'पैक्स' के लिए भंडारण अवसंरचना की सुशासन प्रणाली को सुनिश्चित करने हेतु उपायों पर ध्यान केंद्रित किया जाए। खाद्यान्न भंडारण कीदिशा में 2025 तक की प्रगति संकेतकों में 11 राज्यों की 11 'पैक्स' में गोदामों का निर्माण शामिल है (तालिका-१)। इसके अतिरिक्त, 500 'पैक्स' में गोदाम निर्माण हेतु शिलान्यास किए जा चुके हैं, जो इस परियोजना के तीव्र विस्तार और भारत सरकार की योजना को मूर्त रूप देने की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। इसका क्रियान्वयन भारत सरकार की विभिन्न मौजूदा योजनाओं जैसे AIF, AMI, कृषि यंत्रीकरण पर उप मिशन (SMAM), और PMFME के अभिसरण के माध्यम से किया जा रहा है। विभिन्न योजनाओं का एकीकरण संसाधनों का प्रभावी उपयोग और अधिकतम प्रभावसुनिश्चित करता है।
खाद्य सुरक्षा की दिशा में 'पैक्स' के लिए शासन तंत्र
देश में खाद्यान्न भंडारण नेटवर्क तैयार करने की समग्र योजना को संस्थागत सहायता प्रदान करने के लिए कृषि अवसंरचना कोष (AIF), कृषि यंत्रीकरण उप मिशन (AMI), पीएमएफएमई (PMFME), उप मिशन ऑन एग्रीकल्चरल मेकेनाइजेशन (SMAM), राष्ट्रीय कोल्ड चेन विकास योजना, राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC), राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) और ग्रामीण भंडारण योजना प्रमुख भूमिका निभाएंगे। AMI योजना 'पैक्स' के गोदाम भवनों के लिए 33 प्रतिशत की सब्सिडी प्रदान करती है। देश में लगभग 14 करोड़ किसान परिवारों के कृषि अवसंरचना विकास से संबंधित मुद्दों को संबोधित करने के लिए भारत सरकार ने 15 मई, 2020 को एक लाख करोड़ रुपये के कृषि अवसंरचना कोष (AIF) की घोषणा की थी, जिसे कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है (https://agriinfra. dac.gov.in/)। इस योजना का उद्देश्य व्यवहार्य कृषि परियोजनाओं के लिए मध्यम और दीर्घकालिक वित्त जुटाना और आकर्षित करना है। AIF के तहत लिए गए ऋणों पर 2 करोड़ रुपये की सीमा तक अधिकतम 7 वर्षों के लिए प्रति वर्ष 3 प्रतिशत ब्याज अनुदान दिया जाता है। इसके अतिरिक्त, नाबार्ड 'पैक्स' के लिए। प्रतिशत की अतिरिक्त ब्याज सब्सिडी भी प्रदान करता है।हालांकि, इस परियोजना में उल्लेखनीय प्रगति हुई है, फिर भी इसके कार्यान्वयन में कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं। प्रमुख मुद्दों में से एक है-योजना को लागू करने में शामिल विभिन्नएजेंसियों के बीच समन्वय। इसमें सरकारी विभागों, सहकारी समितियों और वित्तीय संस्थानों सहित कई हितधारक शामिल है, जिससे निर्बाध समन्वय सुनिश्चित करना एक जटिल प्रक्रिया बन जाता है।इसके अलावा, समय पर धन वितरण और भूमि की उपलब्धता जैसे कारक भी परियोजना की सफलता को प्रभावित करते हैं। इन चुनौतियों का समाधान एक सुव्यवस्थित संस्थागत तंत्र से ही संभव है, जो क्रियान्वयन प्रक्रिया को सरल बना सकें। यह अपेक्षा की जाती है कि सहकारिता मंत्रालय, अन्य संबंधित मंत्रालयों/विभागों से परामर्श कर, इस योजनाके लिए एक एकल खिड़की वाली प्रमुख कार्यान्वयन एजेंसी की भूमिका निभाएगा, ताकि समुदाय स्तर पर सदस्य-स्वामित्व एवं सदस्य प्रबंधित भंडारण अवसंरचना नेटवर्क की स्थापना सुनिश्चित हो सके। चित्र-1 में इस योजना के लिए आवश्यक शासन तंत्र को दर्शाया गया है।
क्षमता निर्माण कार्यक्रम
'पैक्स' के सदस्यों के लिए उपयुक्त जागरूकता और प्रशिक्षण सामग्री तैयार करना आवश्यक है। समर्पित प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों से 'पैक्स' के सदस्यों को स्थानीय स्तर पर भंडारण अवसंरचना स्थापित करने के लिए आवश्यक कौशल और क्षमताएं प्राप्त होंगी। इसके अलावा, वे तैयार भंडारण सुविधाओं का सुरक्षित खाद्यान्न भंडारण और निपटान हेतु प्रभावी उपयोग कर सकेंगे, जिससे खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित हो सकेगी।प्रशिक्षण में इन्वेंट्री प्रबंधन, गुणवत्ता मूल्यांकन, डिजिटल खरीद प्लेटफॉर्म्स का और नियामकीय अनुपालन वक्त की जरूरत है। इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रमों से पेशेवर प्रबंधकों की एक ऐसी टीम तैयार होगी जो सामुदायिक स्तर पर बेहतर सेवाएं प्रदान कर सकेगी और खाद्य सुरक्षा की दिशा में बनाई गई अवसंरचना का कुशलतापूर्वक संचालन करसकेगी।
भूमि समूहण तंत्र
स्थानीय स्तर पर 'पैक्स' के लिए गोदाम निर्माण हेतु भूमिअधिग्रहण एक बड़ी चुनौती हो सकती है, विशेष रूप से धनी आबादी वाले क्षेत्रों में। खाद्यान्न भंडारण योजना के समयबद्ध क्रियान्वयन हेतु गाँव पंचायतों से परामर्श करते हुए छोटे-छोटे भूखंडों की पूलिंग करना आवश्यक है, जिससे स्थानीय स्तर पर भंडारण अवसंरचना की रूपरेखा बनाई जा सके। यह तंत्र ग्रामीण समुदाय की आवश्यकताओं को, विशेष रूप से धनी बस्तियों/तालुकों में, पूरा करने में सहायक सिद्ध होगा।
PACS के माध्यम से खाद्य सुरक्षा
क्षमता निर्माण कार्यक्रम
भूमि समेकन तंत्र, सरल वित्तपोषण प्रक्रियाएं, निगरानी डैशबोर्ड, जन-जागरूकता अभियान
↓
गुणवत्तापूर्ण भंडारण और संचालन
- फसल कटाई के बाद नुकसान में कमी
- बफर स्टॉक
↓
मूल्य प्राप्ति
- परिवहन लागत में कमी
- संसाधनों का अनुकूलन
- त्वरित भुगतान
- किसानों की आय में वृद्धि
↓
सुधरी हुई ग्रामीण आजीविका
- वित्तीय स्थिरता
- बेहतर खाद्य वितरण प्रणाली
- रोजगार सृजन
↓
सतत विकास लक्ष्य
- SDG-9 उद्योग, नवाचार और अवसंरचना
- SDG-8 समुचित कार्य और आर्थिक विकास
- SDG-12 जिम्मेदार खपत और उत्पादन
- SDG-2: भुखमरी से मुक्ति
- SDG-1 गरीबी उन्मूलन
- SDG-17: लक्ष्यों के लिए भागीदारी
सरलीकृत वित्तपोषण तंत्र
पात्रता से पहले 'पैक्स' की वित्तीय वहन क्षमता का मूल्यांकन करना आवश्यक है। यद्यपि संस्थागत निकायों द्वारा 'पैक्स' को आत्मनिर्भर बनाने हेतु कई सरल वित्तपोषण उपाय उपलब्ध कराए गए हैं जैसे ब्याज में छूट, सब्सिडी और क्रेडिट गारंटी - फिर भी 'पैक्स' को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे बाहरी सहायता बंद होने के बाद भी संचालन को दीर्घकालिक रूप से बनाए रखने हेतु स्पष्ट योजना तैयार करें। इस संदर्भ में 'पैक्स' को निम्नलिखित जोखिमों का मूल्यांकन करना चाहिएः शासन तंत्र की पारदर्शिता, संचालन और मानव संसाधन प्रबंधन, जवाबदेही, आंतरिक और बाहरी जोखिम। इस प्रकार की तैयारी से 'पैक्स' की भागीदारी को और अधिक प्रोत्साहन मिलेगा तथा योजना की सफलता सुनिश्चित होगी।
डिजिटलीकरण और कृत्रिम बुद्धिमता का प्रयोग करडैशबोर्ड की निगरानी
'पैक्स' का कंप्यूटरीकरण प्रदर्शन, पारदर्शिता और जवाबदेही को बेहतर बनाने के लिए प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों की निगरानी हेतु डैशबोर्ड के उपयोग में सहायक होगा। डिजिटलीकरण और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के अनुप्रयोग से सभी संबंधित पक्ष डेटा आधारित सुशासन की ओर अग्रसर हो सकेंगे, जिससे 'पैक्स' के कार्यों में स्मार्ट तकनीक का समावेश होगा और कार्यक्षमता में वृद्धि होगी। इन्हीं उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने एक संस्थागतढांचा तैयार किया है, जिसके अंतर्गत कार्यक्रमगत गतिविधियों की निगरानी एक अंतर-मंत्रालयी समिति द्वारा की जाती है। यह समिति प्रगति का आकलन करती है और समय पर रणनीतिक मार्गदर्शन व नीतिगत दिशा-निर्देश प्रदान करती है।राज्य स्तर पर राज्य सहकारी विकास समितियाँ कार्यान्वयन की निगरानी करती है, जबकि जिला स्तर पर जिला सहकारी विकास समितियाँ योजना के सुचारू क्रियान्वयन की जिम्मेदारी संभालती हैं। इस प्रकार की संरचित व्यवस्था निगरानी, जवाबदेही और समस्याओं के समाधान में मददगार सिद्ध होती है।
जन जागरूकता अभियान
भंडारण अवसंरचना की सफलता में किसानों की भागीदारी अत्यंत आवश्यक है। इसलिए किसानों को भंडारण और खरीद प्रक्रिया में शामिल करने के लिए जन-जागरूकता अभियानों करेंगे और उनकी भागीदारी को प्रोत्साहित करेंगे, जिससे की सख्त आवश्यकता है। ऐसे अभियान किसानों को शिक्षित योजना की स्वीकार्यता और प्रभावशीलता बढ़ेगी।
'पैक्स' द्वारा खाद्य सुरक्षा पहल का प्रभाव
सार्वजनिक वितरण प्रणाली। 'पैक्स' द्वारा संचालित यह पहल खाद्य सुरक्षा के दो प्रमुख घटक होते हैं बफर स्टॉक और नियंत्रित भंडारण सुविधाएं प्रदान करेगी, जिससे फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान में कमी आएगी। ग्रामीण क्षेत्रों में भंडारण सुविधाओं का व्यापक नेटवर्क तैयार होने से निम्नलिखितलाभ होंगे। बफर स्टॉक की मजबूती, स्टॉक प्रबंधन में सुधार, सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दक्षता में वृद्धि।इसके अलावा, ऑनलाइन खरीद प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से 'पैक्स' किसानों और सरकारी एजेंसियों के साथ सीधे संवाद कर सकेंगे। परिणामस्वरूप, एक प्रभावी और कुशल शासन तंत्र विकसित होगा, जो गुणवत्तायुक्त भडारण और संचालन, किसानों को बेहतर मूल्य प्राप्ति, ग्रामीण आजीविका में सुधार और सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में सुधार करेगा।यदि इस पहल को 'पैक्स' के माध्यम से सामुदायिक स्तर पर सही ढंग से लागू किया जाए, तो यह सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायक सिद्ध होगी।
निष्कर्ष
विश्व की सबसे बड़ी खाद्यान्न भंडारण योजना एक परिवर्तनकारी कदम है, जिसका उद्देश्य सामुदायिक स्तर पर हस्तक्षेपों के माध्यम से खाद्य सुरक्षा प्राप्त करना है। 'पैक्स', जो कि किसानों के सहकारी संगठन हैं, देशभर में खाद्यान्न भंडारण क्षमता स्थापित करके इस योजना की पहुँच और विस्तार सुनिश्चित करने को तैयार हैं। डिजिटल तकनीको से सुसज्जित और योजनागत ढांचे से जुड़े 'पैक्स', खाद्यान्न खरीद प्रक्रिया से जुड़ी दीर्घकालिक चुनौतियों को कम करसकते हैं। गांव स्तर पर विकेन्द्रीकृत भंडारण सुविधा किसानों की पहुँच बढ़ाएगी, परिवहन लागत और कटाई के बाद की हानि को कम करेगी। यह पहल खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने के साथ-साथ मौजूदा अवसंरचना के आधुनिकीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है। सुनियोजित शासन प्रणाली के माध्यम से 'पैक्स को एक सक्षम संस्था के रूप में विकसित किया जा सकता है जो खाद्यान्न भंडारण का प्रबंधन कर सके।आगे देखते हुए, योजना का उद्देश्य अधिक 'पैक्स' को अपने दायरे में शामिल कर और विस्तार करना है। विभिन्न हितधारकों के बीच समन्वय तंत्र को सुदृढ़ करना मौजूदा चुनौतियों से पार पाने के लिए आवश्यक होगा। भूमि अधिग्रहण और धन आवंटन जैसे क्रियान्वयन संबंधी मुद्दों का समय पर समाधान सुनिश्चित करना इस परियोजना की सफलता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होगा। सुनियोजित दृष्टिकोण और सरकार के निरंतर समर्थन के साथ, इस पहल में भारत में खाद्यान्न भंडारण संरचना में क्रांति लाने, फसल के बाद होने वाले नुकसान को कम करने और किसानों को बेहतर भंडारण समाधान एवं उनकी उपज के लिए बेहतर मूल्य प्राप्ति के माध्यम से महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करने की क्षमता है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।