
कृषि एवं कौशल विकास से ही आत्मनिर्भर भारत बन सकेगा Publish Date : 16/07/2025
कृषि एवं कौशल विकास से ही आत्मनिर्भर भारत बन सकेगा
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
यदि आप एक कृषि स्नातक हैं और अब कौशल विकास के भागीदार हैं तो आप इसके चलते कृषि और स्किल डवलपमेंट को कैसे कनैक्ट करते हैं?
यह बहुत अहम और अच्छा सवाल है, जिसे बोलचाल की भाषा में कहें, तो खेती किसानी और कौशल विकास का गहरा और पुराना नाता है। किसान हमेशा से ही उपलब्ध साधनों, अनुभवों और नई तकनीक को अपनाता रहा है और कृषि की भाषा में कहें, तो खाद्य प्रसंकरण, डेयरी और मत्स्य-पालन सहित कृषि आधारित दूसरे उद्योगों में कौशल विकास के जरीए रोजगार हासिल किए जा सकते हैं. इस के लिए जरूरी है कि इस डिजिटल युग में किसानों के लिए ऑनलाइन मार्केटिंग, ई-कॉमर्स और सरकारी योजनाओं की जानकारी पहुंचाई जाए. कौशल विकास इस में अहम रोल निभाता है।
वह कैसे जरा विस्तार से बताएंगे ?
जी, कुछ योजनाओं का जिक्र में यहां कर रहा हूं, जो बहुत ही लोकप्रिय हो रही हैं और किसानों के लिए लाभप्रद भी हैं। पहली योजना है ‘ड्रोन दीदी’, जिसके तहत किसानों को
वैज्ञानिक तरीके से जोड़ कर खेती की पैदावार व कीटनाशकों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से खासतौर से महिलाओं के लिए लांच किया गया है। इस कार्यक्रम में महिलाओं को ट्रेनिंग भी दी जाती है और उन्हें ड्रोन भी प्रदान किए जाते हैं। मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों में भी इस के उत्साहजनक नतीजे सामने आ रहे हैं।
दूसरी अहम योजना पीएमकेवीवाय यानी प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना है, जिस के तहत युवाओं को कृषि सहित विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया जाता है। इसी प्रकार एक और योजना है, जिस का जिक्र खासतौर पर यहां करना चाहूंगा। वह है राष्ट्रीय कृषि विस्तार कार्यक्रम। इस में किसानों को नई तकनीक और विधियों की ट्रेनिंग दी जाती है। इसी तरह ई-नाम में किसानों को डिजिटल प्लेटफार्म पर अपनी पैदावार बेचने का मौका मिलता है।
क्या वजह है कि किसान अभी भी नई तकनीक अपनाने से हिचकते हैं?
नहीं, ऐसा नहीं है. किसान अब तेजी से नई तकनीक अपना रहा है, लेकिन यह भी सही है कि सभी किसान परंपरागत खेती का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं। देखिए, कौशल विकास का सीधा सा मतलब है लोगों को विभिन्न कामों में माहिर बनाना। इस में तकनीकी जानकारी, आधुनिक उपकरणों और नई विधियों का प्रशिक्षण भी शामिल है।
इसी तरह कौशल विकास का मकसद लोगों को आत्मनिर्भर बनाना और रोजगार के मौके सृजित करना है। कृषि के क्षेत्र में कौशल विकास किसानों को अधिक उत्पादन करने और बेहतर तकनीकों को अपनाने में मदद करता है।
कौशल विकास के माध्यम से ही किसान आधुनिक उपकरणों और तकनीक का उपयोग करना सीखते हैं। मसलन, ड्रिप इरिगेशन, जैविक खेती और हाईड्रोपोनिक्स इत्यादि। इस के अलावा कटाई के बाद फसल को सही तरीके से संरक्षित करना और फसल को बाजार में मूल्य पर बेचना भी तो कौशल विकास ही है।
आजकल हर कहीं आत्मनिर्भर भारत की बात होती है। इस में कृषि एवं कौशल विकास कहां फिट होते हैं?
देखिए, कृषि न केवल की मध्य प्रदेश की, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था की भी रीढ़ है। हमें जो कुछ भी मिलता है, वह खेती-किसानी से ही मिलता है। इसलिए मेरा मानना है कि कृषि एवं कौशल विकास का तालमेल ही ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बना सकता है। अगर किसान नए कौशल सीखते, और उन्हें अपनाते हैं, उन्नत कृषि पद्धतियों को अपनाएं, तो वे न केवल अपनी आय बढ़ा सकते हैं, बल्कि देश की माली हालत को भी मजबूत बना सकते हैं। कृषि एवं कौशल विकास को साथ ला कर ही आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।