
गर्मी में प्यास तो सभी को लगती है Publish Date : 14/07/2025
गर्मी में प्यास तो सभी को लगती है
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
फिलहाल गर्मी है और गर्मी से केवल इंसान ही परेशान नहीं होते, बल्कि हमारे आस-पास रहने वाले परिंदे और जानवर भी गर्मी और प्यास से परेशान होते हैं। ऐसे में सवाल यह है कि हम उनके दाना-पानी के लिए हम कितना कर पाते हैं?
इंसान को प्यास लगती है तो वह कहीं से भी पानी मांगकर पी लेता है। उसके लिए समाज सेवकों द्वारा जगह-जगह पानी के प्याऊ भी लगाए जाते हैं, लेकिन निरीह पशु-पक्षियों के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की जाती है। पालतू जानवरों की देख-रेख तो उनके मालिकों द्वारा हो जाती है, लेकिन स्ट्रीट डॉग्स, मूक पशु-पक्षियों को भोजन और पानी के लिए इधर उधर भटकना पड़ता है। कुत्ते का जोर-जोर से हांफना और लार निकालना दर्शाता है कि उसके शरीर में पानी की कमी हो गई है। इससे वह थकान महसूस करता है और सांस लेने की क्रिया और दिल की धड़कन को बढ़ाकर शरीर में पानी की कमी की भरपाई करने की कोशिश करता है।
प्यास और भूख की वजह से डिहाइड्रेशन हो जाता है, जिससे उसकी मौत तक भी हो सकती है। जानकारों की मानें तो कुत्तों में पसीना ग्रंथि नहीं होती है। यही कारण है कि गर्मियों के दिनों में वे चिड़चिड़े और आक्रामक हो जाते हैं। उनको ठंडी जगह नहीं मिल पाती है, प्यास बुझाने के लिए पानी नहीं मिलता, जमीन गरम होने से पैरों के तलवे जल जाते हैं। इन सब वजहों से वे लोगों को काटने लगते हैं और खूंखार हो जाते हैं।
दलिया में थोड़ा दूध डालकरः 100 से 200 मीटर की दूरी पर किसी छायादार जगह पर हम मिट्टी का एक बड़ा-सा कटोरा रखकर उसमें पानी रख सकते हैं। बहुत-से पशु प्रेमी कुत्तों को टोस्ट, बिस्किट वगैरह खाना तो खिला देते हैं, जानवर भूख के कारण खा भी लेते हैं, लेकिन फिर वे किसी गटर का पानी या गड्ढे में पड़ा गंदा पानी पीते हैं। गंदे पानी में मच्छर के लार्वा और अपशिष्ट पदार्थ मिले रहते हैं। वह पानी पीने से उनकी आंतों और लीवर में इंफेक्शन हो सकता है। नतीजतन, वे खाना-पीना छोड़ देते हैं। कभी-कभी तो उनकी मौत भी हो जाती है।
इसलिए कुत्तों को खाना खिलाने के साथ-साथ पानी की व्यवस्था भी अवश्य ही करें। इन जानवरों को दलिया में थोड़ा दूध डालकर दे सकती हैं, जिससे उनमें पानी की पूर्ति भी हो जाएगी।
चना, चावल, ज्वार और गेहूंः पक्षियों को भोजन के लिए कीड़े-मकोड़े नमी वाले स्थानों पर ही मिल पाते हैं। गर्मी के कारण जमीन और जल स्रोत सूख जाते हैं, जिससे चिड़ियों को भोजन नहीं मिल पाता। इसके लिए हम गर्मी में अपने घरों के बाहर, छतों पर, आंगन में मिट्टी के बर्तन में पानी रखें। घर के आस-पास लगे पेड़ों पर मिट्टी के बने जल पात्र टांग दें। संभव हो तो छतों पर पक्षियों के लिए छाया की व्यवस्था भी करें और उनके लिए गत्ते या पुराने फर्नीचर के घर बना दें। घर के आस-पास पेड़ लगाएं, जिससे पक्षी वहां आकर बैठ सकें और घोंसला बना सकें।
साल्ट और एनर्जी पक्षियों की किडनी के फंक्शन के लिए जरूरी है। इसकी पूर्ति खनिज लवण मिले पानी से ही हो सकती है। पक्षियों के शरीर में इलेक्ट्रोलाइट की मात्रा संतुलित रहे, इसके लिए उनके पानी में गुड़ की थोड़ी मात्रा मिला दें। इससे उनको गर्मी से राहत मिलेगी और शरीर में पानी की कमी नहीं होगी। पक्षियों के लिए चना, चावल, ज्वार, गेहूं आदि को घर की छत पर रख दें।
बच्चा खाना एक बर्तन में गर्मियों में गाय और दूसरे मवेशियों के लिए भी पानी का बड़ा मिट्टी का बर्तन रखें, ताकि वे अपना मुंह बर्तन में आसानी से डाल पाएं। हो सके तो घरों के बाहर टिन शेड बना दें। पानी का छिड़काव भी करें, ताकि वह जगह ठंडो रहे और गाय तथा अन्य मवेशी वहां बैठ सकें।
घरों में बचे खाने को कचरे में न फेंककर एक बर्तन में बाहर रख दें, ताकि कोई जानवर उससे अपना पेट भर सके। हो सके तो खाने में दही में पानी मिलाकर दें। इससे खाना गीला रहेगा। मवेशी ऐसे खाने को आसानी से खा लेते हैं और उनका खाना आसानी से पच जाता है। उन्हें कभी भी सड़ा और खराब खाना न दें। इससे वे फूड पॉइजनिंग का शिकार हो सकते हैं और उनकी मौत भी हो सकती है। पानी को नियमित बदलें और समय नए पानी तथा खाने के बर्तनों की सफाई करें। घर के आस-पास किसी पशु-पक्षी को घायल अवस्था में देखें तो उसे पशु चिकित्सालय ले जाएं। यदि वह ज्यादा घायल है तो पशु चिकित्सक को वहीं बुला लें। आपका थोड़ा-सा प्रयास किसी को जीवन दे सकता है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।