
गन्ने का लाल रोग और इसका प्रबन्धन Publish Date : 12/07/2025
गन्ने का लाल रोग और इसका प्रबन्धन
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी
साथियों मैं डॉक्टर राकेश सिेह सेंगर, कृषि वैज्ञानिक, दोस्तों आज हम चर्चा करेंगे गन्ने के एक महत्वपूर्ण रोग के विषय में, जो इस समय पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपने पैर तेजी से पसार रहा है और जिसका प्रकोप काफी लंबे समय से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में देखा जा रहा था। गन्ने की 0238 वैरायटी इसी रोग से काफी अधिक प्रभावित हो चुकी है। साथियों इस रोग उसको हम लाल सड़न रोग के नाम से जानते हैं और साथ ही गन्ने के कैंसर के नाम से भी जानते हैं। यह एक ऐसी जो बीमारी है जो पूरे गन्ने को सुखा देती है, तो इस रोग के बारे में आज हम चर्चा करेंगे।
सबसे पहले मैं आप लोगों को बताऊंगा कि इसके लक्षण किस प्रकार के इस समय वर्तमान अभी हमारा जुलाई का माह चल रहा है। इस रोग के मई महीने में इसमें किस प्रकार के लक्षण पौधे में दिखाई देंगे और ये लक्षण अभी रेटून में सबसे पहले दिखाई देने प्रारंभ हो जाते हैं। दिखते तो दोनों में है प्लांट में भी और रेटून में भी। लेकिन यदि प्रभावित पौधा है आपका प्लांट प्रभावित था तो उसमें रेटून में इस समय किस प्रकार के लक्षण आने प्रारंभ हो गए हैं उसके विषय में आज हम चर्चा करेंगे।
सबसे पहले लक्षण कैसे पहचानेंगे कि हमारे खेतों में रेड रोट है उसकी हम देखरेख कैसे पहचान कैसे करेंगे? ये मेरे हाथ में यहां पर पूरा का पूरा झुंड है जो गन्ने का एक क्लमंप था जो रेड रोट से प्रभावित क्लमंप रहा होगा पहले। इस रेड रूट के क्लम्प में जो हमारा वाटर सूट्स निकलता है फुटाव आएगा कल्ले चलेंगे लेकिन उनके आगे चलने की जाने के बाद मोटिलिटी की संभावना बेहद ज्यादा हो जाएगी क्योंकि इसमें रेड रोड का प्रकोप है। पहचान कैसे करनी है?
ये पौधा आप यहां पर देख रहे हैं। इसमें विभिन्न प्रकार की समस्याएं आपको नजर आ रही होगी। ये पत्तियां यहां पर कीड़े ने खा ली है। ये इस भी इन पत्तियों पर कीड़े का प्रकोप है। इस पत्ती को भी कीड़े ने काट दिया है। लेकिन मुख्य रूप से हम रेड रोट की तरफ फोकस कर रहे हैं। क्योंकि कीड़े को मैनेज करना कंट्रोल करना आसान है। लेकिन लाल सडन रोग जिसको हम गन्ने का कैंसर कहते हैं वो कहां पर देखने को मिलेगा और इस समय वर्तमान परिस्थितियों में हमारे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिकतर जनपदों में वो दिखाई दे रहा है। तो हम पौधे में कैसे पहचान करेंगे? ये हमारा पूरा पौधा है।
यहां से निकला है। पहली प्रारंभिक पत्तियां ठीक है। लेकिन आप जो गोब की पत्तियां है उसके पास से जो गोब में हमारी पत्तियां है एक दो और तीसरी ये साइड में दूसरी और तीसरी जो हमारी पत्तियां है इन पर इनका प्रभाव आपको स्पष्ट रूप से नजर आना शुरू हो जाएगा। आप यहां पर आसानी से देख पाएंगे। किस प्रकार के लक्षण है? ये जो हमारी पत्ती है ये सूख गई है। इस पर जो हमारी मेन पहचान है आप इस गोब के पास की जो पत्ती है इसमें आप यहां पर देखेंगे इसमें लाल रंग के धब्बे बन गए हैं और लीफ शीथ जो ये हमारी यहां पर पत्ती निकली है यहीं से इसमें लाल रंग के धब्बे नजर आने शुरू हो गए हैं।
यही रेड रोट के सबसे मुख्य पहचान है। इंजरी हो सकती है। जैसे आप इस पत्ती पर यहां देखेंगे यहां पर इस पर इंजरी है। लेकिन ये रेड रोट नहीं है।
ये पौधे पर जहां पर भी उसको घाव हुआ है वहीं पर पिगमेंटेशन हो गया। वहां पर लाल रंग आ गया। ये रेड रोट के लक्षण नहीं है क्योंकि इसमें यहां केवल पिगमेंटेशन एक तरफ आया है। पीछे लीफ शीत का बैक साइड आप देखेंगे बिल्कुल स्वस्थ है। इसका मतलब हमारे इस पत्ती पर लाल सड़न रोग के लक्षण नहीं है। लेकिन ये जो गोब के पास की पत्ती है आप यहां पर आसानी से देख पा रहे होंगे। ये ऊपर से सूखनी भी प्रारंभ हो गई है और साइड में से भी दोनों तरफ से पत्तियां पीली पड़कर सूखनी शुरू हो गई।
इस मध्य सिरा से हम यहां से पहचानते हैं इस मध्य सिरा से इस पर लाल रंग के धब्बे रुद्राक्ष जैसी संरचना बननी शुरू हो गई है और पत्ती के जो मध्य सिरा है दोनों तरफ आगे भी और पीछे भी दोनों तरफ ये लाल रंग के धब्बे निकल गए हैं और इसी के पास जो दूसरी पत्ती है गो के पास जो खुलने वाली पत्ती है इस पे भी इसी प्रकार के लक्षण आप यहां आसानी से देख पाएंगे।
यह लक्षण यहां पर स्पष्ट है कि आपके खेत में इस क्लम में रेड रोट आ गया है और इस समय रेड रोट का इस समय रेड रोट का आने का जो प्रभाव है किसान भाई उसको यदि अच्छे से नहीं देखेंगे अपने खेतों की निगरानी अच्छे से नहीं करेंगे तो अभी से हमारे कलम सूखने शुरू होंगे और जुलाई अगस्त तक जाते-जाते पूरा खेत सूखने की स्थिति में आ जाएगा। तो सबसे महत्वपूर्ण है यदि इस प्रकार के क्लम आपको दिखते हैं तो इस क्लम को जमीन से उखाड़े।
पूरे क्लम को आप यह प्रयास ना करें कि इसमें से एक कल्ला आपने जो प्रभावित कल्ला है ये निकाल लिया और उसके बाद आपका पौधा ठीक हो जाएगा। खेत ठीक हो जाएगा। नहीं होगा क्योंकि ये क्लम्प ये कल्ला पूरा का पूरा प्रभावित हो चुका है। इसके बाद जो साइड में कल्ला निकल रहा है यह भी प्रभावित हो जाएगा। यह भी सूखना प्रारंभ हो जाएगा। तो ऐसी दशा में हमें पूरा का पूरा कलम उखाड़ना है और खेत से बाहर ले जाके नष्ट कर देना है और जहां से हम इसको उखाड़ेंगे।
सावधानी क्या रखनी है सावधानियां
हमें क्या करना है नियंत्रण करने का जो अब हमारा मई का समय है मई जून जुलाई और आगे का जो समय है उनमें किस प्रकार से रेड रोट को रोकने का प्रयास करेंगे मैं उसके बारे में चर्चा करता हूं। सबसे पहले ऐसा जो भी कलक दिखाई दे किसान भाई बिल्कुल भी हेजिटेशन ना करें। बिलकुल भी आप यह ना देखें कि आपके खेत में यह अभी एक दो क्लम है या यह एक कल्ला है।
इस कल्ले को काट के निकाल दो। बिलकुल नहीं। आप पूरे के पूरे क्लम को जमीन से उखाड़ेंगे और खेत से बाहर ले जाकर उसको नष्ट कर देंगे। लेकिन जहां से कल्ले को उखाड़ा है उस जगह पर उस मिट्टी में जहां से आपने कल्ला उखाड़ा वहां पर भी रेड रोट के फंगस के स्पर्स वहां पर बने हुए हैं। उसके तंदूर कण वहां पर बने हुए हैं। तो ऐसी जगह पर 10 से 20 ग्राम ब्लीचिंग पाउडर डालकर आप उस जगह को ढक देंगे ताकि वहां पर ये फंगस और नहीं फैल पाएगा।
वो उसी स्थान पर रुक जाएगा। लेकिन ये प्रारंभिक अवस्था का है कि आप पत्ती की अपनी पहचान करें। उस पंप को उखाड़ दे उसी समय वहां पर ब्लीचिंग पाउडर डाल दे। इसके साथ-साथ जो वर्तमान समय चल रहा है क्योंकि रेटून में 0238 मुख्य रूप से अन्य वैरायटियों में भी आ सकता है लेकिन 0238 मुख्य रूप से इससे प्रभावित ससेप्टेबल वैरायटी है तो उन खेतों में आप जो रेड रोट के लिए रिकमेंडेड केमिकल है एजोक्सीटोबिन और डफनाजोल आप उसका इस्तेमाल जरूर करें, क्योंकि यदि इस समय हम प्रारंभिक अवस्था में ही इसको रोकने के लिए वहां पर हम केमिकल का इस्तेमाल कर देते हैं तो निश्चित तौर पर वो जो हमारा रेड रोट का फंगस है उसकी जो गति है जो पौधे में उसका सर्कुलेशन है उसकी गति को हम धीमा कर सकते हैं। पौधे पर उसके प्रभाव को कम कर सकते हैं।
इसलिए मेरा आप किसान भाइयों से आग्रह है कि वर्तमान में आप अपने खेतों में एजोसिस्टोबिन और डफगनजोल का इस्तेमाल जरूर करें। जो विभिन्न कंपनियों के आपको मार्केट में उत्पाद मिलेंगे। एजोडीजो के नाम से मिलेंगे। एम स्टार के नाम से मिलेंगे या अजाका के नाम से मिलेंगे। ऐसे बहुत सारे उत्पाद है जो ट्रेड नेम उनके अलग-अलग रहेंगे लेकिन जिसमें जो टेक्निकल रहेगा वो एजोक्सिडोमिन और डफनाकोलाजोल के नाम से वो साल्ट उसके अंदर होना चाहिए उसका इस्तेमाल आप तत्काल प्रभाव से पौधे को पूरे पौधे को तर करते हुए उसके ऊपर स्प्रे करें ताकि हम इसी समय रेड रूट के फंगस को रोकने का कार्य शुरू कर दे।
वर्तमान समय सबसे महत्वपूर्ण है। इसी समय मई के महीने में ही हमें लक्षण दिखते के साथ ही तुरंत उसमें हमें इसका प्रयोग कर देना है। अब ये तो हमने मई के महीने में किया है।
अब इससे आगे चलने के बाद क्योंकि वर्तमान में हम इसको कंट्रोल करने के लिए सबसे पहला प्रयास यही करेंगे। इसके एक महीना बाद आपने अभी आपने क्योंकि उसमें डफनजोल फजीसाइड का इस्तेमाल किया है तो एक महीने तक आप उसमें ट्राइकोडमा का इस्तेमाल नहीं करेंगे। लेकिन एक महीना बाद 20 से 25 दिन के बाद आप उसमें ट्राइकोडर्मा का इस्तेमाल अवश्य करना चाहिए और ट्राइकोडर्मा भी यदि आप चाहते हैं बेहद अच्छा रिजल्ट दे तो उसका कल्चर बना के जरूर इस्तेमाल करें और 20 दिन के बाद हर 20 दिन पर लगभग तीन बार दो से तीन बार तीन बार। मैं तो कहता हूं यदि बेहद अच्छा आप रिजल्ट चाहते हैं तो श्रेणी मतलब यदि आप अपने खेत में टोक जो हमारा रेड रोट है लाल सड़न रोग है उसके प्रकोप को कम करना चाहते चाहते हैं तो ट्राइकोडर्मा की जो दर है प्रयोग करने की जो फ्रीक्वेंसी है वो हमें बढ़ानी होगी।
कम से कम दो से तीन बार इस्तेमाल हमें करना है। और यदि तीन बार इस्तेमाल करेंगे तो निश्चित तौर पर आपके खेत में रेड रोट आने की संभावना या आ गया है तो उसकी जो वृद्धि है फैलने की दशा है वो धीरे-धीरे कम हो जाएगी।
उसका प्रकोप कम हो इसलिए उसका कल्चर बनाकर 200 लीटर पानी ले। उसमें 2 किलग्र गुड़, 2 किलग्र बेसन और उसी में ही 2 लीटर ट्राइकोडर्मा लिक्विड उसके अंदर ले और उस लिक्विड ट्राइकोडर्मा को 10 से 15 दिन में उसका कल्चर तैयार करें। किसी छायादार स्थान पर रखें और उसके बाद आप उसकी बूंद-बूंद ड्रेंचिंग कर दें। बूंद-बूंद में उसकी ड्रेंचिंग करते हुए चले जाए तो सबसे बेस्ट रिजल्ट वो आपको देगा। यदि वो ड्रेंचिंग करना संभव नहीं है तो जब आप अपने खेत में इरीगेशन करते हैं तो जो इरीगेशन नाली है उसी पे उस ड्रम को रख दे। उस वहीं पर को ओपन कर दें और इस गति से वो चलाए कि जो यदि आपका खेत 5 घंटे में आपका एक एकड़ खेत वो पानी से सैचुरेशन होता है पानी भरता है।
एक एकड़ खेत को सिंचाई करने के लिए पांच घंटे लगते हैं तो आपका ड्रम भी पांच घंटे में ही खाली हो। ऐसी दशा में आप हर 15-20 दिन के अंतराल पर ट्राइकोडर्मा का इस्तेमाल करते रहेंगे तो निश्चित तौर पर रेड रोड का प्रकोप कम से कम होगा। लेकिन वर्तमान समय किसान भाइयों सबसे महत्वपूर्ण समय वर्तमान यही है कि आप अपने खेतों की मॉनिटरिंग निगरानी करें और निगरानी करते हुए इस प्रकार के लक्षण सबसे महत्वपूर्ण मैं पुनः इसीलिए दिखा रहा हूं कि आपकी गोब के पास की पत्ती है तीसरी दूसरी तीसरी पत्ती है और सूखनी प्रारंभ हो गई है।
फिर इसके बाद ये पूरा कल्ला सूखना शुरू हो जाएगा। जहां पर आपका लीप शीत होती है पत्ती की वहां से रुद्राक्ष जैसी संरचना लाल रंग की संरचना इस बननी शुरू होती है और ऊपर तक बढ़ती हुई चली जाती है। फिर हमारी पूरी पत्ती पूरा पौधा सूख जाता है।
इसको ध्यान में रखते हुए अपने खेतों में तत्काल प्रभाव से एजोक्सिस्टोबिन डफनागनाजोल के कॉम्बिनेशन का इस्तेमाल करें। उनका प्रयोग करें। वर्तमान में ही और इसके बाद आप ट्राइकोडर्मा लगातार दो से तीन बार 20 से 25 दिन के बाद में ट्राइकोडर्मा दो से तीन बार इस्तेमाल अवश्य करें ताकि हम रेड रोट को एक अपने खेत में जो उसका स्तर है उसको कम कर सके और अपने खेतों में रेड रोट को फैलने से बचा सके।
इस प्रकार एक और मैं आप लोगों को निवेदन करना चाहूंगा। वर्तमान में हमारे किसान भाई दो स्प्रे कर रहे हैं। एक तो जो मैंने अभी आपको फंगस के बारे में बताया इसी के साथ-साथ एक पैरेलल और स्प्रे चल रहा है सीटीपीआर का कोलेटिपल का। मेरा निवेदन है कि दोनों को एक साथ ना करें क्योंकि सीटीपीआर जो होता है उसकी होती है ड्रेंचिंग को दें तने के पास धार बनाकर हम डालने का प्रयास करते हैं। ये सीटीपीआर को हमेशा ड्रचिंग में इस्तेमाल करते हैं और जो एजोप्सोबिन और डफनजोल है इसका आपको फिर स्प्रे करना है। पूरे पौधे को तर करते हुए हमें उसके ऊपर स्प्रे करना है। इसलिए जब भी आप उसमें इस्तेमाल करें एजोस्टोमिनो डफनागनाजोल का और सीटीपीआर का दोनों का अलग-अलग प्रयोग करें और सीटीपीआर की बूंद ड्रेंचिंग करें।
पौधे में धार बनाकर डालते हुए चलें क्योंकि हमें उधर टॉप बोरर को रोकना है। टॉप बोरर के लिए अच्छा साल्ट है। उसका हम इस्तेमाल करते हैं। लेकिन रेड रोट के लिए एजोक्सीटोबिन डफजल पौधे को तर करते हुए जाना है। पूरा फेज हमको उसके लिए स्प्रे करना है। नेक्स्ट उसकी ड्रंचिंग करनी है। तो ऐसी दशा में आप एजोक्सीटोबिन डफ कोलाजोल का स्प्रे करेंगे। यह सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि हमारे किसान भाई समय के अभाव में या श्रम के अभाव में या व्यवस्था के अभाव में दोनों स्प्रे एक जगह मिला लेते हैं और उसके बाद हम उसका फोलियर स्प्रे करते हैं जिसमें एक ही केमिकल का प्रयोग लाभ मिलेगा। दूसरे केमिकल का लाभ वहां पर नहीं मिल पाएगा।
तो मैं पुनः किसान भाइयों से कहूंगा कि वर्तमान में आपके खेतों में रेड रोट का प्रकोप प्रारंभ हो गया है। उसके लक्षण दिखाई देने शुरू हो गए हैं। इसलिए तत्काल प्रभाव से अपने खेतों में केमिकल का प्रयोग दवाइयों का प्रयोग करें। एजस्टोबिन का इस्तेमाल करें ताकि हम रेडोट के फंगस को यहीं रोकने का प्रयास करेंगे और इसके बाद आप लगातार दो से तीन बार ट्राइकोडर्मा भी अवश्य चलाएं। निश्चित तौर पर चलाएं ताकि हम उसमें रेड रूट के फंगस को आगे भविष्य से रोकने में कामयाब हो पाएंगे।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।