
खेती में गाय के गोबर एवं गौमूत्र की निरंतर बढ़ती उपयोगिता Publish Date : 28/06/2025
खेती में गाय के गोबर एवं गौमूत्र की निरंतर बढ़ती उपयोगिता
पोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 शालिनी गुप्ता
हमारे देश में गाय को पशु नहीं मानकर उसे माता का स्थान प्रदान किया जाता है और गाय पूर्वकाल से ही हमारी पूज्य रही है। हमारे शस्त्रों में भी गाय के अंदर देवताओं का निवास बताया गया है। एक समय था कि जब गाय लोगों की समृद्वि का प्रतीक मानी जाती था। उस समय लोगों की सम्पन्नता का आधार उसके द्वारा पाली जाने वाली गायों की संख्या को माना जाता था।
वर्तमान आधुनिक खेती में गाय के गोबर और गौमूत्र की उपयोगिताः गौमाता की महत्वता हमारी खेती में पहले समय से ही इतनी अधिक रही है कि किसान के परिवार से यदि गाय को अलग कर दिया जाये तो किसान के साथ-साथ संपूर्ण मानव जाति का विनाश सुनिश्चित है।
गाय की उपयोगिता खेती और मानव जीवन में
गाय का गोबर जमीन के लिये अमृत है-
देश-विदेश के वैज्ञानिकों और बड़े-बड़े कृषि विश्वविद्यालयों के अनुसंधान कर्ताओं के द्वारा किए गए विभिन्न शोधों के माध्यम से पाया गया है कि गाय के एक ग्राम गोबर में 300-500 करोड़ तक सूक्ष्म जीवाणु पाये जाते है, जो खेती के लिए अत्यंत लाभकारी हाकते हैं। जमीन के अंदर उपाए जाने वाले और खेती को उपजाऊ बनाने वाले सूक्ष्म जीवाणु होते है, बस के गोबर की खाद उन जीवों को जमीन से ऊपर लाकर जमीन को भुरभुरा और उपजाऊ बनाने में मदद करती है।
ऐस में यह गाय का गोबर उन जीवों के लिए एक सुगंधित भोजन होता है। जब गाय का गोबर बंजर जमीन वाले खेतों पर डाला जाता है, जहां रसायनिक खाद अधिक उपयोग की गई थी या, कठोर हार्ड खेती पर डाला जाता है, तो जमीन के अंदर कृषि मित्र जीवाणु जैसे केचुआ, नेवला और सर्प आदि क्रियाशील होकर जमीन में सूक्ष्म छेद बना करके मिट्टी को भुरभुरा बना देते है, जिससे जमीन में वर्षा का जल जमीन के अंदर तक समाहित होने लगता है और इससे जमीन में वर्षभर नमी भी बनी रहती है जिससे किसान के द्वारा उगाई गई फसलों का उत्पादन बढ़ता है।
कृषि में गौ मूत्र का महत्वः
गाय के गोबर की भांति ही गौमूत्र भी हमारी खेती और मानव जीवन दोनों के लिए अत्यंत उपयोगी होता है। देश के वैज्ञानिको द्वारा प्रयोगशालाओं में गौमूत्र का परीक्षण कर पाया है कि फसलों पर जो कीट लगते है, उनको नष्ट करने के लिए गौमूत्र से बनी जैविक दवाओं का छिडकाव करने पर कीट तो नष्ट तो हो जाते है लेकिन वह मरते नहीं है। इससे फसलों का उत्पादन बढ़ता है और हमारी फसलें जहरीली नहीं होती और कीटनाशकों पर आने वाला भारी खर्च भी बच जाता है। इससे हमारे स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पडता है। गौमूत्र के जैविक इादानों का छिडकाव करने से जमीन के अंदर मौजूद रहने वाले आंख्य कृषि मित्र जीव, पशु पक्षी तथा अन्य लाभदायक जीवाणु आदि को भी कोई हानि नहीं होती है।
इसके अलावा रासायनिक खादों और कीटनाशकों के प्रयोग करने से पर्यावरण की हानि और वातावरणीय गर्मी आदि से भी बचाव होता है। कृषि उत्पादों में रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों के अवशेषों से होने वाली हमारे स्वास्थ्य की हानि और नित नई आने वाली बीमारियों से बचाव करने का भी यह एक अच्छा मार्ग बन सकता है। इस प्रकार से हम अपने रोगों पर खर्च होने वाली धनराशि को बचाकर उस राशि से अपने अन्य काम में व्यय कर सकते हैं यह समृद्वि की ओर हमारा एक सुदृढ़ कदम होगा।
इसलिए हम कह सकते है कि आधुनिक रासायनिक युक्त खेती से मुक्ति पाने एवं खेतों को पुनः उपजाऊ बनाने के लिए गाय के गोबर एवं गौमूत्र से बनी खादों एवं कीटनाशक का ही उपयोग करना चाहिए। तभी हमारा पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण एवं मानव जीवन का संरक्षण तथा भूमि की उपज सुरक्षित हो पाएगी।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।