
सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी Publish Date : 25/06/2025
सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
किसी ऋण पर तीसरे पक्ष द्वारा दी गई गारंटी उधारदाताओं को डिफॉल्ट (ऋण चूक) से सुरक्षा प्रदान करती है। बजट 2025 में एक महत्वपूर्ण घोषणा यह थी कि क्रेडिट गारंटी योजना (CGS) के तहत ऋण गारंटी की सीमा को 5 करोड़ से बढ़ाकर 10 करोड़ कर दिया गया है। यह संशोधित सीमा 1 अप्रैल, 2025 से प्रभावी हो चुकी है। क्रेडिट गारंटी योजना (CGS) के अंतर्गत, सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट (CGTMSE) एमएसई द्वारा लिए गए ऋणों पर गारंटी कवरेज प्रदान करता है। यह संशोधन बजट 2025 में किए गए निवेश और टर्नओवर की सीमा में वृद्धि के अनुरूप है। इसके परिणामस्वरूप, अब जो बड़े उद्यम एमएसएमई के दायरे में आएंगे, वे अधिक राशि के ऋण की मांग कर सकते हैं।
इस योजना के अंतर्गत, CGTMSE एक तृतीय पक्ष के रूप में सदस्य ऋण संस्थाओं (MLIS) को वार्षिक गारंटी शुल्कके बदले में गारंटी देता है। MLIs में वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFCs), माइक्रो फाइनेंस संस्थान आदि शामिल है। गारंटी कवरेज की दरें इस प्रकार है।
1. महिला स्वामित्व वाले उद्यमों के लिए: 90%
ii. SC/ST उद्यमियों के लिएः 85%
III. पूर्वोत्तर क्षेत्र, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में स्थित एमएसई के लिए: 80%
iv. अन्य सभी एमएसई के लिए 75%
इस योजना का मुख्य उद्देश्य दो पक्षों की समस्याओं को हल करना है:
1. ऋणदाताओं की जमानत की आवश्यकता को संतुलित करना, और
उधारकर्ताओं की जमानत देने में असमर्थता की बाधा को दूर करना।
क्रेडिट गारंटी योजना की शुरुआत वर्ष 2000 में हुई थी और तब से यह योजना उल्लेखनीय रूप से विस्तारित हुई है। तालिका-3 में दिए गए आंकड़ों के अनुसार 2023-24 से गारंटी की राशि में तीव्र वृद्धि देखी गई, जिसका कारण था। अप्रैल 2023 से वार्षिक गारंटी शुल्क में 50% की कटौती। CGTMSE द्वारा हाल ही में की गई पहले तीन मुख्य उद्देश्यों को पूरा करती है।
1. क्रेडिट को अधिक सुलभ बनाना, यानी एमएसई के लिए ऋण लेना आसान और अधिक किफायती बनाना।
2. गारंटी की अधिकतम सीमा बढ़ाकर अधिक राशि के ऋण की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
3. ऋणदाताओं की संख्या बढ़ाना, जिससे 2021-22 में 136 सदस्य संस्थाएं थीं, जो 2024-25 में बढ़कर 276 हो गई है।
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) का उद्देश्य गैर-कृषि क्षेत्र में सूक्ष्म उद्यमों की स्थापना के माध्यम से स्वरोजगार के अवसर उत्पन्न करना है। यह कार्यक्रम निर्माण क्षेत्र में अधिकतम 50 लाख रुपये और सेवा क्षेत्र में 20 लाख रुपये तक की नई परियोजनाओं की स्थापना की अनुमति देता है। बैंकों द्वारा परियोजना लागत का अधिकतम 95% तक ऋणस्वीकृत किया जाता है। परियोजना लागत का अधिकतम 35% तक अनुदान भी मान्य है। वर्ष 2008-09 में इसकी शुरुआत से लेकर 2024-25 तक, इस योजना के तहत 10.18 लाख से अधिक सूक्ष्म उद्यमों को सहायता प्रदान की गई है, जिससे 83 लाख व्यक्त्तियों को रोजगार मिला है। PMEGP विशेष रूप से गैर-कृषि क्षेत्र के सूक्ष्म उद्यमों के लिए समावेशी विकास सुनिश्चित कर सकता है।
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) की शुरुआत 8 अप्रैल, 2015 को की गई थी। इसका उद्देश्य सदस्य ऋण संस्थाओं (MLIS) के माध्यम से बिना जमानत ऋण प्रदान करना है। छोटे उद्यमी इस योजना के तहत आय सृजन गतिविधियों के लिए ऋण ले सकते हैं। वर्ष 2015 से अब तक कुल 32.61 लाख करोड़ से अधिक राशि के 51.67 करोड़ से अधिक ऋण स्वीकृत किए गए है। यह योजना छोटे उद्यमियों को आसान ऋण उपलब्ध कराने में अत्यधिक सफल रही है।
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना
पीएम विश्वकर्मा योजना की शुरुआत 17 सितंबर, 2023 को की गई थी। इसका उद्देश्य हाथों और औजारों से काम करने वाले हस्तकला और पारंपरिक कारीगरों को समग्र सहायता प्रदान करना है। इस योजना का लक्ष्य निम्नलिखित के माध्यम से लाभार्थियों को सम्मान, सामर्थ्य और समृद्धि प्रदान करना है:
पीएम विश्वकर्मा प्रमाणपत्र और पहचान-पत्र द्वारा पहचान देना, 500 रुपये प्रतिदिन प्रशिक्षण वजीफा और 1000 रुपये परिवहन भत्ते के साथ कौशल उन्नयन, 15,000 रुपये मूल्य के ई-वाउचर के माध्यम से आधुनिक टूल किट, डिजिटल लेन-देन अपनाने पर प्रोत्साहन, विपणन सहायता, और बिना जमानत 5% रियायती ब्याज दर पर 3 लाख तक का एंटरप्राइज डेवलपमेंट ऋण (1 लाख और 2 लाख की दी किश्तों में), जिनकी अवधि क्रमशः 18 और 30 महीने है. जिसमें भारत सरकार द्वारा 8% तक ब्याज सबदेशन दिया जाता है।
5 वर्षों में 30 लाख लाभार्थियों को शामिल करने के लक्षा की तुलना में, योजना की शुरुआत के केवल 18 महीनों में ही 29.60 लाख से अधिक पंजीकरण हो चुके हैं। इनमें से लगभग 4 लाख का ऋण स्वीकृत भी किया जा चुका है। इस योजना के तहत दी जा रही समग्र सहायता हुनर निखारने, आधुनिक उपकरणों का उपयोग सिखाने और उद्यमशीलता क्षमताओं को बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो रही है।
आत्मनिर्भर भारत कोष
आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत, 2020 में भारत सरकार ने विकास-उन्मुख एमएसएमई को इक्विटी सहायता देने के लिए एक फंड ऑफ फंड्स की घोषणा की थी। इस उद्देश्य से आत्मनिर्भर भारत कोष की स्थापना की गई, जिसमें भारत सरकार का योगदान 10,000 करोड़ और निजी निवेश 50,000 करोड़ था। यह कोष 'मदर फंड' (NSIC वेंचर कैपिटल फंड लिमिटेड) और कई 'डॉटर फंड्स' के माध्यम से संचालित होता है।
इस कोष का उद्देश्य एमएसएमई को आकार और क्षमता में विस्तार करने और स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने के लिए प्रेरित करना है। 31 मार्च, 2025 तक, यह कोष 577 एमएसएमई में 10,979 करोड़ का निवेश कर चुका है। इनमें से लगभग 10% उद्यमों ने अपने वर्गीकरण में उन्नति की है, जैसे सूक्ष्म से लघु लघु से मध्यम और कुछ तो बड़े उद्यम बन चुके हैं।
आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना
आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ECLGS) भी 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान का एक हिस्सा है. जिसे कोविड-19 महामारी के दौरान एमएसएमई सहित व्यवसायों की परिचालन देनदारियों को पूरा करने और व्यापार दोबारा शुरू करने में सहायता के लिए शुरू किया गया था। इस योजना के अंतर्गत 100% गारंटी सदस्य ऋण संस्थाओं को प्रदान की जाती थी। योजना 31 मार्च, 2023 तक प्रभावी रही। इस दौरान, कुल 2.42 लाख करोड़ राशि की 1.13 करोड़ गारंटियां एमएसएमई को प्रदान की गई। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के अध्ययन के अनुसार, इस योजना ने कम से कम 14.6 लाख एमएसएमई खातों को NPA बनने से बचाया।
ऋण की उपलब्धता
बजट 2025 ने न केवल नई योजनाओं की घोषणा की, बल्कि सस्ती वित्तीय सहायता तक पहुँच को भी सरल बनाया।
इसमें निम्नलिखित घोषणाएं शामिल हैं:
- सूक्ष्म उद्यमों के लिए क्रेडिट कार्ड शुरू करना,
- स्टार्टअप्स के लिए नया फंड ऑफ फंड्स स्थापित करना,
- महिलाओं, अनुसूचित जातियों और जनजातियों के पहली पीढी के उद्यमियों के लिए नई योजना,
- स्टार्टअप्स और सफल निर्यातक एमएसएमई के लिए क्रेडिट गारंटी कवरेज को बढ़ाना।
- इस संदर्भ में यह उल्लेखनीय है कि हाल के वर्षों में एमएसएमई को दिया गया बकाया ऋण निरंतर बढ़ रहा है, जबकि एमएसएमई को दिए गए कुल ऋण के अनुपात में सकल एनपीए (NPA) की दर में गिरावट देखी गई है। यह प्रवृत्ति एमएसएमई क्षेत्र की विकासशीलता, वित्तीय अनुशासन और लचीलेपन को दर्शाती है।
निष्कर्ष
केंद्रीय बजट 2025 ने एमएसएमई क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए कई महत्त्वपूर्ण उपाय किए है, जिनमें वर्गीकरण मानदंडों में संशोधन, ऋण उपलब्धता में वृद्धि, और तकनीकी प्रगति व डिजिटल परिवर्तन के लिए रास्ते सुनिश्चित करना शामिल है। भारत में एमएसएमई का भविष्य निःसंदेह उज्ज्वल है, जो सहायक सरकारी नीतियों, तकनीकी नवाचारों और लचीले आर्थिक परिवेश से प्रेरित है। यह क्षेत्र समग्र रूप से 'आत्मनिर्भर भारत' के निर्माण में अपनी भूमिका और मजबूत करेगा तथा अमृतकाल के दौरान विकसित भारत 2047 के लक्ष्य की दिशा में अहम योगदान देगा।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।