
योग एवं प्राणायाम Publish Date : 21/06/2025
योग एवं प्राणायाम
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 शालिनी गुप्ता
कपालभाति प्राणायामः कई समस्याओं का एक समाधान
हमारे जीवन में योग और प्राणायाम का बहुत महत्व है और सबसे अधिक महत्वपूर्ण प्राणायामों में से एक है कपालभाति, जिसका अर्थ है ‘ललाट का तेज’। कपालभाति एक लोकप्रिय प्राणायाम हैं, जिसे सुबह के समय मात्र छः मिनट करने से कई प्रकार की बीमारियों से बचा जा सकता है। कपालभाति प्राणायामक करने से हमारा ब्लड सर्कुलेशन तो अच्छा होता ही, इसके साथ ही हमारा दिमाग भी शांत रहता है। हालांकि, इसे लेकर कुछ सावधानियां भी भी बताई गई हैं, जिनका ध्यान में रखना बेहद जरूरी होता है।
कपालभाति प्राणायाम करने से प्राप्त होने वाले लाभ इतने अधिक हैं कि उन्हें उंगलियों पर गिन पाना सम्भव नहीं है। यह प्राणायाम हमारे पूरे शरीर के लिए ही लाभदायक सिद्व होता है। प्रस्तुत लेख में पहले हम जानेंगे कि कपालभाति प्राधायाम करने से क्या-क्या लाभ प्राप्त होते हैं और इस प्राणायाम को करने का सही तरीका क्या है।
कपालभाति प्राणायाम करने के लिए सबसे पहले वज्रासन की मुद्रा में शांत होकर बैठ जाएं और अपने दोनों हाथ को माड़कर अपने घुटनों पर रखें। गहरी सांस अंदर लें और हल्के झटके के साथ सांस को बाहर छोड़ दें। सांस छोड़ने की क्रिया पर फोकस करते हुए ऐसा कुछ मिनट तक लगातार करते रहें। शुरुआत में सांस छोड़ने की गति धीमी हो सकती है, जो अभ्यास बढ़ने के साथ बढ़ाई जा सकती है।
भारत सरकार का आयुष मंत्रालय भी इसकी पुष्टि करता है
कपालभाति को यदि सही तरीके से किया जाए, तो यह आपके दिमाग को शांत रखने के साथ ही कई बीमारियों को भी दूर करता है। कपालभाति फ्रंटल एयर साइनस को शुद्ध करने के साथ ही कफ की समस्या को भी समाप्त करता है और तंत्रिका तंत्र को संतुलित कर शरीर को स्फूर्ति प्रदान करता है। इस प्राणायाम को करने से आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, पाचन क्रिया बेहतर होती है और वजन भी कम होता है। साथ ही आपके पूरे शरीर में रक्त संचार भी सही तरीके से होता है।
योग गुरु बाबा रामदेव बताते हैं कि मधुमेह के रोगियों के लिए कपालभाति प्राणायाम बहुत ही लाभदायक है और इससे मस्तिष्क के साथ आपके तंत्रिका तंत्र को भी ऊर्जा मिलती है। हालांकि, कई मायनों में लाभदायक कपालभाति प्राणायाम अधिकतर लोगों को लाभ ही प्रदान करता है, लेकिन कुछ स्थितियों में आपको इसका अभ्यास करने से बचना चाहिए।
जिन लोगों को कपालभाति न करने की सलाह दी जाती है, उनमें गर्भवती महिलाएं, महिलाओं के मासिक धर्म का समय, उच्च रक्तचाप के रोगी, हृदय रोग से ग्रस्त लोग, हर्निया से पीड़ित, स्लिप डिस्क या पेट दर्द जैसी समस्याओं से जूझ रहे लोग शामिल हैं। यही नहीं, अगर आपको चक्कर या बेचैनी के जैसी समस्या रहती है, तो भी आपको विशेषज्ञ कपालभाति प्राणायाम न करने की सलाह दी जाती हैं।
लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।