
स्वास्थ्य के साथ समृद्वि प्रदान करती पोषण-वाटिका Publish Date : 27/05/2025
स्वास्थ्य के साथ समृद्वि प्रदान करती पोषण-वाटिका
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी
घर के पास की खाली पड़ी जमीन में परिवार की सब्जी सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति करने हेतु सब्जी उगाने वाली जमीन में मौसम के अनुसार सब्जी उगाना, जिससे परिवार हेतु वर्ष भर ताजी सब्जियां और फल मिलते रहें, क्षेत्र को पोषण-वाटिका के नाम से जाना जाता है। हमारे देश में पोषण-वाटिका में सब्जियों को उगाने का प्रचलन काल से ही चला आ रहा है। पोषण-वाटिका में सब्जी उगाने का मुख्य उद्देश्य परिवार के लिए सालभर जाजा सब्जी उपलब्ध कराने को लेकर है। इसमें शाक-सब्जी के अलावा फल और फूल आदि भी उगाए जा सकते हैं। पोषण-वाटिका को परिवार आधारित रसोई उद्यान, गृह वाटिका या किचन गार्डन भी कहते हैं।
हमारे भोजन की थाली में फल और सब्जियों का भी महत्वपूर्ण स्थान है। इनसे हमें विभिन्न प्रकार के विटामिंस और खनिज लवणों के अतिरिक्त प्रोटीन एवं वसा आदि भी प्राप्त होते हैं और इनमें से किसी एक की भी कमी होने से हमें कई प्रकार के रोगों का सामना करना पड़ सकता है। इस प्रकार हम फल एवं सब्जी का संतुलित प्रयोग कर इनकी कमी से होने वाले रोगों से अपना बचाव कर सकते हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल की रिसर्च के अनुसार एक व्यक्ति को प्रतिदिन कम से कम 300 सब्जी का सेवन आवश्यक रूप से करना चाहिए। इसमें हरी पत्तेदार सब्जी 115 ग्राम, कंद वर्गीय सब्जी 115 ग्राम और अन्य सब्जियों की मात्रा 70 ग्राम होनी चाहिए।
इसके परिप्रेक्ष्य में यदि वर्तमान समय की बात करें तो अभी केवल 145 ग्राम सब्जी का सेवन प्रति व्यक्ति प्रतिदिन कर रहा है। इसके मुख्य कारण महंगाई, घर से बाजार का दूर होना और जागरूकता की कमी है।
जैविक पोषण-वाटिका के मुख्य लाभ
स्वास्थ्य
एक पोषण-वाटिका से परिवार एवं पड़ौसियों को ताजा हवा, प्रोटीन, खनिज और विटामिनों से भरपूर फल, फूल और सब्जियां प्राप्त होती है। इसके साथ इस वाटिका में कार्य करने से शारीरिक व्यायाम भी होता रहता है, जिससे परिवार के सदस्य स्वस्थ एवं प्रसन्न रहते हैं।
समृद्वि
माना कि एक परिवार में प्रतिदिन 50 से 100 रूपये तक के फल एवं सब्जियां आदि की खरीददारी औसतन रूप से की जाती है। इस प्रकार पोषण-वाटिका से हम 1500 से 3000 रूपये प्रतिमाह तक भी बचत कर सकते हैं। इससे परिवार के भोजन सम्बन्धी बजट में कमी होकर आर्थिक बचत भी होती है।
गृह वाटिका की आवश्यकता
- पूरे वर्ष पोषण तत्वों से युक्त और ताजा सब्जियों की उपलब्धता हेतु।
- सब्जियों के मूल्य में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी से बचाव हेतु।
- बाजार तक आने-जाने के समय की बचत के लिए।
- दैनिक भोजन को विविधता प्रदान करने हेतु।
- घर के समीप हरियाली का वातावरण रहने से पर्यावरण की सुरक्षा में योगदान हेतु।
भूमि का चयन
पोषण-वाटिका वाटिका के लिए एक ऐसे स्थान का चयन करें, जहां बोयी गई सब्जिायों को धूप पर्याप्त मात्रा में प्राप्त हो सके। इसके साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि वाटिका के आसपस मौजूद बड़े वृक्षों की छाया भी सब्जियों के उत्पादन को प्रभावित नहीं कर सकें। पोषण-वाटिका की स्थापना के लिए एक अथवा दो कम्पोस्ट के गड्ढे छाया अथवा कम महत्व वाले स्थान पर बनाने चाहिए। यदि स्थान पर्याप्त नहीं है तो पपीता, नींबू या अमरूद आदि के पेड़ों को उत्तर दिशा में लगाया जा सकता है।
एक पांच सदस्य वाले औसत परिवार के लिए सालभर सब्जियों की आवश्यकता की पूर्ती हेतु 200 से 250 वर्ग मीटर की जमीन पर्याप्त होती है। इस स्थान में छोटी-छोटी क्यारियं बनाकर उसमें आवश्यकता के अनुसार सब्जियां उगाई जा सकती हैं। वहीं बड़े शहरों में स्थान अभाव के चलते अपने इस शौक को लोग घर की छतों पर गमले अथवा पॉलीबैग या हाइड्रोपोनिक्स तकनीक के माध्यम से भी गृह-वाटिका की स्थापना कर वर्षभर ताजा सब्जियां प्राप्त कर सकते हैं। हालांकि, इसके लिए छत के वातावरण का तापमान और नमी के स्तर का उचित बनाए रखने के लिए अलग से उपाय करने होंगे।
फसल चक्र
पोषण सुरक्षा के लिए गृह वाटिका में उचित फसल चक्र को अपनाना बेहद आवश्यक है। एक उचित फसल चक्र अपनाकर हम पूरे वर्ष फल एवं सब्जियां प्राप्त कर सकते हैं। फसल चक्र के लिए हम वाटिका की प्रत्येक क्यारी और मेड़ को एक नंबर देकर यह निश्चित कर सकते हैं कि कौन से माह में कौन सी सब्जी किस क्यारी में लगानी है। फसल एवं किस्मों का चुनाव जलवायु और अपनी पसंद के अनुसार किया जाता है। क्यारी की मेड़ पर हम गांठगोभी, मूली, गाजर, फूलगोभी, चुकन्दर, शलजम और सलाद लगाते हैं तो वाटिका के चारों ओर करेला, खीरा, तोरई, सेम अथवा कुन्दरू आदि को लगा सकते हैं। कम्पोस्ट के गड़ढ़े वाटका के पश्चिमी छोर पर बनाने चाहिए। इस गडढ़े के ऊपर मचान बनाकर उस पर कद्दू, कुन्दरू और सेम आदि को लगा सकते हैं।
अतः सब्जी के फसल चक्र में गहरी जड़ वाली सब्जियों के उपरांत उथली जड़ वाली सब्जियाँ लगाना उचित रहता है। इसी प्रकार वाटिका में मूली के बाद दलहनी फसल का समावेश करना चाहिए जो भूमि में नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करती हैं। उदाहरण के लिए गाजर की सब्जी की फसल लेने के उपरांत मटर की फसल लगाई जा सकती है। इस प्रकार एक उचित फसल चक्र न केवल भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाता है बल्कि इससे कीटों का भी प्रभावी नियंत्रण होता है।
सहजन, करी पत्ता और तुलसी को भी एक आदर्श पोषण वाटिका में अवश्य शामिल करना चाहिए। पोषण वाटिका की स्थापना में सदैव ध्यान रखें कि इसमें फल वृक्ष उत्तर और पश्चिमी छोर पर ही लगाएं। इसके लिए मध्यम आकार वाले वृक्षों को उत्तर एवं छोटे आकार वाले वृक्षों को पश्चिम दिशा में लगाना उचित रहता है। वाटिका को चारों ओर से कंटीले तारों से कवर कर देना चाहिए। इन तारों के ऊपर लता वर्गीय सब्जी को लगाया जा सकता है। इसके साथ ही वाटिका में रास्ते और सिंचाई की नालियाँ इस प्रकार से बनाई जानी चाहिए कि पूरी वाटिका के अन्दर के कार्य सुगमतापूर्वक किए जा सकें।
बीज एवं पौध की तैयारी
गृह वाटिका में फसल चक्र के अनुसार निश्चित् समय पर ही बीज या पौध को लगाना चाहिए। इसके लिए बीज हमेशा किसी विश्वसनीय स्रोत से ही खरीदे जाने चाहिए। इसी प्रकार जिन सब्जियों की पौध लगाई जाती है, उनकी पौध को नर्सरी से खरीदें अथवा प्रो-ट्रे नर्सरी तकनीक से अपने आप ही बना लें। प्रो-टेª प्लास्टिक की बनी एक ट्रे होती है, जिसमें सांचेनुमा छोट-छोटे कक्ष बने होते हैं इन कक्षों में बीज डालकर ट्रे को नियंत्रित वातावरण में रखकर पौध को तैयार किया जाता है।
टमाटर, बैंग एवं सभी प्रकार की कद्दू वर्गीय सब्जियों के लिए 18.20 घन सेंटमीटर आकार के खांचे वाली प्रो-ट्रे का प्रयोग किया जाता है। प्रो-ट्रे तकनीक से तैयार पौध कई मायनों में खेत में तैयार की गई पौध से बेहतर होती है। सस्ते और आसानी से उपलब्ध माध्यम रूप में प्रो-ट्रे में 9 भाग वर्मी-कम्पोस्ट का उपयोग किया जा सकता है।
भूमि की तैयारी
अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए भूमि की अच्छी तरह से जुताई करके उसे तैयार करना आवश्यक है। गृह वाटिका के लिए आरम्भ में ही पूरी जमीन की गहरी जुताई करना आवश्यक है। इसके बाद मिट्टी से कंकड-पत्थर और खरपतवार आदि को निकाल देना चाहिए। इसके बाद क्यारियों को नम्बर प्रदान करें। क्यारियों में कम्पोस्ट अथवा गोबर की अच्छी तरह से सड़ी हुई खाद का उचित मात्रा में प्रयोग करना चाहिए। यदि वाटिका की भूमि में दीमक का प्रकोप है तो नीम की खली का प्रयोग अवश्य करना चाहिए।
गृह वाटिका हेतु सब्जियों का वर्गीकरण
गर्मियों की सब्जियाँ:- गर्मियों के मौसम वाली सब्जियाँ फरवरी और मार्च के माह में बोई जाती हैं। इन सब्जियों में भिण्ड़ी, लोबिया, ग्वार, टमाटर, बैंगन, मिर्च, शिमला मिर्च और कद्दू वर्गीय सब्जियाँ प्रमुख हैं।
वर्षा-कालीन सब्जियाँ:- वर्षा-कालीन सब्जियाँ आमतौर पर जून-जुलाई के माह में बोई जाती हैं। इनमें जायद में उगाई जाने वाली सब्जियों के साथ ही अरबी, हल्दी, अदरक और शकरकंद आदि रबी की अगेती सब्जियाँ भी शामिल होती हैं।
शरद ऋतु की सब्जियाँ:- शरद ऋतु की सब्जियाँ अक्टूबर और नवम्बर के महीने में बोई जाती है, जिनमें गोभी-वर्गीय सभी सब्जियाँ, गाजर, मूली, पालक, मेथी, मटर, चुकन्दर, प्याज, लहसुन और आलू आदि प्रमुख हैं।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।