वर्तमान में जलवायु अनुकूल खेती की आवश्यकता      Publish Date : 15/05/2025

     वर्तमान में जलवायु अनुकूल खेती की आवश्यकता

                                                                                                                                            प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं अन्य

जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव अब सैद्धांतिक एवं बौद्धिक परिचर्चा से बाहर निकल कर वास्तविकता बन चुके है। साल-दर-साल न सिर्फ भारत में. बल्कि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों की खबरें अब आम हो चली हैं।

जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव लगभग हर क्षेत्र में मानवता के अस्तित्व पर संकट के रूप में उभरे हैं और कृषि इनमें सबसे प्रमुख है। एक ओर विश्व की जनसंख्या लगातार बढ़ती जा रही है तो दूसरी ओर, जलवायु परिवर्तन के कारण फसलों का उत्पादन और उत्पादकता कम होना एक गम्भीर समस्या बन रही है। ऐसे में टिकाऊ खेती के रास्ते तलाश करना ही अब हमारे पास एकमात्र विकल्प है।

संयुक्त राष्ट्र का आंकलन है कि वर्ष 2050 तक दुनिया की जनसंख्या 900 करोड़ तक पहुँच जाएगी और उसकी खाद्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए विश्व के मौजूदा खाद्य उत्पादन में लगभग 70 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी करने की आवश्यकता होगी। लेकिन इसी तस्वीर का दूसरा पहलू यह भी है कि दुनिया भर में कृषि के सामने जलवायु परिवर्तन की चुनौती हर वर्ष पहले की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ती जा रही है।

                                                       

इस चुनौती को कुछ आंकड़ों के माध्यम से समझा जा सकता है। जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (IPCC, 2018) की पांचवी आंकलन रिपोर्ट (AR5) के अनुसार दुनिया के मौसम विज्ञानियों का अनुमान है कि वर्ष 2100 तक धरती के औसत तापमान में 2.5-5.8 डिग्री सेंटीग्रेड तक की बढ़ोतरी हो 2सकती है, जबकि तापमान में केवल एक डिग्री सेंटीग्रेड वृद्धि के साथ मक्के की उत्पादकता 7.4 प्रतिशत, गेहूँ की उत्पादकता 6 प्रतिशत, चावल की उत्पादकता 6.2 प्रतिशत और सोयाबीन की उत्पादकता 3.1 प्रतिशत तक कम हो जाती है।

यदि तापमान में यह वृद्धि 2 डिग्री सेंटीग्रेड तक हो जाए तो अनाज के उत्पादन में 20-40 प्रतिशत तक कमी आ जाती है, विशेष तौर पर एशिया और अफ्रीका महाद्वीप में। चावल, गेहूँ, की खेती की उत्पादकता में कमी आने की आशंका है।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।