
खेती के लिए लाभकारी है ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई Publish Date : 01/05/2025
खेती के लिए लाभकारी है ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 कृशानु
खेतों की गर्मियों में गहरी जुताई करने से जमीन की उर्वराशक्ति, जल संवर्धन में वृद्वि के साथ ही कीट एवं रोग आदि के आक्रमणों में भी कमी आती है। असल में इस मौसम में खेतों की जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करने पर खेत की ऊपर वाली मिट्टी नीचे और नीचे वाली मिट्टी ऊपर हो जाती है। इस जुताई को करने से मिट्टी के जो ढेले बनते हैं वह वायु और बारिश के पानी से टूटते रहते हैं।
इसके साथ ही खेत में पड़े पिछली फसल के अवशेष, पत्तियां, पौधों की जड़ें और उगे हुए खरपतवार आदि खेत की मिट्टी के नीचे दबकर सड़ने के बाद खेत की मिट्टी में जीवाश्म और कार्बनिक पदार्थों की मात्रा में वृद्वि करते हैं, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति, मृदा की भौतिक दशा और उसके जल धारण करने की क्षमता में पर्याप्त वृद्वि होती है।
ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई करने से खेतों के खुलने से कुछ प्राकृतिक क्रियाएं भी सुचारू रूप से खेत की मिट्टी पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं। वायु और सूर्य के प्रकाश के संचरण से मृदा में उपलब्ध खनिज पदाथों को भोजन बनाने की प्रक्रिया के दौरान पूरी सहायता प्राप्त होती है। इसके अतिरिक्त खेत की मिट्टी के कणों की संरचना (बनावट) भी दानेदार हो जाती है, जिससे भूमि में वायु का संचार एवं उसके जल-धारण करने की क्षमता बढ़ जाती है।
खेत की गहरी जुताई करने से खुले खेत में तीव्र धूप लगने से मिट्टी के नीचे पनप रहे हानिकारक कीट-पतंगे भी ऊपर आने के कारण समाप्त हो जाते हैं। साथ ही, जिन खेतों में गेहूँ और जौ की फसलों में निमेटोड का प्रयोग किया जाता है, वहां इस रोग की गांठें जो कि मिट्टी के अंदर मौजूद होती हैं वह जुताई करने से ऊपर आने के कारण कड़ी धूप में मर जाती हैं, अतः ऐसे खेतों में ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई करना बहुत आवश्यक होता है।
ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई से प्राप्त होने वाले लाभ
- खेत की मृदा में कार्बनिक पदार्थों की वृद्वि होती है।
- गहरी जुताई से मिट्टी के पलट जाने जलवायु का प्रभाव सुचारू तरीके से मिट्टी के अंदर होने वाली प्रक्रियाओं पर सकारात्मक रूप से पड़ता है। वायु और सूर्य के प्रकाश की सहायता से मिट्टी में मौजूद खनिज तत्व आसानी से पौधों के भोजन के रूप में परिवर्तित हो जाते हैं।
- ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई करना कीट एवं रोग नियंत्रण में भी सहायता प्रदान करती है। इस जुताई से हानिकारक कीट एवं रोगाणु भूमि की सतह पर आ जाते हैं और तेज धूप के प्रभाव से वे नष्ट हो जाते हैं।
- देश में कुछ खेती वर्षा आधारित होती हैं और विभिन्न अनुसंधानों के माध्यम से यह सिद्व हो चुका है कि ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई करने से बरसात का 31 फीसदी पानी खेत में ही समा जाता है।
- ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई खरपतवार नियंत्रण में भी सहायक होती है। इस जुताई के दौरान कांस और मोथा आदि के उखड़े हुए भागों को खेत से बाहर फेंक दिया जाता है तथा खरपतवारों के बीज भी तेज धूप से सूखकर नष्ट हो जाते हैं।
- अनुसंधान के परिणामों से ज्ञात हुआ है कि ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई करने से भूमि के कटाव में 66.5 प्रतिशत तक की कमी आ जाती है।
ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई के सम्बन्ध में कुछ तथ्य
- प्रत्येक तीन वर्ष में एक बार ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई जरूर करनी चाहिए।
- जुताई करने के बाद खेत के चारों ओर एक ऊँची मेड़ बनाने से वायु और जल द्वारा मृदा का क्षरण नहीं होता है और खेत वर्षा के जल को सोख लेता है।
- खेत की ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई सदैव मिट्टी पलटने वाले हल से ही करनी चाहिए, जिससे खेत में मिट्टी के बड़-बड़े ढेले बन सके, क्यांकि मिट्टी के बढ़े ढेले अधिक वर्षा जल का अवशोषण कर सके जिससे जल अधिक मात्रा में जमीन के अंदर जाएगा और इससे भूमि की जल-धारण क्षमता में सुधार होता है।
- जो किसान भाई अपने खेतों की गहरी जुताई करते हैं वह आने वाले खरीफ सीजन की फसल को निश्चित् रूप से कम पानी में पैदा कर सकेंगे, अपितु बरसात के कम होने पर भी अच्छी फसल हो सकेंगी। इसके साथ ही अच्छी उपज भी मिलेगी, लागत में भी कमी आएगी और अन्ततः किसानों की आय भी बढ़ेगी।
ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई के उपरोक्त वर्णित लाभों को देखते हुए, किसानों को अच्छी फसल के उत्पादन के लिए ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई को प्राथमिकता के साथ आवश्यक रूप से करना चाहिए।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।