
हिंदुत्व और उसके चिंतन की महत्वता Publish Date : 26/04/2025
हिंदुत्व और उसके चिंतन की महत्वता
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
विश्व के अन्य देशों के संदर्भ में धर्मनिरपेक्षता का वास्तविक स्वरूप हिंदुत्व के विरोध के रूप में स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा। हिंदू केवल सत्य और न्याय के पक्ष में है। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि हिंदू की कमजोर है। अन्य विचारों को मानने वाले लोग मतांध हो सकते हैं और मतान्धता में मानवता के शत्रु होते हैं, अन्यथा जिस प्रकार की वीभत्स घटना पहलगाम में हुई उसकी स्वाभाविक प्रतिक्रिया स्वरूप हिंदू आक्रोशित भी हुआ।
यदि इसकी प्रतिक्रिया में हिंदुओं ने केवल पाकिस्तानियों या घुसपैठियों के प्रति भी बदले की भावना प्रकट की होती तो भारत की सीमा में रहने वाला हर पाकिस्तान परस्त व्यक्ति अब तक नरसंहार की भेंट चढ़ चुका होता। एक तरफ पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त भवन के बाहर हजारों की कट्टर इस्लामिक भीड़ और वहां के सुरक्षा बलों का उनको अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन और दूसरी तरफ भारत की हिंदू जनता द्वारा अपने ही बीच छिपे लोगों को बोलने की आजादी देना जो पहलगाम की घटना का कारण हिंदुओं का मुसलमानों के प्रति कठोर व्यवहार होना बता रहे हैं।
रॉबर्ट वाड्रा एवं अन्य कांग्रेसी प्रवक्ताओं द्वारा जब इस घटना का कारण हिंदुओं में ही ढूंढने के संकेत दिए जा रहे थे, तब वहां सामने बैठा एक भी व्यक्ति अपनी कठोरता को प्रकट नहीं कर सका। हिंदुओं के विरुद्ध बोलने की यह आजादी उन लोगों का पोषण करती है जो वामपंथी और भारत विरोधी तथा स्वार्थपरता की मानसिकता से ओतप्रोत हैं। आज यह आवश्यक है कि इस प्रकार की मानसिकता के लिए हमे अपना स्वभाव को बदल देना चाहिए।
सीमा के अंदर और सीमा पार शत्रुओं को पहचान कर उन्हें सबक सिखाने का काम तो सेना और सरकार कर ही लेगी, लेकिन हमारे बीच में ही घूम रहे शत्रुओं को पहचान कर उचित पद्धति से दंडित करने का कार्य देश के आम आदमी को ही करना होगा। इन्हें पहचानने के लिए आज कल बहुत प्रयास करने की आवश्यकता भी नहीं, बल्कि विभिन्न माध्यमों से आपकी संपर्क सूची में ही ऐसे लोग मिल जाते हैं, जब आप उनके सोशल मीडिया पर व्यक्त विचारों को देखते हैं।
यह स्पष्ट है कि हिंदू विरोध ही भारत विरोध है क्योंकि अच्छा और कट्टर हिंदू कभी भारत क्या विश्व के लिए भी आतंकवादी नहीं हो सकता। जबकि विश्व के सभी आतंकवादियों के बारे में सभी जानते हैं कि वह कहां से सम्बन्धित होते हैं।
लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।