
डिजिटल ढांचे से भारत का स्टार्टअप ईकोसिस्टम मजबूत Publish Date : 11/04/2025
डिजिटल ढांचे से भारत का स्टार्टअप ईकोसिस्टम मजबूत
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं अन्य
अमेरिकी राष्ट्रपति बिल गेट्स इन दिनों भारत यात्रा पर हैं, विभिन्न मंचों पर रखे गए उनके विचार के अनुसार भारत लगातार प्रगति कर रहा है। हम भारत के साथ अगले 25 वर्षों के लिए साझेदारी को जारी रखने की उम्मीद करते हैं और हम यहां के नवाचारों को समर्थन देने का काम जारी रखेंगे।
आजकल मैं भारत में हूँ और यह मेरा चौथा दिन है, में बहुत प्रसन्न हूं कि भारत में अधिक से अधिक नवाचार हो रहे हैं। इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं है, कि यह सबकुछ मेरी अपेक्षा से भी अधिक तेज गति से हो रहा है। भारत नवाचारों की एक प्रयोगशाला है, जहां सुरक्षा को अत्यधिक महत्त्व दिया जाता है। जैसे वैक्सीन, जहां भारत में सुपर सुरक्षित परिणाम सुनिश्चित किए और दुनिया ने उसे अपनाया। भारत सरकार के पास एक बेहतरीन नियामक है, जो हमें इन सभी चीजों में मार्गदर्शन करता है। यह अविश्वसनीय रूप से सुरक्षित और लाभकारी उत्पाद बना रहा है, जिसका प्रभाव हमने देखा है।
आप जानते हैं, हमने रोटावायरस टीके से शुरुआत की थी, जो पहले से था, लेकिन वह बहुत महंगा था और उस मामले में, सीरम हमारे साथी थे। न केवल भारत, बल्कि कई देशों ने इसे अपनाया। कोविड 19 महामारी के दौरान भारत टीकों साथ ही सामान्य चिकित्सा सहायता और दवाओं का एक बड़ा आपूर्तिकर्ता रहा था। मैं भारत से बहुत प्रभावित हूं। गेट्स फाउंडेशन के जीवनकाल में भारत की इस अद्भुत प्रगति देखना शानदार रहा है। यहां हमने जो साझेदारियां बनाई हैं वे न केवल नई वैक्सीन्स जैसी चीजों को वितरित करने में मदद करती है बल्कि नवाचार भी करती हैं।
भारत लगातार प्रगति कर रहा है। हम अगले 25 वर्षों के लिए साझेदारी को जारी रखने की उम्मीद करते हैं और यहां के नवाचारों को समर्थन देने का काम जारी रखेंगे ताकि ये पूरी दुनिया को लाभ पहुंचाएं। भारत हमेशा से प्रतिभाओं का धनी केंद्र रहा है। मेरे माइक्रोसॉफ्ट के दिनों में भी मुझे यहां प्रतिभा की गहराई देखने को मिली। अब माइक्रोसॉफ्ट में भारत से सत्य नडेला सहित कई महान लोग हैं जो शानदार काम कर रहे हैं। भारत एआई के क्षेत्र में अच्छा कर रहा है। एआई आज अविश्वसनीय रूप से जटिल समस्याओं को हल करने में सक्षम हैं, उनमें से सभी नहीं, क्योंकि वे पूरी तरह से विश्वसनीय नहीं है, लोग हिचकिचा रहे हैं। हमें इन चीजों को कहां लागू करना चाहिए।
मुझे लगता है कि ठीक से किया जाए तो यह अगले कुछ वर्षों में स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में बहुत तेजी से लागू होने जा रहा है और कई अग्रदूत हैं, जिनमें से कुछ मुझे आज यहां भारत में मिलने का मौका मिला, जो उन क्षेत्रों में आगे बढ़ रहे हैं। यह तकनीकी प्रगति तीन प्रमुख क्षेत्रों में उपयोगी हो सकती है। पहला है किसानों के लिए। मुझे लगता है कि एआई से मौसम की भविष्यवाणी प्रदान करने और मूल्य निर्धारण जानकारी, मिट्टी की जानकारी को लेकर, विभिन्न सरकारी क्रेडिट कार्यक्रमों को प्रस्तुत करने के साथ एक छोटे से खेत वाले किसान को भी शानदार सलाह मिलनी चाहिए। इससे वे बहुत अधिक उत्पादक हो जाएंगे। एक साल पहले मैंने ओडिशा में एक प्रारंभिक प्रणाली देखी थी जो वहां पहले ही लाभ प्रदान कर रही थी तो एआई का उपयोग किसान की मदद के लिए किया जा रहा है।
अगर किसी गर्भवती महिला को डॉक्टर द्वारा कही गई बात को लेकर कोई सवाल हो तो उन्हें अपनी स्थानीय बोली में एआई से बात करनी चाहिए, चाहे वह टाइप करके हो या आवाज से। शिक्षा में यह सहायक हो सकता है। यह विद्यार्थियों के लिए चौबीस घंटे उपलब्ध रहने वाला शिक्षक हो सकता है। भारत का यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआइ) मेरा पसंदीदा भारतीय नवाचार है। भारत का डिजिटल सार्वजनिक इंफ्रास्ट्रक्चर एक अद्वितीय चीज है, चाहे वह बैंकिंग हो या सरकारी लाभों का हस्तांतरण। डिजिटल ढांचे ने भारत के स्टार्टअप इंकोसिस्टम और आर्थिक विकास के लिए मजबूत आधार प्रदान किया है। दुनिया में जलवायु परिवर्तन को लेकर बहुत बातें हो रही हैं। वैज्ञानिक इस बात पर थोड़ा बहस कर रहे हैं कि जलवायु परिवर्तन से तुफानों की आवृत्ति और तीव्रता कितनी बढ़ेगी।
भले ही जलवायु ने भूमध्य रेखा के पास के गरीब देशों के लिए चीजों को और अधिक कठिन बना दिया है, लेकिन समग्र मानव स्थिति में बहुत सुधार हो रहा है। मैं यहां कहना चाहूंगा कि वर्ष 2047 तक विकसित भारत का विजन एक प्रभावशाली दृष्टिकोण है तथा पूर्ण शारीरिक और मानसिक विकास के लिए पोषण इसमें एक महत्त्वपूर्ण कारक होगा। जिन चीजों में गेट्स फाउंडेशन विशेषज्ञता रखता है, जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, सरकार ने बहुत महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए हैं। इसलिए आप जानते हैं, हम यहां आगे आकर मदद कर सकते हैं। अक्सर हम भारत के बाहर से प्रौद्योगिकियों के अधिग्रहण को वित्तपोषित करते हैं और उन्हें यहां चल रहे कार्यों के साथ जोड़ते है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।