
नासा ने की पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत को लेकर खोज Publish Date : 06/04/2025
नासा ने की पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत को लेकर खोज
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
हमारे ग्रह पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत कैसे हुई, यह सवाल वैज्ञानिकों को लम्बे समय से परेशान करता रहा है. ऐसे में अब NASA के द्वारा की गई एक नई स्टडी ने इस रहस्य से जुड़ी चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है।
पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति का रहस्य
पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत कैसे हुई, यह सवाल इंसानियत के सबसे बड़े अनसुलझे रहस्यों में से एक रहा है। नासा और दुनिया भर की अंतरिक्ष एजेंसियां इस सवाल का जवाब खोजने के लिए लगातार शोध कर रही हैं। हाल ही में नासा के द्वारा की गई एक नई स्टडी के परिणामों ने वैज्ञानिकों को भी हैरान कर दिया है, इस स्टडी में एस्टेरॉयड बेन्नू से जुड़े कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। यह खोज जीवन की उत्पत्ति को समझने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।
नासा की नई खोजः बेन्नू एस्टेरॉयड
नासा ने अपने OSIRIS-REX मिशन के अंतर्गत एस्टेरॉयड बेन्नू से कुछ नमूने एकत्र किए, जो वर्ष 2023 में पृथ्वी पर लाए गए। यह एस्टेरॉयड 4.5 अरब वर्ष पुराना है और सौरमंडल के शुरुआती दिनों का एक जीवंत अवशेष माना जा रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि बेन्नू में मौजूद तत्व पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत की कहानी का रहस्योद्घाटन कर सकते हैं। नासा की इस खोज ने वैज्ञानिक समुदाय में हलचल मचा दी है।
कार्बन की भरमार
बेन्नू के नमूनों की प्रारंभिक जांच से ज्ञात हुआ है कि इसमें कार्बन की मात्रा असाधारण रूप से अधिक है। नासा के अनुसार, अंतरिक्ष से लाया गया यह अब तक का सबसे अधिक कार्बन-युक्त नमूना है। कार्बन जीवन का आधार है, क्योंकि यह प्रोटीन, डीएनए और आरएनए जैसे जैविक अणुओं का निर्माण करता है.। यह खोज इस बात की ओर इशारा करती है कि बेन्नू जैसे एस्टेरॉयड्स के माध्यम से ही पृथ्वी पर कार्बन पहुंचा होगा।
पानी की मौजूदगी
इन नमूनों में हाइड्रेटेड खनिजों के रूप में पानी की महत्वपूर्ण मात्रा भी प्राप्त हुई है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह खनिज ही पृथ्वी पर पानी लाने में अहम हो सकते हैं। बेन्नू में मौजूद मिट्टी के खनिजों में पानी अणु का बंद हैं, जो यह बताते हैं कि अरबों वर्ष पूर्व एस्टेरॉयड्स के माध्यम से ही पानी पृथ्वी तक पहुंचा होगा और इस पानी ने ही पृथ्वी पर जीवन को संभव बनाया होगा।
जीवन के रासायनिक तत्व
बेन्नू में कार्बन और पानी के साथ-साथ अन्य रासायनिक तत्व भी मिले हैं, जो जीवन के लिए आवश्यक तत्व हैं। इन तत्वों में अमीनो एसिड और न्यूक्लियोबेस जैसे जैविक अणु शामिल हैं, जो प्रोटीन और डीएनए के निर्माण के मूलखंड हैं। यह तत्व इस बात का उदाहरण हैं कि अंतरिक्ष से आए इन पदार्थों ने ही पृथ्वी पर जीवन की नींव भी रखी होगी।
बेन्नूः एक समय कैप्सूल
वैज्ञानिक बेन्नू को सौरमंडल का टाइम कैप्सूल मानते हैं, क्योंकि यह 4.5 अरब वर्ष पूर्व के हालात को अपने आप में संरक्षित किए हुए है। इसका अध्ययन यह समझने में मदद करता है कि सौरमंडल के शुरुआती दिनों में रासायनिक प्रक्रियाएं किस प्रकार से हुईं होंगी। इसी कारण नासा का यह मानना है कि बेन्नू जैसे एस्टेरॉयड्स ने पृथ्वी पर जीवन के बीज बोए होंगे।
पृथ्वी पर जीवन का स्रोत
नासा की स्टडी बताती है कि अरबों वर्ष पूर्व जब बेन्नू जैसे एस्टेरॉयड्स पृथ्वी से टकराए होंगे. तो इन टक्करों के परिणामस्वरूप कार्बन, पानी और जैविक अणु पृथ्वी पर पहुंचे, जो धीरे-धीरे जीवन के लिए अनुकूल परिस्थितियों में बदलते चले गए। यह सिद्धांत पैंस्पर्मिया की थ्योरी को भी मजबूती प्रदान करता है, जिसमें कहा जाता है कि पृथ्वी पर जीवन के तत्व अंतरिक्ष से आए थे।
वैज्ञानिकों का आश्चर्य
बेन्नू के नमूनों में मिले तत्वों की मात्रा और विविधता ने वैज्ञानिकों को भी हैरान कर दिया है, क्योंकि पहले मिट्टी से बने इस एस्टेरॉयड्स में इतनी जैविक सामग्री के प्राप्त होने की उम्मीद नहीं थी। नासा के वैज्ञानिक डैनियल ग्लैविन ने कहा कि यह नमूना एस्ट्रोबायोलॉजी का सपना है, जो जीवन की उत्पत्ति के सवालों को हल कर सकता है।
तीसरे विश्व युद्ध से कनेक्शन?
हालांकि नासा की यह खोज पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति से जुड़ी हुई है, लेकिन कुछ लोग इस खोज को मौजूदा वैश्विक तनावों से जोड़कर भी देख रहे हैं। रूस-यूक्रेन, इजरायल-हमास जैसे संघर्षों के बीच यह खोज संयोगवश चर्चा में बनी हुई है. परन्तु यह स्टडी किसी युद्ध से नहीं, बल्कि पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत को समझने से संबंधित है।
भविष्य की राह
नासा का कहना है कि बेन्नू से प्राप्त इन नमूनों का अध्ययन अगले कई दशकों तक जारी रहेगा. यह खोज न केवल पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत की पहेली को समझने में मदद करेगी, बल्कि यह भी बताएगी कि क्या सौरमंडल के अन्य ग्रहों पर जीवन संभव हो सकता है। यह स्टडी मानव जाति को उसके इतिहास के सबसे बड़े सवाल का जवाब देने के करीब ले कर जाती नजर आ रही है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।