
प्रमुख स्तंभ जो उन्नत खेती को मजबूती देते हैं Publish Date : 31/03/2025
प्रमुख स्तंभ जो उन्नत खेती को मजबूती देते हैं
डॉ. वीरेन्द्र सिंह गहलान
1. मृदा का स्वास्थ्य और उन्नत Tilth:
जैविक पदार्थों और सूक्ष्म जीवों से समृद्ध मृदा विकसित करना।
मिट्टी की संरचना सुधारने के लिए हरी खाद, जैविक खाद, वर्मी कम्पोस्ट और माइक्रोबियल कंडीशनर का उपयोग।
2. फसलों के लिए संतुलित पोषण:
4R पोषक तत्व प्रबंधन (Right source, Right rate, Right time, Right place)।
मृदा परीक्षण के आधार पर आवश्यक पोषक तत्वों की समय पर आपूर्ति।
3. उन्नत कृषि यंत्रों का प्रयोग:
सटीक खेती उपकरण (Precision Farming Tools) – ड्रिप इरिगेशन, मल्चिंग, सेंसर बेस्ड खेती।
लेजर लैंड लेवलर, मल्टीक्रॉप प्लांटर, स्ट्रॉ रीपर जैसी मशीनों का उपयोग।
4. मौसम के अनुसार सही प्रजाति और किस्मों का चयन:
प्रतिकूल परिस्थितियों के लिए सहनशील प्रजातियाँ।
उच्च उत्पादकता और पोषण गुणवत्ता वाली किस्मों का चयन।
5. सिंचाई और जल प्रबंधन:
ड्रिप, स्प्रिंकलर, रेनगन जैसी जल दक्ष तकनीकों का उपयोग।
जलसंरक्षण हेतु रिज एंड फरो (Ridging and Furrowing) जैसी तकनीकों का प्रयोग।
6. खरपतवार, रोग, और कीट नियंत्रण:
आईपीएम (Integrated Pest Management) अपनाना।
जैविक कीटनाशकों और फफूंदनाशकों का प्रयोग।
साथी फसलों और फेरोमोन ट्रैप्स का उपयोग।
7. फसल कटाई और कटाई उपरांत प्रबंधन:
पोस्ट-हार्वेस्ट हैंडलिंग के लिए अच्छी भंडारण और प्रोसेसिंग तकनीक अपनाना।
वैल्यू ऐडेड प्रोडक्ट्स बनाने की ओर ध्यान देना।
सही समय पर सही कार्य करने का अभ्यास ही उन्नत किसान की पहचान है।
यह सब अपनाकर हम खेती को लाभदायक बना सकते हैं और पोषण-संपन्न, सुरक्षित खाद्य उत्पादन को सुनिश्चित कर सकते हैं। "खेती का जुनून ही वास्तविक समृद्धि का आधार है।"
लेखक: डॉ. वीरेन्द्र सिंह गहलान, सस्यविद, Ex. Chief Scientist, CSIR-IHBT, Palampur Himachal Pradesh.