अप्रैल माह में गन्ने में किए जाने वाले प्रमुख कार्य      Publish Date : 22/03/2025

      अप्रैल माह में गन्ने में किए जाने वाले प्रमुख कार्य

                                                                                                                  प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

1.   जिन क्षेत्रों में चीनी मिलें अप्रैल के माह तक गन्ने की पेराई करती हैं, उन क्षेत्रों में गन्ने की कटाई करते समय जल किल्लों को छोड़ देना ही बेहतर रहता है। पेड़ी प्रबन्धन पूर्व विधि के अनुसार ही किया जाना चाहिए।

                                           

2.   गेहूँ की कटाई करने के बाद विलम्ब से बसन्तकालीन गन्ने की बुवाई यथाशीघ्र ही गन्ने की वुवाई कर लें। तापमान के बढ़ने की स्थिति में गन्ने के टुकड़ों को बुवाई से पूर्व 10-15 मिनट तक बाविस्टिन के घोल (112 ग्राम दवा और 112 लीटर पानी) में डुबोकर रखने के बाद बुवाई करने से गन्ने के टुकड़ों में पर्याप्त नमी होने के चलते उनका अंकुरण अच्छा होता है।

3.   शरदकाल में बेयी गया फसल में 50 कि.ग्रा. यूरिया प्रति एकड़ की दर से यूरिया की दूसरी टॉपड्रेसिंग कर दें। यूरिया की दूसरी टॉपड्रेसिंग करते समय ध्यान रखें कि तापमान 25-28 डिग्री के बीच ही हो, अर्थात यह टॉपड्रेसिंग दोपहर के बाद ही करें। ऐसा करने से पौधों को उसका अवशोषण करने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है। अधक तापमान होने पर टॉपड्रेसिंग करने से यूरिया वाष्प् के रूप में उड़कर वायुमण्ड़ल में चला जाता है।

4.   यदि शरदकाल में बुवाई की गई फसल में गन्ने की लम्बाई एक मीटर हो गई हो तो फिर मिट्टी चढ़ा देनी चाहिए।

5.   फरवरी माह में बोये गए गन्ने का जमाव यदि पूर्ण हो गया हो तो सिंचाई के बाद पहली टॉपड्रेसिंग 50 कि.ग्रा. यूरिया प्रति एकड़ की दर से अवश्य कर देनी चाहिए और यूरिया की दूसरी टॉपड्रेसिंग मानसून से पूर्व ही कर देनी चाहिए।

                                                 

6.   शरदकालीन गन्ने में बेधक कीटों से बचाव के लिए कोराजन (18.5 एस0सी0) 150 मिली0 प्रति एकड़ की दर May माह के प्रथम सप्ताह में 400 लीटर पानी में घोलकर गन्ने की जड़ों के पास ड्रन्चिंग कर 24 घंटें के अंदर ही सिंचाई कर देनी चाहिए।

7.   पेड़ी गन्ने में इस समय कुछ क्षेत्रों में काला चिकटा का प्रकोप देखा जाता है। इसके नियंत्रण हेतु इमिडाक्लोप्रिड 150-00 M.l./है0 625 लीटर पानी में घोलकर गन्ने की गोफ में 15 दिन के अंतराल पर दो छिड़काव करने से इसका नियंत्रण हो जाता है।

8.   पेड़ी की फसल पर उर्वरकों की कमी के लक्षण दिखाई देने की स्थिति में यूरिया के 5 प्रतिशत घोल में क्लोरपायरीफॉस (20 ई0सी0) एक लीटर 800-1000 लीटर पानी में मिलाकर गन्ने पर पर्णीय छिड़काव करने से भी काला चिकटा का प्रभावी नियंत्रण होता है।

9.   खरपतवार के नियंत्रण के लिए कस्सी, फावड़े अथव कल्टीवेटर से खेत की गुड़ाई करनी चाहिए इससे लाभ मिलता है। श्रमिकों के अभाव में खरपतवार के रासायसनिक नियंत्रएा हेतु मैट्रीव्युजीन (70 डब्ल्यू0पी0) 750 ग्राम, संकरी पत्ती वाले खरपतवारों के लिए और चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के नियंत्रण के लिए 2,4-डी 58 प्रतिशत एमाइन सॉल्ट की 2.5 लीटर मात्रा को 1000 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़काव करने से खरपतवार का प्रभावी नियंत्रण होता है। खेत में मोथा घास की प्रचुरता के चलते हेलोसल्फ्यूरॉन मिथाइल 75 प्रतिशत घुलनशील दाना 90 ग्राम एवं मैट्रीव्युजीन 70 डब्ल्यू0पी0 750 ग्राम प्रति हैक्टर की दर से 400 पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।

10.  गन्ने की फसल में आवश्यकता के अनुसार प्रत्येक 15 से 20 दिन के बाद सिंचाई करते रहना चाहिए।

11.  कण्डुआ रोग, घासीय प्ररोह रोग के लक्षण दिखने पर गन्ने के थान को जड़ समेत उखाड़कर नष्ट कर देना चाहिए।

 

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।